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बंपर पैदावर के बाद भी मिल मालिकों की मनमानी और बिचौलियों ने छीनी गन्ने की ‘मिठास’

locationशाहजहांपुरPublished: May 27, 2018 04:23:20 pm

किसान यह भी स्वीकार करते हैं कि पहली बार निजी क्षेत्र की चीनी मिलें समय से गन्ना भुगतान कर रही हैं।

sugarcane farmers

किसानों ने माना- पहली बार सरकार ने दिया ध्यान लेकिन अभी हालात नहीं सुधरे

शाहजहांपुर। प्रदेश सरकार ने गन्ना किसानों को राहत देने की तमाम कोशिश की लेकिन किसान को अभी भी राहत नहीं मिल पा रही है। कहीं बिचौलिए हावी हैं तो कहीं गन्ना मिलों की मनमानी से किसानों का गन्ना सूख रहा है। इन सब हालातों के बीच किसान एक बार जरूर कहता है कि इस बार उसे राहत देने की जितनी कोशिश की गई है इससे पहले नहीं की गई, हालांकि किसान को राहत देने के लिए लिए किए गए सभी प्रयास अभी नाकाफी साबित हो रहे हैं।
बिचौलिया हावी

केंद्र की मोदी सरकार और प्रदेश की योगी सरकार द्वारा किसानों को गन्ने का घोषित बाजिव समर्थन मूल्य देने का एलान किया था। प्रदेश में किसानों को सीधा लाभ मिले और गन्ना माफियों से किसानों को छुटकारा दिलाने के उद्देश्य से योगी सरकार ने गन्ना माफियाओं पर रासुका लगाने और सभी चीनी मिलों को किसानों द्वारा की गई गन्ना आपूर्ति के 14 दिनों के अंदर भुगतान किसानों के खातों में पहुंचाने का फरमान जारी किया था। जिसके बाद किसानों को बीजेपी सरकार में उम्मीद जागी थी इसी उम्मीद के चलते किसानों की कड़ी मेहनत और लागत से खेतों में रिकॉर्ड तोड़ गन्ना की पैदावार हुई। गन्ने की हुई अधिक पैदावार के चलते चीनी मिलों का कोटा फुल हो गया। जिसके बाद चीनी मील किसानों का गन्ना लेने से इंकार कर रहे हैं। वहीं कुछ मिल तो आये दिन खराबी का बहाना बनाकर मिलों की पेराई ही बंद कर रहे हैं जिसके चलते किसानों का गन्ना खेतों में खड़ा सूख रहा है। गन्ना न बिकने से आज बदहाल और बरबाद किसान परेशान होकर चीनी मिलों के बाहर हंगामा काट रहे हैं। वहीं मजबूर किसानों पर मिल प्रशासन जमकर गुंडई दिखा रहा है। फ़िलहाल मुख्यमंत्री और जिला प्रशासन के तमाम दावों के बाद भी जनपद का छोटा और मझोला किसान बदहाल नजर आरहा है। वहीं हर बार की तरह सट्टा बिचौलिए मलाई खा रहे हैं।
खेतों में सूख रहा गन्ना

