शाहडोल

प्रकृति ने गोद ले रखा है इस अंचल को, जर्रे-जर्रे से सुनाई देता है नेचर का संगीत

सैर कर दुनिया की गाफिर ये जिंदगानी फिर कहां।जिंदगानी गर रही तो ये नौजवानी फिर कहां।।

शाहडोलSep 27, 2018 / 12:53 pm

shivmangal singh

प्रकृति ने गोद ले रखा है इस अंचल को, जर्रे-जर्रे से सुनाई देता है नेचर का संगीत

शहडोल. इस अंचल को प्रकृति ने गोद ले रखा है। कदम-कदम पर नेचर संगीत सुनाता है। राहुल सांकृत्यायन की बात मानिए आप जहां भी हैं, बैग उठाइए और इस इलाके में घूमने के लिए निकल पडि़ए। आपको यहां बड़े-बड़े नामचीन टूरिस्ट प्लेस घूमने को तो मिलेंगे ही साथ ऐसे भी छोटे-छोटे टूरिस्ट प्लेस भी हैं, जो बहुत नामचीन तो नहीं हैं लेकिन प्राकृतिक रूप से काफी समृद्ध हैं। सुरम्य हैं, कम खर्चे में इनको घूमा जा सकता है। इन छोटे-छोटे टूरिस्ट प्लेस को विकसित करने के लिए प्रशासन विकसित करने के लिए कदम उठाने जा रहा है।
संभाग के आदिवासी अंचलों में प्रकृति से घिरे टूरिस्ट प्लेस को सहेजने की दिशा में प्रशासन ने पहल की है। प्रशासन ने दूरांचलों में स्थित पर्यटन स्थलों को और बेहतर करने के लिए कार्ययोजना बनाई है। इसमें कनेक्टिविटी से लेकर ठहरने और सुरक्षा पर फोकस किया है। कमिश्नर जेके जैन ने इस पर अधिकारियों से चर्चा भी की है। सबकुछ अच्छा रहा तो आने वाले दिनों में संभाग के पर्यटन स्थलों पर फोकस काम शुरू कर देगा। इसको लेकर अधिकारियों द्वारा कार्ययोजना भी बनाई जा रही है। दूरांचलों में स्थित पर्यटन स्थलों तक लोगों के पहुंचने, ठहरने, खानपान और सुरक्षा को लेकर बेहतर करने का प्रयास किया जा रहा है। प्रशासन के इस प्रयास से जहां टूरिज्म को बढ़ावा मिलने के साथ ही घूमने जाने वाले लोगों को सहूलियत होगी तो वहीं कई गांवों के लोग भी इससे रोजगार से जुड़ सकेंगे।
छोटी-बड़ी तुम्मी में लोनावला-खंडाला की झलक
शहडोल से सटे छोटी तुम्मी, बड़ी तुम्मी में महाराष्ट्र के लोनावला खंडाला की झलक है। नेचुरल ब्यूटी होने के साथ ही यहां काफी बेहतर हिल है। सनसेट और सनराइज काफी बेहतर होता है। इसके अलावा बारिश के दिनों में प्रकृति और हरियाली के बीच झरना और नदियां भी आ जाती हैं।
यह हो सकता है प्रयास
फॉरेस्ट और प्रशासन दो कॉटेज तैयार करा सकता है। स्वसहायता समूह को देकर वीलेज फूड और ठहरने की व्यवस्था करा सकता है। इससे ग्रामीणों को रोजगार के साथ डेवलेपमेंट भी होगा।
क्षीरसागर: संगम के साथ बहाव में संगीत
शहर से सटे क्षीरसागर में सोन और मुडऩा का संगम है। यहां एक घाट में चट्टानों के भीतर पानी का तेज बहाव होता है। लोगों का कहना है कि बहाव से संगीत धुन सुनाई देती है। रेत का काफी लंबा घाट लोगों को आकर्षित करता है।
यह हो सकता है प्रयास
पूर्व में यहां पर एडवेंचर्स गेम कराए गए थे लेकिन ठहरने और खानपान की कोई व्यवस्था नहीं है। सुरक्षा के भी इंतजाम नहीं है। इन पर फोकस करते हुए इसे बढ़ावा दिया जा सकता है।

जोहिला : बफर जोन में आकर्षक झरना
शहडोल से लगभग 50 किमी दूर उमरिया जिले का जोहिला फॉल प्रकृति की वादियों से घिरा है। बांधवगढ़ नेशनल पार्क के बफर जोन में होने की वजह से काफी हरियाली और पत्थर की चट्टाने लोगों को आकर्षित करती हैं। बारिश और ठण्ड के दिनों में कई लोग यहां पहुंचते हैं।

लखवरिया, पथखईघाट और चितरांव के फाल
संभाग में प्रकृति के अनोखे नजारे हैं। अनूपपुर में के फॉल है। बारिश में काफी आकर्षक होता है। पथखई घाट में बारिश में बेहतर हिल्स के साथ आकर्षित करने वाले फूल लग जाते हैं। लखवरिया में गुफाएं हैं। चितराव भिम्माडोंगरी में भित्तीचित्र हैं, जो कई दशकों पुराने हैं।
यह हो सकता है प्रयास
बेहतर आवागमन के साधन नहीं हैं। बफर जोन से कंट्रक्शन भी नहीं हो सकता है। बारिश में दिक्कतें आती है। आवागमन के साधन बेहतर और बैरियल में ठहरने की व्यवस्था की जा सकती है। इन पर भी प्रशासन का कार्ययोजना बना रहा है।
संभाग में कई टूरिस्ट प्लेस हैं, जिन्हे काफी बेहतर डेवलेप किया जा सकता है। कई बड़े पर्यटन स्थलों की झलक यहां देखने को मिलती है। इनको सहेजने की दिशा में प्रयास किया जा रहा है।
जेके जैन, कमिश्नर

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