गीत-संगीत के बीच उड़ेगी पतंग
मनोरंजन करने वाले अधिकांश युवा छतों पर म्यूजिक प्लेयर व स्पीकर रखेंगे और पतंगबाजी की कॉमेंट्री करेंगे। इसकी तैयारियां मकर संक्रांति पर्व की पूर्व संध्या से ही शुरू हो जाती है। पतंगबाज आजाद मालवीय, अंकूर चौहान, गणेश गवली आदि ने बताया कि छतों पर स्पीकर लगाएंगे और पतंग कटने व काटने की कॉमेंट्री करेंगे। इतना ही नहीं पतंगबाजी से संबंधित गाने बजाकर भी मनोरंजन करेंगे।
पतंग से सजी दुकानें
मकर सक्रांति पर्व पर जहां तिल-गुड़ दान का महत्व होता है। वहीं शहर में लोग पतंग उड़ाकर संक्राति को महत्व देते हैं। पतंग व्यापारियों ने कई दिन पहले से ही पतंग और डोर का भारी स्टॉक कर लिया था। अंतिम दिनों में उन्होंने अपनी दुकानें ही पतंग से सजा ली, जो आकर्षक का केंद्र रही। सोमवार सुबह से देर रात तक सोमवारिया, चौक बाजार, किला रोड, बस स्टैंड, मीरकला बाजार आदि क्षेत्रों में पतंग की दुकानों पर बच्चों, युवा और बड़ों की भीड़ रही। चायना डोर प्रतिबंधित है, लेकिन कई जगह उडऩे वाली पतंगों में चायना डोर सामने भी रही है।
संक्रांति का महत्व
मकर संक्रांति पर्व को लेकर १५ जनवरी को विशेष पुण्यकाल में दान पुण्य के कार्य होंगे। काल के समय तीर्थ स्नान, दान, जाप, हवन, तुलादान, गोदान, स्वर्ण दान के विशेष महत्व हैं। गरीबों को कंबल, ब्राह्मणों को खिचड़ी एवं तिल गुड़ का पात्र भरकर दान करने से शुभ फल की प्राप्ति होगी। गाय को पालक और आटा, घास खिलाना भी शुभ माना जाता है। साथ ही तीर्थ सरोवरों में स्नान को भी विशेष महत्व दिया गया है।