ऐसे में आज हम आपको ऐसे ही परिवार के बारे में बता रहे हैं, जिसमें पुत्र के शहीद होने के बाद 11 माह घूंघट में रहने वाले उसी परिवार की बहु ने जिसने कभी पटाखे तक नहीं फोड़े थे, देश सेवा व जन सेवा के लिए आज AK 47 तक उठा ली है।
दरअसल शाजापुर जिले के छोटे से गांव राघवखेड़ी की 33 साल की पूजा सोलंकी के पति हर्षवर्धन सिंह गरोलंकी बालाघाट के लांजी थाने में एसआई थे, जो 13 जनवरी 2019 को वीआईपी इयूटी के दौरान शहीद हो गए थे। यहां उनकी ड्यूटी विधानसभा अध्यक्ष के फॉल व्हीकल में लगी थी। तभी एक ट्रक ने उनके वाहन को टक्कर मार दी, जिसमें उनके पति सहित अन्य तीन पुलिसकर्मी शहीद हो गए।
उस समय पूजा की गोद में डेढ़ साल का बेटा और साढ़े तीन साल की बेटी थी। और दोनों ही सिजेरियन से हुए थे। इसके बाद जब पूजा को अनुकंपा नियुक्ति मिली तो वह इस सोच कर परेशानी में आ गईं कि वे पुलिस की नौकरी कैसे कर पाएंगी। ऐसे में आगे आए उनके पति के पिता (ससुर) ने पूजा से कहा कि जो मेरा बेटा नहीं कर पाया, वो तुम करोगी।
ससुर के इन शब्दों ने पूजा का हौंसला इस कदर बढ़ाया कि वे अपने बच्चों को अपनी दीदी के पास भेजकर पुलिस ट्रेनिंग में जुट गईं। वहीं इनकी पुलिस ट्रेनिंग 01 जनवरी 2021 से 21 फरवरी 2022 तक चली।
ऐसे हुई नियुक्ति
पूजा एमबीए पास गृहिणी थीं, लेकिन उन्होंने नौकरी का कभी सोचा नहीं था। ऐसे में उनके पति हर्षवर्धन सिंह गरोलंकी के वीआईपी इयूटी के दौरान शहीद होने के बाद सरकार ने केस को विशेष मानते हुए उन्हें अनुकंपा नियुक्ति के तहत पति के स्थान पर एसआई बना दिया। यानि पति की शहादत के बाद करीब 11 माह बाद वह सब इंस्पेक्टर बन गईं।
दरअसल पूजा के परिवार में घूंघट प्रथा तो थी ही साथ ही ट्रेनिंग के दौरान भी उनके साथ ज्यादातर ऐसे ट्रेनीज थे, जो पहले से एसआई की तैयारी कर रहे थे। ऐसे में उन्हें कोई विशेष छूट मिलना मुमकिन नहीं था। जिसके चलते पूजा को ज्यादा मेहनत करनी पड़ी।