script7 साल इंतजार के बाद अब शहर की पहचान के अच्छे दिन आने की उम्मीद | After 7 years of waiting, now the days of recognition of the city are | Patrika News

7 साल इंतजार के बाद अब शहर की पहचान के अच्छे दिन आने की उम्मीद

locationशाजापुरPublished: Feb 10, 2020 10:35:16 pm

Submitted by:

Piyush bhawsar

बारिश में ढह गई किले की दीवार की नगर पालिका कराएगी मरम्मत, कलेक्टर के निर्देश पर परिषद की बैठक में पास किया प्रस्ताव

After 7 years of waiting, now the days of recognition of the city are

7 साल इंतजार के बाद अब शहर की पहचान के अच्छे दिन आने की उम्मीद

शाजापुर.

शहर की पहचान मुगल कालिन किले में 5 शासकीय स्कूल जिन्हें मिलाकर एक एकीकृत शाला बनाई गई है संचालित होती है। इसमें सैकड़ों विद्यार्थी प्रतिदिन अध्ययन करने के लिए पहुंचते है। कक्षा 1 से लेकर 8 तक के इन विद्यार्थियों की जान स्कूल के बाहर खतरे में रहती है। क्योंकि किला परिसर में जिस स्थान पर ये स्कूल संचालित होते है उससे कुछ ही दूरी पर करीब 7 साल पहले किले की दीवार का कुछ हिस्सा ढह गया था। इसके बाद इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। आज हालत यह है कि पहले जो हिस्सा छोटे से क्षेत्र में गिरा हुआ था अब उसका दायरा बढ़ गया है। इसके बाद भी जिम्मेदार अधिकारियो ंने इसकी सुध नहीं ली। ऐसे में किसी भी यहां पर हादसा हो सकता है। इस संबंध में पत्रिका ने समय-समय पर खबरें प्रकाशित करते जिला प्रशासन का ध्यान इस ओर आकर्षित कराया। इसका परिणाम यह हुआ कि गत दिनों कलेक्टर ने यहां का निरीक्षण किया था। इसके बाद नगर पालिका को हुए किले की दीवार की मरम्मत कराने के लिए निर्देश दिए थे। इन निर्देशों के पालन ने नपा ने गत दिनों हुई नपा परिषद की बैठक में किले की दीवार की मरम्मत का प्रस्ताव पास कर दिया है। जल्द ही यहां पर काम शुरू होने की बात भी कही जा रही है। इससे किले की स्थिति में सुधार हो जाएगा।

दरअसल लगातार बारिश के चलते 31 जुलाई 2013 को शहर में स्थित मुगल कालिन किले की दीवार का एक परकोटा भरभराकर चीलर नदी में गिर गया था। अचानक शहर की प्राचीन धरोहर के दरकने की खबर लगते ही पूरा विभागीय अमला अलर्ट हो गया था। तत्कालीन समय में यहां पर जिला प्रशासन सहित पुरात्तव विभाग की टीम ने भी इंदौर से आकर निरीक्षण किया था। इसके बाद किले की जो दीवार गिरी थी उसे दोबारा निर्माण के लिए चर्चा चली, लेकिन पुरातत्व विभाग के अधिन होने के कारण यहां पर किसी प्रकार का निर्माण पुरातत्व विभाग की अनुमति के बगैर नहीं हो सकता था। पुरातत्व विभाग ने भी जल्द ही इस मामले में कार्रवाई का आश्वासन दिया था, लेकिन बाद में ये मामला ठंडे बस्ते में पटक दिया गया। 7 साल गुजरने के बाद भी इसकी ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा थी। इसके चलते एक ओर जहां ये धरोहर लगातार दरक रही है, वहीं यहां पर हर समय जान-माल का खतरा बना रहता था। इसी समस्या को लेकर पत्रिका द्वारा प्रकाशित खबरों के बाद कलेक्टर डॉ. वीरेंद्रसिंह रावत ने यहां का निरीक्षण करते हुए नपा को इसकी मरम्मत कराने के लिए कहा था। इसके बाद नपा ने परिषद की बैठक में उक्त प्रस्ताव को रखा। जिसे सर्वसम्मति से पास किया गया। अब उक्त किले की दीवार की मरम्मत की जाएगी। जिससे किला फिर से अपने पुराने स्वरूप में आ जाएगा। वहीं यहां पर मंडरा रहे खतरे से भी निजात मिल जाएगी।

इनका कहना है
पिछले दिनों कलेक्टर ने किला परिसर का निरीक्षण किया था। इसके बाद उन्होंने किला परिसर के अंदर जो दीवार टूट गई है उसकी मरम्मत करने के लिए निर्देश दिए थे। निर्देशों के पालन में परिषद की बैठक में प्रस्ताव को पास किया गया। अब जल्द ही किले की दीवार की मरम्मत की जाएगी।
– भूपेंद्रकुमार दीक्षित, मुख्य नगर पालिका अधिकारी-शाजापुर

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो