इंजीनियर ने बनाई मोबाइल थेरेपी वैन
राजकीय पॉलीटेक्निक कॉलेज में गुरुवार को पूर्व छात्रों के सम्मान में कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें अनुपम गुप्ता ने अपने द्वारा बनाई गई मोबाइल थेरेपी वैन को पेश किया। इस वैन का नाम ‘बुनियाद संजीवनी सेवा’ रखा गया है। केंद्र सरकार ने अनुपम के इस प्रॉजेक्ट को गरीबों के लिए उपयोगी समझते हुए पास किया है। वहीं वर्ल्ड बैंक ने इसके लिए फाइनेंस किया है। बिहार सरकार ने तो इस मोबाइल अस्पताल से मरीजों को इलाज भी मिल रहा है।
राजकीय पॉलीटेक्निक कॉलेज में गुरुवार को पूर्व छात्रों के सम्मान में कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें अनुपम गुप्ता ने अपने द्वारा बनाई गई मोबाइल थेरेपी वैन को पेश किया। इस वैन का नाम ‘बुनियाद संजीवनी सेवा’ रखा गया है। केंद्र सरकार ने अनुपम के इस प्रॉजेक्ट को गरीबों के लिए उपयोगी समझते हुए पास किया है। वहीं वर्ल्ड बैंक ने इसके लिए फाइनेंस किया है। बिहार सरकार ने तो इस मोबाइल अस्पताल से मरीजों को इलाज भी मिल रहा है।
सभी सुविधाओं से लैस है वैन
अनुपम गुप्ता ने बताया कि मोबाइल थेरेपी वैन में सभी प्रकार की जांचों की सुविधाएं हैं। जैसे एमआरआई, एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड, ईसीजी, फिजियोथेरेपी समेत अन्य सभी जांचें। इस वैन में हर वक्त डॉक्टर भी रहते हैं। ये चलता-फिरता अस्पताल उन मरीजों के लिए बेहद लाभदायक है, जो किसी भी कारण मुख्यालय पर अस्पताल नहीं आ सकते। ये वैन उनके घर और गांव तक जाकर इलाज करती है। इसमें गंभीर से गंभीर बीमारी का इलाज भी किया जा सकता है।
अनुपम गुप्ता ने बताया कि मोबाइल थेरेपी वैन में सभी प्रकार की जांचों की सुविधाएं हैं। जैसे एमआरआई, एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड, ईसीजी, फिजियोथेरेपी समेत अन्य सभी जांचें। इस वैन में हर वक्त डॉक्टर भी रहते हैं। ये चलता-फिरता अस्पताल उन मरीजों के लिए बेहद लाभदायक है, जो किसी भी कारण मुख्यालय पर अस्पताल नहीं आ सकते। ये वैन उनके घर और गांव तक जाकर इलाज करती है। इसमें गंभीर से गंभीर बीमारी का इलाज भी किया जा सकता है।
बिहार में बुनियाद संजीवनी सेवा शुरू
एटा जिले के रहने वाले अनुपम गुप्ता ने बताया कि एक मोबाइल थेरेपी वैन बनाने में डेढ़ लाख रुपए की लागत आई है। इसकी खासियत देखकर बिहार सरकार ने 37 मोबाइल थेरेपी वैन बनाने का टेंडर दिया। जो आज वहां ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर मरीजों को स्वास्थ्य सेवाएं दे रही हैं। केंद्र सरकार ने इस प्रोजेक्ट की उपयोगिता समझकर पास किया है। वहीं वर्ल्ड बैंक ने फाइनेंस किया है। अनुपम का कहना है कि भारत गांव में बसता है। गामीण अंचलों के सैकड़ों मरीज समय पर इलाज न मिलने से दम तोड़ देते हैं। ऐसे में ये मोबाइल वैन उन लोगों के संजीवनी से कम नहीं है।
एटा जिले के रहने वाले अनुपम गुप्ता ने बताया कि एक मोबाइल थेरेपी वैन बनाने में डेढ़ लाख रुपए की लागत आई है। इसकी खासियत देखकर बिहार सरकार ने 37 मोबाइल थेरेपी वैन बनाने का टेंडर दिया। जो आज वहां ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर मरीजों को स्वास्थ्य सेवाएं दे रही हैं। केंद्र सरकार ने इस प्रोजेक्ट की उपयोगिता समझकर पास किया है। वहीं वर्ल्ड बैंक ने फाइनेंस किया है। अनुपम का कहना है कि भारत गांव में बसता है। गामीण अंचलों के सैकड़ों मरीज समय पर इलाज न मिलने से दम तोड़ देते हैं। ऐसे में ये मोबाइल वैन उन लोगों के संजीवनी से कम नहीं है।
यूपी में शुरू करने की अपील
राजकीय पॉलीटेक्निक के प्रिंसिपल एएच खान ने इस उपलब्धि पर इंजीनियर अनुपम गुप्ता को बधाई दी है। साथ ही उन्होंने योगी सरकार से भी उत्तर प्रदेश में ‘बुनियाद संजीवनी सेवा’ शुरू करने की अपील की है।
राजकीय पॉलीटेक्निक के प्रिंसिपल एएच खान ने इस उपलब्धि पर इंजीनियर अनुपम गुप्ता को बधाई दी है। साथ ही उन्होंने योगी सरकार से भी उत्तर प्रदेश में ‘बुनियाद संजीवनी सेवा’ शुरू करने की अपील की है।