आप को बता दें कि शाहजहांपुर जनपद में निजी और सहकारी क्षेत्र की पांच चीनी मिले हैं जिसमें तिलहर चीनी मिल और पुवायां चीनी मिल सरकारी है। रोजा चीनी मिल, मकसूदापुर चीनी मिल, निगोही की डालमिया चीनी मिल प्राइवेट हैं। प्रदेश सरकार की मंशानुरूप सभी मिलों को छोटे और मझोले किसानों को 45 दिनों के अंदर सप्लाई टिकट निर्गत कराये जाने थे ताकि उनका गन्ना चीनी मिलों पर समय से डाला जा सके और 14 दिन में समय पर उनका भुगतान हो सके लेकिन सरकार के आदेशों को चीनी मिलों ने जमकर ठेंगा दिखाया। निगोही के द्वारिका प्रसाद ने बताया कि गन्ना माफियाओं की सांठगांठ के चलते छोटे और मझोले किसानों को पर्चियां समय से नहीं मिलतींं जिसके चलते किसान खेतों में सूख रहे गन्ने को औने पौने दामों पर बिचौलियों को बेचने को मजबूर होता हैं।
ब्लॉक ददरौल के गुवारी निवासी मनोज वर्मा ने बताया गन्ना सर्वे के नाम पर चीनी मिल कर्मचारी किसानों से पर्ची के नाम पर जमकर धन उगाही करते हैं। वहीं चीनी मिलों और अधिकारियों की मानें तो गन्ने की पर्चियां गन्ना सर्वे एवं गन्ने के बेसिक कोटे के कलैंडर के आधार पर बनाई जाती है। अधिकारियों की पोल उस समय खुल गई जब रोजा चीनी मिल में छापे के दौरान 80 फर्जी सट्टों को सीज कर उनका भुगतान रोका गया था। उस समय तत्कालीन जिला गन्ना अधिकारी द्वारा गन्ना माफियों पर रोज़ा, निगोही में कई माफियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराकर उनका गन्ना जब्त किया गया था।
मिल की मशीनें हो रहीं खराब

मिलों का पेराई सत्र पूरा हो चुका है जिसके चलते मिलों ने मशीनों में आये दिन खराबी की बात कहकर गन्ने की तौल भी करना बंद कर दी है। लेकिन किसानों की मानें अभी भी लाखों कुंतल किसानों का गन्ना खेतों में खड़ा सूख रहा है। खुदागंज के हरिओम गंगवार ने बताया पर्ची न मिलने से उसका गन्ना खेतों में सूख गया जिसके बाद औने पौने दामों में बिचौलियों को बेचना पड़ा। जिले में गन्ना की अधिक पैदावार होने के चलते जहां चीनी मिलें बंद होने की कगार पर हैं वहीं किसान खेतों में खड़े अपने गन्ने को देख देख कर परेशान हो रहा है।

सरकारी नियमों के मुताबिक चीनी मिलें नहीं कर रहीं भुगतान

सरकार के नियम के मुताबिक कोई भी चीनी मिल किसानों का गन्ना बकाया भुगतान नहीं कर रही है। जिले की चीनी मिलों में भुगतान के नाम पर रोजा ने 22 मार्च तक का भुगतान कर अग्रता बना ली है। निगोही ने 21 मार्च तक का भुगतान किया है। पुवायां ने भी 15 मार्च तक का भुगतान कर दिया है। वहीं तिलहर चीनी मिल ने सिर्फ सात फरवरी तक का ही भुगतान किया है। सबसे ज्यादा दयनीय स्थिति मकसूदापुर चीनी मिल की है। मिल प्रबंधन ने अभी तक 13 जनवरी तक का भी गन्ना बकाया भुगतान किया। जबकि गन्ना बिक्री के 14 दिन के भीतर भुगतान का नियम है लेकिन सभी मिल सरकार के नियमों को धता बता मनमानी पर उतारू हैं।
किसानों और अधिकारियों पर गन्ना माफिया है हाबी

वहीं जनपद के किसानों ने बताया पिछले एक दशक से गन्ने के क्षेत्र में माफिया हावी है। यह खेल सर्वे से ही शुरू हो जाता है। प्रदेश में भाजपा सरकार आने के बाद पहली बार प्रशासन इतना प्रयास कर रहा है लेकिन समस्या यही है कि ज्यादातर बड़े किसान ही गन्ना माफिया हैं जिनको पकड़ने में प्रशासन नाकाम रहता है लेकिन किसान यह भी स्वीकार करते हैं कि पहली बार निजी क्षेत्र की चीनी मिलें समय से गन्ना भुगतान कर रही हैं।

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