scriptयोगी आदित्यनाथ की विरासत संभाल सकते हैं स्वामी चिन्मयानंद | BJP leader Chinmayananda may contest election from Gorakhpur seat | Patrika News

योगी आदित्यनाथ की विरासत संभाल सकते हैं स्वामी चिन्मयानंद

locationशाहजहांपुरPublished: Dec 24, 2017 02:01:21 pm

योगी आदित्यनाथ ने इस सीट पर अपने करीबी जौनपुर के पूर्व सांसद एवं पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती को बेहतर पाया है।

Chinmayananda and yogi

Chinmayananda and yogi

शाहजहांपुर। योगी आदित्यनाथ के इस्तीफे के बाद खाली हुई गोरखपुर संसदीय सीट से स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती चुनाव लड़ सकते हैं। इसका खुलासा खुद स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने पत्रिका टीम से बातचीत में किया है। उन्होंने कहा है कि खुद योगी आदित्यनाथ ने उनसे गोरखपुर संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने का आग्रह किया है। इस पर वो विचार कर रहे हैं। जल्द ही फैसला लिया जाएगा।
राजनीतिक दलों में प्रत्याशी पर मंथन शुरू
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने अपनी संसदीय सीट गोरखपुर से इस्तीफा दे दिया है। इसके साथ ही गोरखपुर सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए राजनीतिक दलों ने भी अपने प्रत्याशी की तलाश शुरू कर दी है। भाजपा इस लोकसभा सीट को किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहेंगी। इसलिए पार्टी में प्रत्याशी के लिए मंथन शुरू हो गया है।
खुद योगी ने किया चुनाव लड़ने का आग्रह
योगी आदित्यनाथ ने इस सीट के लिए अपने करीबी जौनपुर के पूर्व सांसद एवं पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती को बेहतर पाया है। पत्रिका से बात करते हुए उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ की बहुत इच्छा है कि वो गोरखपुर से चुनाव लड़े। इस पर विचार विमर्श कर रहे हैं। हालांकि स्वामी चिन्मयानंद के ये भी कहा है कि अब उनका स्वास्थ्य साथ नहीं दे रहा है। इसलिए वो खूब सोच समझकर ही योगी के गोरखपुर संसदीय सीट से चुनाव लड़ने के आग्रह पर फैसला लेंगे।
सीएम योगी के करीबी हैं चिन्मयानंद
बता दें कि योगी आदित्यनाथ गोरखपुर के प्रसिद्ध मंदिर गोरखनाथ के महंत हैं। वो 1998 से लगातार भाजपा से गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती से उनके बेहद करीबी संबंध है। दरअसल, योगी के गुरू महंत अवैद्यनाथ और स्वामी चिन्मयानंद में ज्यादा नजदीकियां थीं। अवैद्यनाथ अपनी मृत्यु से पूर्व योगी के सिर पर स्वामी चिन्मयानंद का हाथ रखवाकर उनका संरक्षक बनाकर गए।

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