एसआईटी का नेतृत्व कर रहे आईजी नवीन अरोड़ा ने बताया कि एफएसएल से हमे मिरर इमेज और अन्य फॉरेंसिक साक्ष्य आने का इन्तजार था। उन्होंने कहा कि गुरूवार शाम उन्हें दोनों पेन ड्राइव मिल गई थी जो दोनों पक्षों ने उपलब्ध कराई थी। आईजी ने बताया कि पांच करोड़ रंगदारी मांगने से संबंधित जो वीडियो थी। जिसमे पीड़ित छात्रा और उसके तीन साथी कार में जा रहे हैं एक होटल में उनके रुकने का वीडियो है। इसमें उन लोगों ने अपनी संलिप्ता स्वीकार कर ली है। पांच करोड़ रूपये मांगने की भी बात उन लोगों ने स्वीकार की। आईजी ने बताया कि जो दूसरी वीडियो पीड़िता और उसके पक्ष के द्वारा प्रस्तुत की गई थी। जिसमे स्वामी मसाज कराते दिख रहे हैं, उसे स्वामी को दिखाया गया और उनसे सवाल किया गया जिसके बाद स्वामी ने स्वीकार कर लिया कि ये उनके खुद के वीडियो है। स्वामी चिन्मयानंद का एसआईटी को बयान दिया था कि जब आपने सब देख ही लिया है तो इस बारे में मुझे कुछ नहीं कहना है और वो अपनी गलती पर शर्मिंदा है।
आईजी का कहना है कि दोनों ही पक्षों को उनके आरोप बता कर विभिन्न धाराओं में उनका चालान किया गया है। दोनों पक्षों की तरफ से दर्ज कराए गए मुकदमों में धाराएं बढ़ा दी गई हैं। रंगदारी मांगने वाले मामले में आईपीसी की धारा 387,507 और 67 आईटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था जिसे तरमीम किया गया है इस मामले में आईपीसी की धारा 385, 506, 201, 34 और 67 A लगाकार तीन आरोपियों संजय सिंह, विक्रम उर्फ़ दुर्गेश और सचिन उर्फ़ सोनू सेंगर का चालान किया गया है। वहीँ छात्रा के पिता की तरफ से स्वामी चिन्मयानन्द के खिलाफ आईपीसी की धारा 364, 506 के तहत केस दर्ज कराया गया था इसे 376 C, 354 D, 342, 506 में तरमीम कर स्वामी चिन्मयानन्द को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया जहाँ से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।