शाहडोल

आदमी और जानवर के बीच बढ़ी अविश्वास की खाई, हर दिन हाथी-भालू-बाघ से लड़ाई

वल्र्ड एनिमल डे: वन्यजीव और ग्रामीणों के बीच बढ़ रहीं संघर्ष की घटनाएं, नेशनल पार्कों से घिरा फिर भी मप्र और छग में वायरलेस नेटवर्क ही नहीं, हाइटेक निगरानी में असफल हो रहा वन विभाग का अमला

शाहडोलOct 04, 2018 / 02:40 pm

shivmangal singh

Panna Tiger Reserve Open, Tiger’s Didar, tourists happy

शहडोल (शुभम बघेल ). आदमी और जानवर के बीच अविश्वास की खाई हर रोज चौड़ी हो रही है। इसकी गवाह हैं वे घटनाएं जब कभी बाघ, कभी हाथी तो कभी भालू लोगों पर हमले कर रहे हैं। उधर आदमी भी वन्यजीवों से हमदर्दी रखने की बजाय उनकी जान का दुश्मन बना हुआ है। ये लड़ाई अस्तित्व की है या वर्चस्व की विशेषज्ञ तय करेंगे लेकिन लड़ाई हर रोज हो रही है। इसमें दोनों तरफ से जानें जा रहीं हैं। दुखद ये है कि ये सिलसिला लगातार बढ़ रहा है और रोकने का प्रयास भी नहीं किया जा रहा है।
बाघ और दूसरे वन्यजीव टेरिटरी छोड़कर बाहर आ रहे हैं। इस वजह से कभी वन्यजीव खुद शिकार हो रहे हैं तो कभी ग्रामीणों का शिकार कर मौत के घाट उतार रहे हैं। पर्यावरणविदें की मानें तो जंगलों में ग्रासलैण्ड की कमी से यह स्थिति बन रही है। वन्यप्राणी विशेषज्ञ इसकी वजह बाघों की बढ़ती आबादी और जंगलों में दखल बता रहे हैं।
हाल ही में शहडोल सर्किल में हुई घटनाओं ने उजागर किया है कि विभाग वन्यजीव और ग्रामीणों के बीच समन्वय बैठाने में असफल है।
तीन लोगों के साथ 12 बकरियों को भालू ने मारा
अनूपपुर के वेंकटनगर में ३१ जुलाई की देर रात भालू ने तीन लोगों के साथ 12 बकरियों और ऊंट पर हमला कर मौत के घाट उतार दिया था। लहसुना से सटे गोड़पसरी जंगल में गुजरात के कछ से ऊंट चराने के लिए दल छग आया था। अंधेरा होने पर जंगल में ही डेरा जमा लिया था। भालू और बच्चे को रात में घूमते देख दल के साथ आए श्वानों ने खदेड़ लिया था। भालू ने दोनों श्वानों पर हमला करते हुए 12 बकरियों को मौत के घाट उतार दिया था। कैंप में तीन लोगों पर भी हमला करके मार दिया था। अधिकारियों की मानें तो भालू के टेरीटरी में चरवाहों का कैंप लगने की वजह से यह बड़ी घटना हुई थी।
भालू ने हमला किया तो लोगों ने उसे ही मार डाला
हाल ही में अनूपपुर में एक भालू ने मुन्ना तिवारी सहित ३ लोगों पर हमला कर दिया था। हमले के बाद भी भालू मौके से नहीं भाग रहा था। मौके पर शव को नोंच रहा था। घटना में एक की मौत हो गई थी, जबकि एक तीन युवक घायल हो गए थे। ग्रामीणों ने भालू को खदेडऩे का प्रयास किया लेकिन भालू नहीं भागा। ग्रामीणों ने भालू पर लाठी डंडे से हमला करते हुए मौत के घाट उतार दिया था।
इसमें एक युवक की मौत के अलावा भालू की मौत और तीन लोग घायल हुए थे। इसके अलावा हाल ही में मालगाड़ी से टक्कर के बाद भालू के शव से अंग शिकारियों ने निकाल लिए थे। वन विभाग ने तीन लोगों को पकड़ा है।
हाथियों का गांव में हमला, वृद्ध की पटककर हत्या
हाल ही में हाथियों का झुण्ड छग से भटककर शहडोल पहुंच गया था। शहडोल के अंतिम छोर देवलोंद एरिया में घुसपैठ करते हुए हाथियों ने आधा दर्जन गांवों में जमकर उत्पात मचाया था। कई घरों को नुकसान पहुंचाया था। ग्रामीणों ने खदेडऩे का प्रयास किया तो हाथियों ने एक वृद्ध पर हमला कर दिया। वृद्ध को हाथियों ने उठाकर पटक दिया और छाती में पैर रख दिया था, जिससे मौत हो गई थी। उत्पाती हाथियों का झुण्ड सीधी जिला पहुंच गया था, टेकुलाइज में एक हाथी की मौत हुई।
घुनघुटी में हर 15 दिन में ग्रामीणों पर हमला
