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बड़ी बीमारियों की संजीवनी बन रहा योग: जहां दवा कारगर नहीं, वहां योग से बीमारियों से जीती जंग

locationशाहडोलPublished: Jun 24, 2022 01:03:02 pm

Submitted by:

shubham singh

मन की एकाग्रता के साथ ही आत्मविश्वास बढ़ाने में कारगर

Yoga is becoming the lifeblood of major diseases: Where medicine is not effective, the battle against diseases is won by yoga

Yoga is becoming the lifeblood of major diseases: Where medicine is not effective, the battle against diseases is won by yoga

शहडोल. योग मन की एकाग्रता के साथ ही आत्मविश्वास को बढ़ाने के साथ ही इसे अपनी दिनचर्या में शामिल करने वालों को कई असाध्य बीमारियों से बचाने में भी काफी कारगर है। जिन बीमारियों का इलाज दवाओं से नहीं हो पाया उन्हे कई लोगों ने योग को अपनाकर ठीक किया है। योग के सूक्ष्म व सरल आसन भी आपकी दिनचर्या में शामिल हो जाएं तो आपके लिए काफी कारगर साबित हो सकते हैं। पत्रिका टीम ने कुछ ऐसे लोगों से चर्चा की जिन्होने योग को अपनाकर अपनी बीमारियों व समस्याओं पर काबू पाया। इस दौरान उन्होने अपने अनुभव साझा किए और लोगों से योग को अपनाने की बात कही।
कम हो गई थी आंखों की रोशनी, आते थे झटके
वर्ष 1999 में ब्रेन ट्यूमर का ऑपरेशन होने के बाद शहडोल निवासी रीतेश मिश्रा को कई साइड इफेक्ट होने लगी। आंखो की रोशनी कम हो गई, चक्कर आने के साथ ही झटके भी आने लगे थे। वर्ष 2005 से उन्होने योग प्रारंभ किया और लगभग दो वर्ष बाद उनकी स्थिति में सुधार आने लगा। जिसके बाद उन्होने न केवल इसे अपनी दिनचर्या में शामिल किया बल्कि योग से एमए और डिप्लोमा भी किया। वहीं लगभग 8 वर्ष बाद वह पूर्ण रूप से स्वस्थ्य हो गए। अब वह दूसरों को भी योग का प्रशिक्षण दे रहे हैं। रीतेश का कहना है कि योग से उन्हे न केवल शारीरिक बल्कि आर्थिक व सामाजिक लाभ भी मिला है।
ऑपरेशन के बाद चलने में थे असमर्थ, अब दूसरों को दे रहे परामर्श
नगर के योग परामर्शक नीलेश शुक्ला बताते हैं कि वर्ष 2019 में उनका एक्सीडेंट हो गया था। डॉक्टर ने ऑपरेशन किया इसके पांच माह बाद भी वह चलने-फिरने में असमर्थ थे, पैर भी नहीं मुड़ पा रहा था। इसके बाद उन्होने सूक्ष्म योग के आसन, प्रणायाम प्रारंभ किया। जिसका असर यह हुआ कि उनके पैरे मुडऩे लगे और धीरे-धीरे वह चलने-फिरने लगे। नीलेश शुक्ला बताते हैं कि योग आत्मशक्ति को बढ़ाता है। इससे शारीरिक विकारों के साथ ही मानसिक रोगों का भी समन करता है। योग आत्मशक्ति का विकास कर ब्रम्ह से जीव की मिलन की प्रक्रिया होती है। नीलेश शुक्ला दूसरों को भी योग का परामर्श दे रहे हैं।
स्लिप ***** की वजह से बेड में रहे, योग से मिली राहत
