प्रदेशभर में 108 एम्बुलेंस का संचालन कर रही ठेका कम्पनी जीवीकेईएमआरआई ने कागजों में ही मरीजों को घटनास्थल से राजकीय चिकित्सालय महिला बाग में भर्ती कराना दिखा दिया। इतना ही नहीं चिकित्सा विभाग को झूठी जानकारी पेश कर लाखों का बिल भी उठा लिया।
सूचना का अधिकार के तहत मिली जानकारी में ठेका कम्पनी के इस झूठ का खुलासा हुआ। आश्चर्य की बात तो यह है कि चिकित्सा विभाग ने भी कम्पनी द्वारा पेश किए गए बिल की जांच किए बिना ही भुगतान कर दिया। वहीं ठेका कम्पनी के जिम्मेदार इसे कम्प्यूटर एरर (गलती) बताकर खुद को सही साबित कर रहे हैं।
तीन माह में भर्ती नहीं कराया एक भी मरीज
जीवीके ईएमआरआई कम्पनी ने चिकित्सा विभाग को अप्रेल, मई व जून 2015 में क्रमश: 242, 276 व 284 मरीजों को महिला बाग अस्पताल में पहुंचाना बताया है। जबकि श्याम सुन्दर साद द्वारा सूचना का अधिकार के तहत चिकित्सा विभाग से मिली जानकारी में यह खुलासा हुआ कि अप्रेल, मई व जून 2015 में 108 एम्बुलेंस से एक भी मरीज को अस्पताल में नहीं पहुंचाया गया।
बिना जांच कर दिया भुगतान
नियमानुसार 108 संचालक ठेका कम्पनी द्वारा पेश किए गए बिल व तथ्याों की चिकित्सा विभाग द्वारा जांच करनी चाहिए थी लेकिन जांच किए बिना ही झूठी जानकारी पर ही कम्पनी को भुगतान कर दिया गया। विभाग हर माह प्रति एम्बुलेंस 1,12,500 रुपए का भुगतान करता है।
हर एम्बुलेंस को हर माह करीब 150 ट्रिप पूरी करनी होती हैं यानि प्रति ट्रिप (30 किमी.) एम्बुलेंस को 750 रुपए का भुगतान किया जा रहा है। ऐसे में सूचना का अधिकार में मिली जानकारी के साफ पता चल रहा है कि विभाग की ओर से ठेका कम्पनी को बिना जांचे लाखें रुपए का भुगतान कर दिया गया।
जिम्मेदारों ने बताई कम्प्यूटर एरर
जीवीके ईएमआरआई कम्पनी के जिम्मेदारों से जब इस सम्बंध में बात की तो उन्होंने इसे कम्प्यूटर एरर बताया। एक तरफ उन्होंने यह माना कि महिला बाग अस्पताल में उक्त अवधि में कोई मरीज नहीं पहुंचाया वहीं वे यह भी कह रहे हैं कि सभी केस सही थे लेकिन मरीजों को महिला बाग अस्पताल के बजाय अन्य अस्पतालों में भर्ती कराया था। आश्चर्य की बात तो यह है कि यह कम्प्यूटर एरर कई माह तक कम्पनी के जिम्मेदारों की पकड़ में नहीं आई।
जीवीकेईएमआरआई कम्पनी के जोधपुर जोन प्रभारी अशोक शर्मा से सीधी बातचीत-
रिपोर्टर- कम्पनी ने चिकित्सा विभाग को अप्रेल, मई व जून 2015 में महिला बाग अस्पताल में कुल 802 मरीजों को पहुंचाने की जानकारी दी थी। क्या यह जानकारी सही थी?
शर्मा- यह सही जानकारी नहीं थी। गलती से रिकॉर्ड में महिला बाग अस्पताल में मरीजों को भर्ती कराना दर्शा दिया गया था, जबकि उन मरीजों को अन्य अस्पतालों में भर्ती कराया गया था।
रिपोर्टर- यह गलती कैसे हुई?
शर्मा- कम्प्यूटर एरर की वजह से यह गलती हो गई थी। वैसे सभी केस सही थे। बस उनको महिला बाग अस्पताल के बजाय अन्य अस्पतालों में भर्ती कराया गया था। चिकित्स विभाग ने हमसे स्पष्टीकरण भी मांगा था जिसमें हमने यह जानकारी उनको दे दी।