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भारी बारिश के बीच भारी मन से किया बप्पा को विदा

locationशाजापुरPublished: Sep 12, 2019 10:20:55 pm

Submitted by:

Piyush bhawsar

अनंत चतुर्दशी पर देर रात तक चलता रहा गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन का दौर

Bappa leaves with a heavy heart amid heavy rain

भारी बारिश के बीच भारी मन से किया बप्पा को विदा

शाजापुर.

अनंत चतुर्दशी पर जिलेभर में भक्तों ने फूल-गुलाल उड़ाकर श्रीगणेश की पूजा-अर्चना की। चल समारोह में नाचते-गाते श्रद्धालु पवित्र नदियों पर पहुंचे। जहां महाआरती के बाद बप्पा को नम आंखों से विदाई देकर अगले बरस जल्दी आने की कामना की गई। इसके पहले बीती रात से लगातार जारी बारिश के बाद भी भक्तों का उत्साह कम नहीं हुआ। हर कोई बप्पा को बिदाई देने के लिए भिगते हुए भी चल समारोह में शामिल हुआ।

बाजारों में गणेश विसर्जन चल समारोह की गूंज गुरुवार दोपहर बाद से सुनाई देने लगी थी। जैसे-जैसे शाम होती रही वैसे-वैसे चल समारोह बैंडबाजे और ढोल-ढमाके के साथ निकलते रहे। बैंड की धार्मिक धुनों पर बच्चे व युवा नाचते गाते चले। हर समारोह में खूब गुलाल उड़ाई गई। इधर लगातार बारिश से भिगे हुए भक्त भगवान गणेश की प्रतिमाओं को लेकर विसर्जन के लिए पहुंचे। शहर में मुख्य रूप से टेंशन चौराहा, बस स्टैंड, काछीवाड़ा, किला रोड, धान मंडी, टंकी चौराहा, हरायपुरा, आदित्य नगर, विजय नगर, नाथवाड़ा, सोमवारिया बाजार, वजीरपुरा, महुपुरा चौराहा, गायत्री नगर, बेरछा रोड, आजाद चौक आदि स्थानों से हर्षोल्लास से चल समारोह निकले। शुभमुर्हूत में भक्तों ने भैरव डूंगरी के पास स्थित तलैया पर गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन किया। कुछ भक्तों ने नैनावद पहुंचकर लखुंदर नदी में तो कुछ ने चीलर नदी में भी गणपति बप्पा की प्रतिमाएं विसर्जित की। कई भक्त दोपहिया, चौपहिया वाहनों से भी घर पर विराजित की गई गणेश प्रतिमाएं लेकर विसर्जन के लिए पहुंचे। गाजे-बाजे के साथ प्रभु की आरती कर सुख-समृद्धि की कामना की गई।

नदियों पर लाइफ गार्ड
विसर्जन के दौरान कोई हादसा न हो, इसलिए पुलिस-प्रशासन ने दोनों ही नदियों पर लाइफ गार्ड लगाए गए थे, जो पूरे समय मुस्तैदी से यहां डटे रहे। सुबह से देर रात तक प्रतिमाओं के विसर्जन का दौर चला।

शहर में कई स्थानों पर हुआ प्रतिमाओं का विसर्जन
वैसे तो जिला प्रशासन गणेश प्रतिमाओं के विजर्सन के लिए भैरव डूंगरी के समीप स्थित तलैया का स्थान नियत किया था। इसके लिए बकायदा महुपुरा रपट के समीप वाहन खड़ा किया था। कई लोगों ने इन वाहनों में गणेश प्रतिमाओं को रख दिया। जिसे भैरव डूंगरी के समीप ले जाकर विसर्जित किया गया। जो बड़ी गणेश प्रतिमाएं थी उन्हें किनारे पर तैनात कर्मचारी लेकर बीच तलैया में पहुंचे और विसर्जित किया। इधर चीलर नदी के उफान पर आने के कारण कई लोगों ने गरासिया घाट, श्रीघाट, महुपुरा रपट के समीप, बादशाही पुल सहित अन्य स्थानों पर भी भगवान गणेश की प्रतिमाओं का विसर्जन किया।

भारी बारिश के बीच डटे रहे अधिकारी-कर्मचारी
भैरव डूंगरी के समीप बनाए गए प्रतिक्षालय के बाहर नगर पालिका सीएमओ भूपेंद्रकुमार दीक्षित, तहसीलदार सत्येंद्र बैरवा, होमगार्ड के डिस्ट्रिक्ट कमांडेंट विक्रमसिंह मालवीय सहित अन्य अधिकारी कर्मचारी तैनात रहे। यहां पर विसर्जन के लिए लाई जा रही गणेश प्रतिमाओं को अधिकारियों ने अपने कर्मचारियों की मदद से तलैया में विसर्जित कराया। दिनभर भारी बारिश के बीच भी अधिकारी और कर्मचारी सुरक्षा व्यवस्था में जुटे रहे।

आज से शुरू होंगे श्राद्ध पक्ष
पितृ पक्ष याने श्राद्ध शुक्रवार से प्रारंभ होंगे। १६ दिन तक परिवार के सदस्य पूर्वजों की आत्मशांति के लिए उनकी तिथियों पर पूजा-अर्चना करेंगे। हालांकि इस बार तिथियों की घट-बढ़ होने से कहीं पर श्राद्धपक्ष शुक्रवार से तो कहीं पर श्राद्धपक्ष शनिवार से शुरू माना जाएगा। ज्योतिषाचार्यों की मानें तो असाध्य रोग और पारिवारिक अशांति का कारण पितृ दोष को ही माना गया है। संतान संबंधी समस्या जैसे विवाह न होना, विकृति होना, रोजगार न मिलना और मानसिक समस्या का होना आदि पितृ दोष के कारण ही उत्पन्न होते हैं। पितृ पक्ष में पितरों को प्रतिदिन तर्पण देने के साथ ही एक निर्दिष्ट प्रक्रिया का पालन किया जाए तो, इन सभी समस्याओं से मुक्ति अवश्य मिलेगी। श्राद्ध पक्ष में कौओं को आमंत्रित कर उन्हें श्राद्ध का भोजन खिलाया जाता है। इसका एक कारण यह है कि हिंदू पुराणों ने कौए को देवपुत्र माना है। एक प्राचीन कथा है कि इंद्र के पुत्र जयंत ने ही सबसे पहले कौए का रूप धारण किया था। त्रेता युग की घटना कुछ इस प्रकार है कि जयंत ने कौऐ का रूप धरकर माता सीता को घायल कर दिया था। तब भगवान श्रीराम ने तिनके से ब्रह्मास्त्र चलाकर जयंत की आंख को क्षतिगग्रस्त कर दिया था। जयंत ने अपने कृत्य के लिए क्षमा मांगी, तब श्रीराम ने उसे यह वरदान दिया कि तुम्हें अर्पित किया गया भोजन पितरों को मिलेगा। बस तभी से श्राद्ध में कौओं को भोजन कराने की परंपरा चल पड़ी है।

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