ऐसे मिली प्रेरणा
पाटीदार ने एक मृत्युभोज में देखा कि मुख्य सहारा वाले व्यक्ति की मौत हो जाने पर परिजनों के आंसू थम नहीं रहे थे। परिवार की आर्थिक हालत भी ठीक नहीं थी, लेकिन समाज की रूढि़ के कारण बड़े स्तर पर मृत्युभोज करना था इसके लिए संबंधित परिवार को कर्ज लेना पड़ा। इस घटना ने दिलोदिमाग को झकझोर दिया। तभी से उन्होंने प्रण ले लिया कि समाज मे फैली इस कुरीति को खत्म करने के लिए संपूर्ण योगदान देंगे।
समाज मे ऐसे हुआ बदलाव
बड़ी चुरलाई के रहने वाले अलकापुरी देवास निवासी सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी पुंजालाल बडिय़ा ने 5 अप्रैल को पत्नी की अंतिम क्रियाकर्म किया। इसमें समाज के सैकड़ों लोग सहित नगर कई लोग शामिल हुए। अंतिम क्रियाकर्म के नाम को सार्थक करते हुए बडिय़ा ने उठावना (तीसरा) के कार्य को अंतिम रूप में किया। उन्होंने संकल्प लिया मानव समाज में फैली मृत्युभोज रूपी इस गंभीर कुप्रथा को खत्म करने के लिए वे पहल करेंगे और उठावने अर्थात तीसरे को अस्थि विसर्जन के पश्चात किसी भी प्रकार की रस्म-पूजा व कार्यक्रम नहीं करेंगे। इस निर्णय को पुत्र सुरेश बडिय़ा व पौत्र अंकित बडिय़ा ने समर्थन दिया। कार्यक्रम का उठावने के साथ ही समापन कर दिया। सारंगपुर से पाटीदार समाज सेवा समिति अध्यक्ष आत्माराम पाटीदार, सचिव नंदकिशोर पाटीदार आदि ने शामिल होकर बडिय़ा परिवार की इस पहल का स्वागत किया।
ये लोग भी दे रहे गति
पाटीदार के साथ अब नंदकिशोर पाटीदार, दुलीचंद पाटीदार, राधेश्याम पाटीदार, मणिशंकर पाटीदार, जयप्रकाश मंडलोई, कैलाशनारायण पाटीदार, कमल मंडलोई, गोवर्धन लाला, गीता पाटीदार, जयश्री नाहर, सीता पाटीदार, ज्योति पाटीदार भी लगे हुए हैं।
बड़े पैमाने पर होता है मृत्युभोज
पाटीदार ने बताया समाज में मृत्युभोज के साथ अन्य कई चीजो में फिजूलखर्च क कारण समाज के गरीब स्तर के परिवारों के लिए अभिशाप हो गया है। सक्षम लोग हैसियत अनुसार अकेले मृत्युभोज मे लाखों रुपए लगा देता है।