परिजनों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं
गुलाबचंद ने बताया कि आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण वो बच्चों के इलाज पर खर्च करने में असमर्थ हो गया। इस स्थिति में उसे किसी ने सरकारी अस्पताल में बच्चों को ले जाने की समझाइश दी। इस पर वो अपने जुड़वा नवजातों को पत्नी के साथ लेकर जिला अस्पताल पहुंच गया। यहां पर डॉक्टर ने दोनों बच्चों की गंभीर हालत देखते हुए उन्हें तत्काल एसएनसीयू में भर्ती करके इलाज शुरू कर दिया।
गुलाबचंद ने बताया कि आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण वो बच्चों के इलाज पर खर्च करने में असमर्थ हो गया। इस स्थिति में उसे किसी ने सरकारी अस्पताल में बच्चों को ले जाने की समझाइश दी। इस पर वो अपने जुड़वा नवजातों को पत्नी के साथ लेकर जिला अस्पताल पहुंच गया। यहां पर डॉक्टर ने दोनों बच्चों की गंभीर हालत देखते हुए उन्हें तत्काल एसएनसीयू में भर्ती करके इलाज शुरू कर दिया।
1 माह 7 दिन तक किया इलाज
बच्चों के पिता गुलाबचंद ने बताया कि जिला अस्पताल में एक माह 7 दिन तक लगातार एसएनसीयू में इलाज किया गया। जब बच्चों को यहां पर लाया था तो उनका वजन 900 ग्राम से भी कम हो गया था, लेकिन अस्पताल के स्टाफ की देखरेख के कारण अब बच्चों का वजन 1 किलो 200 ग्राम से ज्यादा हो गया है। गुलाबचंद ने बताया कि डॉक्टर ने बच्चों को अब एसएनसीयू से बाहर तो कर दिया। डॉक्टर ने कहा कि एक-दो दिन यहीं पर रहकर बच्चों की निगरानी कर लें। इसके बाद हम उन्हें लेकर अपने गांव जा सकते है।
बच्चों के पिता गुलाबचंद ने बताया कि जिला अस्पताल में एक माह 7 दिन तक लगातार एसएनसीयू में इलाज किया गया। जब बच्चों को यहां पर लाया था तो उनका वजन 900 ग्राम से भी कम हो गया था, लेकिन अस्पताल के स्टाफ की देखरेख के कारण अब बच्चों का वजन 1 किलो 200 ग्राम से ज्यादा हो गया है। गुलाबचंद ने बताया कि डॉक्टर ने बच्चों को अब एसएनसीयू से बाहर तो कर दिया। डॉक्टर ने कहा कि एक-दो दिन यहीं पर रहकर बच्चों की निगरानी कर लें। इसके बाद हम उन्हें लेकर अपने गांव जा सकते है।
बार-बार रुक रही थी बच्चों की सांस एसएनसीयू में भर्ती किए गए दोनों नवजात बच्चों के प्री-मेच्योर होने के कारण बार-बार सांस भी रुक रही थी। ऑक्सीजन की कमी और सांस रुकने की परेशानी को यहां के स्टॉफने बखुबी संभाला। दोनों बच्चों का वजन भी काफी कम होने से परेशानी बढ़ रही थी, लेकिन बेहतर उपचार से दोनों बच्चें खतरे से बाहर आ गए। वर्तमान में एसएनसीयू के डॉक्टर और स्टॉफ बच्चों की सुबह-शाम जांच करने के साथ ही उनका वजन भी दोनों समय कर रहे है।
गंभीर स्थिति में थे दोनों नवजात
&जब गुलाबचंद और पुष्पा अपने जुड़वा नवजातों को लेकर यहां पहुंचे तो उनकी स्थिति बहुत ज्यादा खराब थी। प्री-मेच्योर बेबी होने के कारण उनकी हालत दिनों दिन बिगड़ती जा रही थी। महज 7 माह में जुड़वा बच्चों के होने के कारण बच्चों का वजन भी बहुत कम था, लेकिन एसएनसीयू में लगातार इलाज और ऑब्जर्वेशन में रखने से बच्चों का स्वास्थ्य और उनकी स्थिति में काफी हद तक सुधार हो गया है। एक-दो दिन बच्चों को अस्पताल में ही ऑब्जर्वेशन में रखा हुआ है। बाद में उन्हें छुट्टी दी जाएगी।
– डॉ. चेतन वर्मा, प्रभारी, एसएनसीयू-शाजापुर
&जब गुलाबचंद और पुष्पा अपने जुड़वा नवजातों को लेकर यहां पहुंचे तो उनकी स्थिति बहुत ज्यादा खराब थी। प्री-मेच्योर बेबी होने के कारण उनकी हालत दिनों दिन बिगड़ती जा रही थी। महज 7 माह में जुड़वा बच्चों के होने के कारण बच्चों का वजन भी बहुत कम था, लेकिन एसएनसीयू में लगातार इलाज और ऑब्जर्वेशन में रखने से बच्चों का स्वास्थ्य और उनकी स्थिति में काफी हद तक सुधार हो गया है। एक-दो दिन बच्चों को अस्पताल में ही ऑब्जर्वेशन में रखा हुआ है। बाद में उन्हें छुट्टी दी जाएगी।
– डॉ. चेतन वर्मा, प्रभारी, एसएनसीयू-शाजापुर