बांधवगढ़ से सटे इलाकों में हर 15 दिन में ग्रामीणों पर बाघों का हमला हो रहा है। बाघ के हमले में किसी तरह दो युवक भाग निकले थे। लगातार इन क्षेत्रों में बाघों का मूवमेंट गांव तक रहता है। गांव तक बाघ पहुंच जाते हैं और चरवाहों पर हमला करते हैं। बुधवार को भी घुनघुटी के चांदपुर में एक बाघ ने चरवाहे पर हमला कर दिया। कुछ दिन पहले ही जयसिंहनगर में एक वन्यजीव ने एक ग्रामीण पर हमला किया था।
पांच बाघ और शावक का एक के बाद एक शिकार
नवंबर 2017 से लेकर अप्रैल 2018 तक लगातार शहडोल सर्किल में एक के बाद एक पांच बाघों का शिकार हुआ था। एक बाघ के शिकार करने के बाद कल्याणपुर में फेंक दिया गया था। धौराई में बाघ का करंट लगाकर शिकार था। काचोदर में बाघिन और शावक का शिकार हुआ था। इसी तरह हाल जयसिंहनगर के देवरा गांव में भी बाघ की मौत हुई है। काचोदर में शिकार के बाद बाघिन का एक शावक का आज तक नहीं मिला।
अचानक मार्ग, बांधवगढ़, संजय और कान्हा नेशनल पार्क से घिरा है सर्किल
शहडोल सर्किल के तीनों जिले नेशनल पार्को से घिरा है। शहडोल से बांधवगढ़ नेशनल पार्क की दूरी लगभग १०० किमी है। इसी तरह संजय नेशनल पार्क सीधी के बाघों का मूवमेंट भी ब्यौहारी और शहडोल की ओर रहता है। उधर कान्हा नेशनल पार्क और अचानक मार्ग का कॉरीडोर भी जुड़ा हुआ है। इससे अक्सर सर्किल में बाघों का मूवमेंट रहता है। पूर्व में इन क्षेत्रों के बाघों का भी मूवमेंट सर्किल में था। छग की सीमा से सटा होने की वजह से सर्किल में हाथी और अन्य वन्यजीवों का मूवमेंट बना रहता है।
प्रोजेक्ट तैयार कर रहे हैं, अभियान चलाएंगे
वन्यजीवों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। कई बार जंगल और वन्यजीवों के एरिया में दखल की वजह से शिकार की घटनाएं हो रही हैं। कमजोर वन्यजीव जंगलों से बाहर निकल रहे हैं। अधिक आयु के बाघ जंगलों में आसानी से मिलने वाले मवेशियों के शिकार के लिए जंगल से बाहर आते हैं। इस बीच शिकार के साथ हमले की घटना होती है। वन विभाग प्लान तैयार कर रहा है। घटनाओं को रोकने हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। जागरूकता के लिए एक बड़ा प्रोजेक्ट तैयार कर अभियान चलाएंगे।वन्यजीव और ग्रामीणों के बीच बेहतर समन्वय का प्रयास करेंगे
डॉ. एके जोशी, सीसीएफ
वन वृत्त शहडोल।
मप्र छग का वायरलेस लिंक होना चाहिए
हां कई मर्तबा छग के अचानक मार्ग और बांधवगढ़ के वन्यजीवों का खुद की टेरीटरी छोड़ अन्य जगहों की ओर मूव करते हैं। इस बीच वन्यजीव शिकार करते हैं तो कभी खुद शिकार की चपेट में आ जाते हैं। मप्र और छग के वायरलेस सिस्टम लिंक होना चाहिए। इससे वन्यजीवों के मूवमेंट पर नजर रखना आसान होगा। वन्यजीवों ने कहा मूवमेंट किया और किस एरिया की ओर बढ रहे हैं। इस पर निगरानी की जा सकेगी। जंगलों में दखलांजी बढ़ रही है। बाधवगढ़ पार्क एरिया में भी लगातार ग्रामीण अंदरूनी इलाकों में चले जाते हैं। इन पर रोक लगानी होगी।
मृदुल पाठक, फील्ड डायरेक्टर बांधवगढ़ नेशनल पार्क


संतुलन बैठाने में फेल, हाइटेक हो अमला
मानव वन्यप्राणियों के संघर्ष में संतुलन बैठाने में वन विभाग फेल साबित हो रहा है। ग्रामीण को वन्य जीव और वनों के बारे में जागरूक नहीं कर पा रहे हैं। ग्रामीण और वन्यजीवों के बीच संतुलन नहीं बैठा पा रहे हैं। लगातार शिकार होने की वजह भी यहीं है। जंगलों में लगातार अतिक्रमण हो रहा है। दखलांजी की वजह से वन्यजीव मजबूर होकर अपनी टेरीटरी छोड़कर बाहर आ रहे हैं। बाहर आने से वन्य जीवशिकार कर रहे हैं या फिर खुद शिकारियों की चपेट में आ रहे हैं। लोकल ट्राइबल को बढ़ावा देना होगा। इन्ही से संरक्षित किया जा सकता है। मॉनीटरिंग कर मैदानी अमले को मजबूत करना होगा।
अजय दुबे, वरिष्ठ पर्यावरणविद्।

 

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