वार्ड क्रमांक 28 कृष्णा कॉलोनी निवासी एस के मिश्रा को वर्ष 2014 में स्लिप ***** की समस्या हो गई थी। उनकी पत्नी आभा मिश्रा ने बताया कि स्थिति यह हो गई थी कि उनके पति बेड पर थे। इलाज भी कराया लेकिन कुछ दिन बाद फिर से वही समस्या आ जाती थी। जिसके बाद उन्होने योग परामर्शक से चर्चा कर स्लिप ***** से संबंधित योग व आसन का प्रशिक्षण लिया। प्रशिक्षण लेने के बाद वह नियमित योग व आसन करने लगे। वर्ष 2014 से वह लगातार योग और आसन को अपना रहे हैं। जिसका परिणाम यह हुआ है कि उनकी स्थिति में काफी सुधार है। उनकी स्लिप ***** की जो समस्या थी उससे काफी कुछ आराम मिला है।
डॉ ने दी थी ऑपरेशन की सलाह, योग से मिला आराम
घुटनो के दर्द से परेशान राजन सिंह बताते हैं कि वर्ष 2012-13 से पैर के घुटनों के दर्द से परेशान था। साटिका ने पूरी तरह से जकड़ लिया था। तकलीफ बढऩे पर योग परामर्शक से सलाह ली। जिस पर उन्होने कुछ योग आसन बताए। उनके पास एक सप्ताह तक उनका अभ्यास भी किया। इसके बाद नित्य योग के अलग-अलग आसनों का अभ्यास प्रारंभ कर दिया। इस बीच डॉक्टर इलाज भी कराने गया तो डॉक्टर ने ऑपरेशन की सलाह दी। जिसके बाद उन्होने इलाज कराने की वजाय योग को ही अपनाया। राजन सिंह का कहना है कि नियमित योग से उनके स्वास्थ्य पर काफी प्रभाव पड़ा है। अब पैर की तकलीफ भी काफी हद तक दूर हो गई है। योगाचार्य व योग प्रशिक्षकों का कहना है कि योग रोगों के उपचार एवं प्रबंधन के अलावा स्वास्थ्य समायोजन के लिए एक प्रभावी तरीका सिद्ध हो रहा है। योग में हो रहे नित्य वैज्ञानिक अनुसंधान के साथ-साथ इससे हो रहे चिकित्सीय लाभों की भी खोज की जा रही है। योग शारिरिक एवं मानसिक तनाव को कम करने, सहानुभूति गतिविधि के दमन, न्यूरोहॉर्मोनल तंत्र को ट्रिगर करके स्वायत्त कार्यों में सुधार करने के लिए सूचित किया गया है। योग थैरेपी हाइपोथैलेमो पिट्यूटरी एड्रेनल अक्ष और सहानुभूति तंत्रिका तंत्र के डाउन-रेगुलेशन के माध्यम से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार कर सकती हैं। योग से हृदय गति और सिस्टोलिक और डायस्टोलिक रक्तचाप में काफी कमी आती है। योग से कई गंभीर बीमारियों को भी ठीक किया जा सकता है।
अनियमित जीवन शैली से होनी लगी थी समस्याएं
योगाचार्य शिवाकांत शुक्ला ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि अनियमित जीवनशैली व दिनचर्या के कारण मुझे कई प्रकार की शारीरिक और मानसिक समस्याएं होने लगी थी। इसी बीच मुझे एक गंभीर बीमारी आंकयलोसिंग स्पॉन्डिलाइटिस ने जकड़ लिया था। कई वर्षों तक इस गंभीर बीमारी से संघर्ष करता रहा कई चिकित्सा सुविधाओं का लाभ लिया लेकिन यह किसी प्रकार से ठीक नहीं हो रहा था। इसमें मुझे डॉक्टर ने स्टेरॉइड के लिए सजेस्ट किया मैने वो भी लिया। उसके बहुत सारे नुकसान है ऐसा जानकर मैंने वह लेना बंद कर दिया और अपने आप को पूर्ण रूप से योग में समर्पित कर दिया। कई विशिष्ट योग संस्थान से मैंने योग का शास्रोक्त अध्ययन कर योग का अभ्यास किया। धीरे-धीरे इस अभ्यास से मुझे चमत्कारिक लाभ प्राप्त होने लगा। मेरे शरीर में लचीलापन बढने लगा एवं दर्द भी समाप्त होने लगा और मैं पुन: स्वस्थ महसूस करने लगा।

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