दरअसल लगातार बारिश के चलते 31 जुलाई 2013 को शहर में स्थित मुगल कालिन किले की दीवार का एक परकोटा भरभराकर चीलर नदी में गिर गया था। अचानक शहर की प्राचीन धरोहर के दरकने की खबर लगते ही पूरा विभागीय अमला अलर्ट हो गया था। तत्कालीन समय में यहां पर जिला प्रशासन सहित पुरात्तव विभाग की टीम ने भी इंदौर से आकर निरीक्षण किया था। इसके बाद किले की जो दीवार गिरी थी उसे दोबारा निर्माण के लिए चर्चा चली, लेकिन पुरातत्व विभाग के अधिन होने के कारण यहां पर किसी प्रकार का निर्माण पुरातत्व विभाग की अनुमति के बगैर नहीं हो सकता था। पुरातत्व विभाग ने भी जल्द ही इस मामले में कार्रवाई का आश्वासन दिया था, लेकिन बाद में ये मामला ठंडे बस्ते में पटक दिया गया। 7 साल गुजरने के बाद भी इसकी ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा थी। इसके चलते एक ओर जहां ये धरोहर लगातार दरक रही है, वहीं यहां पर हर समय जान-माल का खतरा बना रहता था। इसी समस्या को लेकर पत्रिका द्वारा प्रकाशित खबरों के बाद कलेक्टर डॉ. वीरेंद्रसिंह रावत ने यहां का निरीक्षण करते हुए नपा को इसकी मरम्मत कराने के लिए कहा था। इसके बाद नपा ने परिषद की बैठक में उक्त प्रस्ताव को रखा। जिसे सर्वसम्मति से पास किया गया। अब उक्त किले की दीवार की मरम्मत की जाएगी। जिससे किला फिर से अपने पुराने स्वरूप में आ जाएगा। वहीं यहां पर मंडरा रहे खतरे से भी निजात मिल जाएगी।
इनका कहना है
पिछले दिनों कलेक्टर ने किला परिसर का निरीक्षण किया था। इसके बाद उन्होंने किला परिसर के अंदर जो दीवार टूट गई है उसकी मरम्मत करने के लिए निर्देश दिए थे। निर्देशों के पालन में परिषद की बैठक में प्रस्ताव को पास किया गया। अब जल्द ही किले की दीवार की मरम्मत की जाएगी।
– भूपेंद्रकुमार दीक्षित, मुख्य नगर पालिका अधिकारी-शाजापुर