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प्रदेश में आगर-शाजापुर जिले ने इस फल के उत्पादन में पाया मुकाम

locationशाजापुरPublished: Feb 05, 2019 11:42:34 pm

Submitted by:

Lalit Saxena

संतरे की गुणवत्ता व उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को वैज्ञानिकों ने दी सलाह, किसानों ने बताई काली मिस्सी व अफलन की समस्या

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शाजापुर. देश में सर्वाधिक संतरे का उत्पादन मप्र में १ लाख २१ हजार हेक्टेयर में होता है। मप्र में सर्वाधिक उत्पादन में आगर दूसरे और शाजापुर तीसरे नंबर पर आता है, लेकिन संतरा उत्पादन को लेकर दोनों जिले में दो समस्याएं किसानों के सामने हैं। पहली मिस्सी और अफसल और दूसरी किसानों का कंपनियों से सीधा संपर्क नहीं होगा। इससे किसानों को उचित दाम नहीं मिल पाता। गुणवत्ता और उत्पादन बढ़ाने के साथ ही किसानों का माल सीधे कंपनी खरीदती है तो किसानों को अधिक फायदा होगा। आगर जिले के ४२ हजार ४३३ और शाजापुर जिले के १२६०० हेक्टेयर में होने वाले संतरे उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए मंगलवार को कृषि विज्ञान केंद्र में संगोष्ठी हुई। संतरे अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक सहित अन्य कृषि वैज्ञानिकों ने आवश्यक जानकारी दी। किसानों ने मिस्सी और अफलन समस्या बताई। जिससे दो वर्षों से जिले में संतरे का उत्पादन प्रभावित हो रहा है।
२०० से अधिक किसान हुए शामिल
कृषि विज्ञान केंद्र में उद्यानिकी विभाग द्वारा संतरा उत्पादन एवं जीर्णोद्धार विषय पर संगोष्ठी के मुख्य अतिथि पूर्व प्रधान वैज्ञानिक संतरा अनुसंधान केंद्र छिंदवाड़ा एसआर धारपुरे थे। अध्यक्षता कृषि कॉलेज इंदौर प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. जीआर अंबावतिया ने की। संयुक्त संचालक उज्जैन उद्यानिकी एसपीएस कुशवाह, वरिष्ठ वैज्ञानिक संचनालय भोपाल डॉं. विजय अग्रवाल, केंद्र प्रमुख डॉ. एसएस धाकड़, डॉ. गायत्री वर्मा, डॉ. मुकेश सिंह, उपसंचालक उद्यानिकी शाजापुर केपीएस परिहार, रत्नेष विश्वकर्मा, हितेंद्र इंदौरिया साथ ही जिले के विभागीय अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे। 200 से अधिक प्रगतिशील किसान उपस्थित थे। कुशवाह ने संगोष्ठी के उद्देश्य एवं महत्व पर प्रकाश डाला। केंद्र प्रमुख डॉ. एसएस धाकड़ ने रबी फसलों की उन्नत कृषि तकनीकी की जानकारी के साथ ही उन्नत कृषि यंत्र एंव सिंचाई की उन्नत विधियों की जानकारी दी। केंद्र फसल संग्रहालय में प्रदर्शित तकनीकियों को ज्यादा से ज्यादा कृषकों को देखने एवं अपनाने का आह्वान किया।
संतरे की गुणवत्ता और स्वाद बढ़ाने के लिए करें किसान
अग्रवाल ने बताया संतरे की गुणवत्ता एवं स्वाद बढ़ाने के लिए ज्यादा से ज्यादा गोबर व केंचुआ खाद डालें। पोषण प्रबंधन मिट्टी परीक्षण के आधार पर करें। अच्छी गुणवत्ता की पौध खरीदने राष्ट्रीय संतरा अनुसंधान केंद्र नागपुर जोनल, कृषि अनुसंधान केंद्र छिंदवाड़ा से संपर्क करें एवं पौध खरीदने के लिए उचित मार्गदर्शन लें।
उन्होंने बताया कृषक भाई संतरों के बीच-बीच में कुछ पौधे रंगपुर अथवा जबेरी लाइम के भी लगाएं ताकि पौधषाला के लिए मातृवृक्ष प्राप्त हो सके।
काली मिस्सी से गुणवत्ता और उत्पादन पर पड़ता है असर
२ वर्षों से संतरे के खेती करने वाले किसान काली मिस्सी से परेशान हैं। इस कारण गुणवत्ता खराब होने के साथ ही उत्पादन भी असर पड़ रहा है। संतरे में काली मिस्सी (काली मक्खी-सफेद मक्खी) जो संतरे का प्रमुख कीट है, जो संतरे का उत्पादन एवं गुणवत्ता दोनों प्रभावित करता है। फायटोप्थोरा बीमारी से संतरे प्रभावित होता है। कृषि वैज्ञानिकों ने समन्वित कीट एवं रोग नियंत्रण के उपाय बताए।
वैज्ञानिकों ने कहा जिले के अंदर पुराने व क्षय हो रहे संतरे के बगीचों का वैज्ञानिक विधि से पुनर्जीविकरण किया जाए। समूह बनाकर संतरों का ज्यूस, कैंडी, मिठाइयां, दवाइयां, सौंदर्य प्रसाधन एवं औषधीय उत्पाद को बढ़ावा देना एवं संतरा आधारित लघु उद्योग स्थापित करना चाहिए।
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