२८ दिन में ३३८० बच्चे बीमार
गर्मी का असर सबसे ज्यादा बच्चों पर पड़ रहा है। गर्मी में बच्चों के बीमार होते ही अभिभावकों को परेशानी का सामना करना पड़ा है। रोजाना १०० से अधिक बच्चे सरकारी अस्पताल में गर्मी से होने वाली बीमारी से पीडि़त होकर पहुंच रहे हैं। इसके अलावा प्राइवेट अस्पतालों में भी मरीज उपचार करा रहे हैं। जिला अस्पताल में बीते २८ दिनों में ३३८० बीमार बच्चे उपचार के लिए पहुंचे हैं। इनमें १९११ बालक और १४६९ बालिकाएं शामिल हैं।
गर्मी का असर सबसे ज्यादा बच्चों पर पड़ रहा है। गर्मी में बच्चों के बीमार होते ही अभिभावकों को परेशानी का सामना करना पड़ा है। रोजाना १०० से अधिक बच्चे सरकारी अस्पताल में गर्मी से होने वाली बीमारी से पीडि़त होकर पहुंच रहे हैं। इसके अलावा प्राइवेट अस्पतालों में भी मरीज उपचार करा रहे हैं। जिला अस्पताल में बीते २८ दिनों में ३३८० बीमार बच्चे उपचार के लिए पहुंचे हैं। इनमें १९११ बालक और १४६९ बालिकाएं शामिल हैं।
गर्मी में लू लगने की अधिक आशंका
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. उमेश गोतम ने कहा कि गर्मी में बढ़े तापमान से बच्चे का शरीर एडजस्ट नहीं होने के कारण लू लगने की संभावना रहती है। इससे शरीर का पानी सूख जाता है। तेज बुखार और लूज मोशन होना लू का कारण होता है। ऐसे में बच्चों को पानी अधिक पिलाना चाहिए। लू लगने पर ओआरएस का घोल, दाल का पानी, कच्चा आम पकाकर लगाना व पिलाना चाहिए। गर्मी में आसानी से पचने वाला भोजन ही करना चाहिए। गर्मी के मौसम में पूरे शरीर को ढंकने वाला कपड़ा पहनना चाहिए। उल्टी-दस्त या तेज बुखार की स्थिति को नजरअंदाज नहीं करें। तुरंत चिकित्सक से सलाह लेना आवश्यक है।
मौसमी बीमारी से उल्टी, दस्त के मरीजों की संख्या बढ़ी, जिन्हें भर्ती कर स्लाईन चढ़ाई जाती है। ज्यादातर मरीजों की ठीक होने पर एक दिन में छुट्टी हो जाती है। आवश्यकता होने पर एक पलंग पर दो मरीजों को भर्ती किया जाता है।
एसडी जायसवाल, सिविल सर्जन
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. उमेश गोतम ने कहा कि गर्मी में बढ़े तापमान से बच्चे का शरीर एडजस्ट नहीं होने के कारण लू लगने की संभावना रहती है। इससे शरीर का पानी सूख जाता है। तेज बुखार और लूज मोशन होना लू का कारण होता है। ऐसे में बच्चों को पानी अधिक पिलाना चाहिए। लू लगने पर ओआरएस का घोल, दाल का पानी, कच्चा आम पकाकर लगाना व पिलाना चाहिए। गर्मी में आसानी से पचने वाला भोजन ही करना चाहिए। गर्मी के मौसम में पूरे शरीर को ढंकने वाला कपड़ा पहनना चाहिए। उल्टी-दस्त या तेज बुखार की स्थिति को नजरअंदाज नहीं करें। तुरंत चिकित्सक से सलाह लेना आवश्यक है।
मौसमी बीमारी से उल्टी, दस्त के मरीजों की संख्या बढ़ी, जिन्हें भर्ती कर स्लाईन चढ़ाई जाती है। ज्यादातर मरीजों की ठीक होने पर एक दिन में छुट्टी हो जाती है। आवश्यकता होने पर एक पलंग पर दो मरीजों को भर्ती किया जाता है।
एसडी जायसवाल, सिविल सर्जन