scriptअस्पतालों को बायोमेडिकल वेस्ट का देना होगा लेखा-जोखा | Accounts to be given to biomedical waste of hospitals | Patrika News

अस्पतालों को बायोमेडिकल वेस्ट का देना होगा लेखा-जोखा

locationशाजापुरPublished: Feb 06, 2018 11:44:33 pm

Submitted by:

Gopal Bajpai

केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) ने शासकीय व प्राइवेट अस्पतालों से निकलने वाले बायोमेडिकल वेस्ट के लिए नई गाइडलाइन जारी की है।

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शाजापुर. केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) ने शासकीय व प्राइवेट अस्पतालों से निकलने वाले बायोमेडिकल वेस्ट के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। इसके तहत अब हर दिन अस्पताल से निकलने वाले कचरे की जानकारी वेबसाइट पर अपडेट करना होगी। हालिया स्थिति देखें तो जिले में १५० के करीब प्राइवेट क्लीनिक व नर्सिंगहोम संचालित हो रहे हैं। कुछेक नर्सिंगहोम में नियमों का पालन कर अस्तपताल से निकलने वाले वेस्ट मटेरियल निजी कंपनी को सौंपा जाता है। वहीं तमाम पंजीकृत एवं नॉन पंजीकृत क्लीनिक का निकलने वाला वेस्ट मटेरियल यहां-वहां कूड़े के ढेर में फेंक दिया जाता है।
सरकारी व निजी अस्पतालों से प्रतिदिन बड़ी मात्रा में बायोमेडिकल वेस्ट निकलता है। अब तक अस्पताल प्रबंधन इस कचरे को किस तरह और कहां नष्ट करता और अस्पताल से कितना कचरा निकल रहा है, इसकी कोई जानकारी अपडेट नहीं रहती थी। सीपीसीबी ने अब यह तय कर लिया है कि अस्पतालों को अपने यहां से निकलने वाले बायोमेडिकल वेस्ट का रिकॉर्ड सार्वजनिक करना होगा। इसको लेकर सीपीसीबी ने प्रदेश स्वास्थ्य विभाग की गाइड लाइन जारी की है। इसके बाद सभी सीएमएचओ कार्यालयों को इसके निर्देश जारी किए जाएंगे। इसके लिए अब हर निजी अस्पताल की वेबसाइट होना आवश्यक होगा। जिस पर प्रतिदिन निकलने वाले वेस्ट का रिकॉर्ड अपलोड करना होगा। फिलहाल शाजापुर जिला अस्पताल से निकलने वाला बायोमेडिकल वेस्ट इंदौर की एक निजी कंपनी ले जाती है। वहीं शहर के कुछ निजी अस्पतालों का मेडिकल वेस्ट भी वहीं कंपनी ले जाती है।
फैलती हैं गंभीर बीमारियां
सवास्थ्य और पर्यावरण के लिए जैव चिकित्सा अपशिष्ट खतरनाक है, इससे न सिर्फ गंभीर बीमारियां फैलती है, बल्कि थल ओर वायु सभी दूषित होते हैं। ये कचरा भले ही एक अस्पताल के लिए मामूली कचरा हो, लेकिन भारत सरकार व मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के अनुसार यह मौत का सामान है। ऐसे कचरे सेएचआईवी, महामारी, हेपेटाइटिस जैसी बीमारियां होने का भी डर बना रहता है।
ट्रेंचिंग ग्राउंड पर पड़ा हुआ है मेडिकल वेस्ट
बायोमेडिकल वेस्ट को लेकर तय की गई नई गाइडलाइन से पंजीकृत अस्पतालों पर दबाव रहेगा, लेकिन झोलाछाप की मनमानी जारी रहेगी। शहर के वार्ड ९ में बना टं्रेचिंग ग्राउंड में क्लीनिकों से निकलने वाला बायोमेडिकल वेस्ट देखा जा सकता है। शहर में संचालित होने वाले अनेक गैर पंजीकृत क्लीनिकों का वेस्ट मटेरियल टं्रेचिंग ग्राउंड पर फेंका जाता है।
जुर्माने और सजा का प्रावधान
बायोमेडिकल वेस्ट अधिनियम १९९८ के अनुसार निजी व सरकारी अस्पतालों द्वारा चिकित्सीय जैविक कचरे को खुले में या सड़कों पर नहीं फेंकना चाहिए। न ही इस कचरे को नगर पालिका के कचरे में मिलाना चाहिए। साथ ही स्थानीय कूड़ाघरों में भी नहीं डालना चाहिए। इस कचरे में फेंकी जाने वाली सलाइन बोतले और सिरिंज कबाडिय़ों के हाथो से होती हुईअवैध पैकिंग का काम करने वालों तक पहुंचती है, जहां से इन्हें साफ कर नई पैकिंग में बाजार में बेच दिया जाता है। जैविक कचरे को खुले में डालने पर अस्पतालों के खिलाफ जुर्माने व सजा का भी प्रावधान है।
अभी सीपीसीबी के निर्देश नहीं मिले हैं। निर्देश मिलते ही सभी अस्पतालों को सूचना दी जाएगी, जो भी निर्देश मिलेंगे उसका पालन किया जाएगा।
जीएल सोढ़ी, सीएमएचओ, शाजापुर

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