बारिश से बरबादी इस साल लहलहाती गन्ने की फसल देख मन में बच्चों की अच्छी पढ़ाई के खर्च के साथ ही सिर पर छत के इंतजाम की भी सोचने लगे थे। गन्ना किसानों की ये खुशी ज्यादा दिन तक नहीं रह सकी। करीब दो महीना पहले हुई बेमौसम बरसात ने गन्ना किसानों की कमर तोड़ दी। गन्ना की फसल गिरकर बर्बाद हो गयी। तेज हवा के साथ हुई बरसात से जमीन गीली हो जाने से लम्बे लम्बे गन्ने के झुण्ड जमीन से उखड़ गए थे, जिससे गन्ना का वजन हल्का होने के साथ ही गन्ना कटाई के बाद उसी जड़ से तैयार होने वाली फसल पूरी तरह से न होने की संभावना ज्यादा मजबूत हो गयी है।
निजी गन्ना क्रय केंद्र किसान की फसल को चीनी मिल मालिक अपनी मर्जी से अपने भाव से खरीद रहे हैं। किसान द्वारा जब पूछा जाता है तो चीनी मिल मालिक गन्ना लेने से इनकार कर देते है। इतना ही नहीं किसान चीनी मिलों द्वारा सताए जाने से आहत हो जाता है। वही गन्ना माफिया चीनी मिलों के इर्दगिर्द या फिर इलाकों में अपने निजी गन्ना क्रय केंद्र खोलकर मनचाहे दामों पर खरीद करते हैं। चीनी मिल से सांठगाँठ कर अपनी गन्ना तौल पर्ची को जारी करवा लेते हैं और किसान से खरीदे गए कम दामों के गन्ने को चीनी मिलों को आपूर्ति करते है।
ये है भाव आपको बता दें कि जिले में कुल पांच चीनी मिल है। दो सहकारी तो तीन निजी चीनी मिले हैं। दि किसान सहकारी चीनी पुवायां तिलहर में है, तो डालमिया ग्रुप की डालमियां चीनी मिल गिरगीचा, बिरला ग्रुप की रोजा सुगर वर्क्स रोजा और बजाज ग्रुप की बजाज हिन्दुस्तान चीनी मिल हैं। सरकार द्वारा अर्ली गन्ने का सरकारी भाव 325 रुपया प्रति कुंतल और सामान्य गन्ने का भाव 315 रुपया प्रति कुंतल है। गन्ना माफिया किसानों से 180 से 200 रुपया प्रति कुंतल तक खरीद करते हैं। चीनी मिलों में जुगाड़बाजी कर सरकारी भाव पर सप्लाई करते है। ख़ास बात ये भी है कि इन गन्ना माफियाओं में चीनी मिलों के बड़े-बड़े अधिकारी और कर्मचारी भी शामिल है। चीनी मिलों में गन्ना पेराई सत्र के दौरान ये अधिकारी अपने नाते रिश्तेदारों तक को किसान से गन्ना खरीद फरोख्त में बुलाकर लगा लेते हैं। इस बारे में कोई भी चीनी मिल मालिक बोलने को तैयार नहीं है।