दरअसल जिलाधिकारी अमृत त्रिपाठी को तहसील दिवस के दौरान विकलांग विभाग के खिलाफ पेंशन घोटाले की शिकायत मिली थी। जब जिलाधिकारी ने मिर्जापुर और कलान ब्लॉक के कुछ गांवों में इसी जांच कराई तो मामले का खुलासा हो गया। महज दो ब्लॉकों में ही सैकड़ों ऐसे लोग मिले जो विकलांग नहीं थे। दर्जनों ऐसे थे, जो जिन्दा ही नहीं थे। वहीं कई ऐसे लाभार्थी मिले जो गांव में रहते ही नहीं थे। ये पूरा घोटाला वर्ष 2016 में सपा के कार्यकाल में किया गया था। जिलाधिकारी ने जांच पूरी होने के बाद कार्रवाई करते हुए तत्कालीन जिला विकलांग अधिकारी रंजीत सोनकर और जिला विकलांग अधिकारी वीरपाल सहित छह कर्मचारियों के खिलाफ सदर थाने में गबन और धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया गया है।
आपको बता दें कि इससे पहले समाजकल्याण विभाग में भी करोड़ों रुपए का छात्रवृत्ति घोटाला हो चुका है, लेकिन वो घोटाला फाइलों में गुम हो गया। इस विकलांग घोटाले में जिलाधिकारी ने बिना देरी के सभी जिम्मेदार अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया है। डीएम के आदेश के बाद सभी की गिरफ्तारी की तैयारी की जा रही है। फिलहाल अब डीएम ने पूरे जनपद को 250 सेक्टर बांट कर दूसरी योजनाओं में गड़बड़ झाले की जांच शुरू कर दी है। जिलाधिकारी की कार्रवाई के बाद सरकारी महकमे में हड़कंप मचा हुआ है।