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शहरी जलापूर्ति से बिगड़ रही सेहत, लोगों में आक्रोश

locationशाजापुरPublished: Apr 28, 2019 01:06:45 am

Submitted by:

Lalit Saxena

नलों में आ रहा गंदा और कड़वा पानी, इसके कारण रहवासियों को डायरिया, पीलिया जैसी बीमारी का खतरा

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शाजापुर. शहरवासी इन दिनों दूषित पानी पीने को मजबूर हैं। ये पानी लोगों की सेहत भी बिगाड़ रहा है। गंदा पानी पीने से अनेक लोग अस्पताल पहुंच चुके हैं। बावजूद नगर पालिका शहरवासियों को साफ पानी पिलाने में नाकाम है। शहर में प्रदाय किए जाने वाले पानी में सप्लाई के एक घंटे बाद ही काई जम जाती है। ये स्थिति लगातार १५ दिनों से बनी हुई। इससे शहरवासी खासे परेशान हैं। जलप्रदाय के बाद शहरवासियों को पानी शुद्ध करने के लिए फिटकड़ी डालकर पानी साफ करना पड़ता है, वहीं कुछ लोग आरओ वाटर खरीदकर पानी पी रहे हैं। जो पानी शहर में सप्लाई किया जा रहा है उससे नगर पालिका अंजान है।
नपा साफ पानी पिलाने का दावा कर रही है। लेकिन हालिया स्थिति शहर में प्रदाय किए जाने वाले पानी को देखकर लगाई जा सकती है। ऐसे बदबूदार और गंदगीयुक्त पानी के सेवन से अनेक लोग बीमार हो रहे हैं। चिकित्सकों को कहना है कि गंदे पानी के सेवन से उल्टी, दस्त, डायरिया, पेट में कीड़े पडऩा, पीलिया, टाइफाइड और पेट खराब रहना आदि बीमारियां जन्म लेती हैं। इसके कारण मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है। सबसे अधिक उल्टी-दस्त, पेट खराब होना और पीलिया जैसे मरीजों में इजाफा हुआ है।
इस पैमाने पर हो रहा पानी सप्लाई
बता दें कि शहर में ९ हजार के लगभग नल कनेक्शन हैं। जिन्हें एक दिन छोड़कर जलप्रदाय किया जाता है। शहरवासियों को चीलर बांध में जमा पानी प्रदाय होता है। ये पानी नहर और नदी के माध्यम से टंकी चौराहा स्थित बने वाटर वक्र्स तक पहुंचता है। यहां से पानी को एलम के बाद फिल्टर किया जाता है, इसके बाद ब्लीचिंग कर पानी सप्लाई किया जाता है। ये पानी शहर में बनी तीन टंकियों तक पहुंचता है। जहां से घरों में पानी सप्लाई होता है। नपा का दावा है कि जो पानी वाटर वक्र्स से सप्लाई किया जाता है, उस पानी की पीएचई लैब में जांच की जाती है, वह पानी शुद्ध रहता है। नपा कहना हैकि पानी फिल्टर के दौरान एलम का उपयोग किया जाता है, जिसका असर पानी सप्लाई होने के बाद भी रहता है। इस स्थिति में पानी का कचरा तल में जम जाता है। लेकिन हालिया स्थिति लोगों के घरों में पहुंचने वाला पानी बयां कर रहा है। कुछ लोग पानी को साफ करने के लिए गर्मकर रहे तो कुछ फिटकड़ी का उपयोग करते हैं। लेकिन जो सीधे पानी का उपयोग पीने में कर रहा है उसे अस्पताल पहुंचना पड़ सकता है।
एक घंटे बाद ही जम जाती है काई
शहर में जो पानी सप्लाई होता है, वह बदबूदार होने के साथ ही मटमैला भी होता है। जिस समय जलप्रदाय होता है तब पानी हल्का पीला नजर आता है तो कभी साफ लगता है। लेकिन पानी को किसी बर्तन में भरकर एक घंटे रख दिया जाए तो बर्तन के तल में काली काई जमा हो जाती है। साथ ही पानी में कड़वापन भी रहता है। स्थिति ये बनी हुई है कि १५ लीटर की एक कुप्पी पानी में एक गिलास काई जमा हो जाती है। जिसके सेवन से सेहत बिगड़ सकती है।
जिस नदी से आता है पानी वहां जम रही है काई
नगर पालिका शहर में साफ व स्वच्छ पानी देने का दावा कर रही है। लेकिन जो पानी चीलर बांध से वॉटर वक्र्स तक पहुंचता है वह बेहद गदंगी से होकर गुजरता है। जिससे पानी सड़ांध मारने लगा है। जिसे वाटर वक्र्स में फिल्टर कर शहर में सप्लाई किया जाता है। जिस नहर से चीलर बांध का पानी फिल्टर प्लांट तक पहुंचता है उसमें मवेशी नहाते हैं और महिलाएं कपड़े धोती हैं। बांध व नदी में लोग नहाते हैं व गंदे कपड़े तक धोते हैं। जिन्हें रोकने-टोकने वाला कोई नहीं है। ये पानी वाटर वक्र्स के पीछे नदी में जमा होता है, जहां नदी काई जमी हुई, जो बदबू मारती है। इसे फिल्टर कर पानी सप्लाई किया जाता है। गर्मी में जहां बीमारियां फैलने का खतरा रहता है वहीं नगरपालिका गंदगी से होकर गुजरने वाले पानी को नगर में सप्लाय कर रही है।
२६ दिन में११४ लोगों ने कराई पीलिया की जांच
गंदे पानी से होने वाली बीमारी से परेशान लोग जिला अस्पताल पहुंच रहे हैं। शाजापुर जिला अस्पताल में १ अपै्रल से २६ तक ११४ मरीजों ने पीलिया की जांच कराईहै। ये आंकड़ा प्रायवेट लेब से लिया जाए तो मरीजों की संख्या ३०० पार कर जाती है। इसके अलावा पेट खराब होना, उल्टी-दस्त के मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. उमेश गौतम ने बताया कि गंदा पानी पीने से उल्टी, दस्त (डायरिया), पेट में कीड़े पडऩा, पीलिया होना, टाईफाइड, पेट खराब होना आदि बीमारी हो सकती है। पानी खराब होने पर उसे उबाल व छानकर कर पिया जा सकता है। फिटकड़ी का उपयोग कर पानी साफ कर पीए, आरओ वाटर का पानी उपयोग करें।
फैक्ट फाइल
– ४ सिल्ला प्रतिघंटा लगती है पानी साफ करने के लिए।

– ८ घंटे में ४ बैग यानी १ क्विंटल ब्लीचिंग लगता है।
– वाटर वक्र्स से तीन टंकियों तक ओर यहां से घरों तक पहुंचता है पानी
– शहर में ९००० के लगभग नल कनेक्शन है।
– एक-डेढ़ माह में पानी की टंकी की कराते है सफाई।

इनका कहना
शहर में गंदे पानी की कोई शिकायत नहीं है। शहर में जो पानी सप्लाई होता है वह फिल्टर और ब्लीचिंग होने के बाद सप्लाई किया जाता है। टंकियों की भी सफाई समय-समय पर होती है। फिर भी किसी क्षेत्र में पानी में गंदगी आ रही है तो उसे देखकर सुधार किया जाएगा।
– भूपेंद्रकुमार दीक्षित, सीएमओ

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