खादी भण्डार के कर्मचारी जिला प्रशासन की कार्यशौली से नाराज हैं। जिला प्रशासन ने गरीबों के बांटे जाने वाला कम्बल खादी भण्डार से न खरीदकर एक प्राइवेट कम्पनी से खरीदे हैं।
कर्मचारी स्वतंत्रदेव को आरोप है कि इसकी एवज में अधिकारियों ने मोटा कमीशन लिया है। शासनादेश के अनुसार कम्बलों की खरीद खादी भण्डार से की जानी थी।
खादी भण्डार ने बाकायदा टेन्डर भी डाला था। कम्बल की बेहतर गुणवत्ता को देखते हुए एक कम्बल का रेट 460 रुपया रखा गया था।
आरोप है कि कमीशनखोरी के चलते जिला प्रशासन ने 25 लाख के कम्बल की खरीद एक निजी कम्पनी से कर ली।
खादी ग्रामोउद्योग को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमन्त्री ने लोगों से अपील की थी कि देश का हर नागरिक खादी से बनी चीजें जरूर खरीदे ताकि खादी उद्योग को बढ़ावा मिल सके।
उत्तर प्रदेश में हुई कम्बल खरीद में खादी आश्रम मुंह ताकता रह गया। ऐसे में अगर कम्बल की खरीद खादी भण्डार से की जाती तो शायद दम तोड़ रहे इस उद्योग को एक बार फिर से जिन्दा किया जा सकता था।