सेटिंग का खेल… जर्जर की अनदेख, अच्छो पर रहमत
कई स्कूलों को जरूरत है बड़ी मरम्मत की, जहां कम बजट में हो सकता है काम वहां मरम्मत के लिए जारी की अधिक राशि
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शाजापुर. जिले के दर्जनों स्कूल भवनों को मरम्मत की राशि का इंतजार है। कई स्कूल भवन इतने जर्जर हो चुके हैं कि वहां पर यदि मरम्मत नहीं की गई तो भवन जमींदोज भी हो सकते हैं। इस बारे में जिले के अधिकारियों को भी जानकारी है। इसके बाद भी अधिकारियों ने जिन स्कूल भवनों की मेजर रिपेयरिंग के लिए राशि की मांग की वहां पर तो कम बजट में भी काम हो सकता है। वहीं जहां पर ज्यादा मरम्मत की जरूरत है उन स्कूलों का नाम सूची में ही नहीं भेजा गया।
गौरतलब है कि कार्यालय कलेक्टर जिला शिक्षा केंद्र शाजापुर की ओर से प्रशासकीय स्वीकृति आदेश जारी किए गए हैं। इसके तहत सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत मेजर रिपेयर कार्य शालाओं में कराए जाना है। इसके लिए निर्माण कार्य की राशि जिला शिक्षा केंद्र की ओर से सीधे शालाओं के खातों में भेजी गई है। इसके साथ ही जिन शालाओं को राशि जारी की गई ।है उनकी सूची भी संलग्न की गई है। इस सूची में शहर में से एक शासकीय प्रावि नीमवाड़ी का नाम दर्ज है। इस स्कूल को मेजर रिपेयरिंग के नाम पर कुल 96 हजार 78 2 रुपए की राशि जारी की गई है। इसमें से 4 प्रतिशत राशि काटकर शेष 92 हजार 911 रुपए स्कूल के खाते में डाल दिए गए हैं। इस राशि से स्कूल की मरम्मत की जाना है। जब स्कूल की स्थिति देखें तो यहां पर एक कक्ष की दीवार पर बाहर की ओर से दरार आई हुई है। वहीं स्कूल के अंदर इसी कक्ष की छत से पानी टपकने के कारण कुछ मरम्मत की जरूरत है। ऐसे में स्कूल भवन के लिए मेजर रिपेयरिंग की राशि इतनी जारी करने की बजाय कम राशि से भी काम चल जाता।
इसके विपरित यदि शासकीय कन्या प्रावि सोमवारिया के स्कूल भवन पर नजर डाली जाए तो ये भवन पूरी तरह से जर्जर हो रहा है। इस भवन की मरम्मत के लिए कोई राशि नहीं आई है। इसी तरह के अन्य जर्जर स्कूल भवन भी शहर में है। जिनके लिए कोई राशि जारी नहीं हुई है। ऐसे में विभाग की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगने लगे है।
62 के प्रकरण भेजे थे 48 हुए स्वीकृत
डीपीसी कार्यालय की माने तो उन्होंने जिले के अलग-अलग कुल 62 स्कूलों का चयन कर मेजर रिपेयरिंग की राशि की मांग के लिए प्रकरण तैयार करके राज्य शिक्षा केंद्र को भेजे थे। इसमें से राज्य शिक्षा केंद्र की ओर से 48 प्रकरणों को स्वीकृती दी जाकर राशि जारी की गई है। अधिकारियों का कहना हैकि अन्य स्कूलों के लिए भी मेजर रिपेयरिंग राशि की मांग की जा रही है। सभी स्कूलों की मरम्मत के लिए राशि की मांग की जाएगी।
3 माह में करना है मरम्मत का कार्य
प्रशासकीय स्वीकृति आदेश में यह भी स्पष्ट रूप से लिखा गया हैकि जो भी जिस भी स्कूल भवन की मेजर रिपेयरिंग के लिए राशि जारी की गई है उस स्कूल भवन में मरम्मत का कार्य 3 माह में पूर्णकिया जाए। निर्माण कार्य का सुपरविजन एवं मूल्यांकन जिला शिक्षा केंद्र के उपयंत्री की ओर से किया जाएगा।
मेजर रिपेयरिंग के लिए 62 स्कूलों की सूची भेजी थी इसमें से 48 स्कूलों के लिए राशि जारी हुई जो स्कूलों के खातों में डाल दी गई है। जो भी स्कूल भवन जर्जर हैं उनकी मरम्मत के लिए राशि की मांग राज्य शिक्षा केंद्र से की जाएगी।
संतोष राठौर, एपीसी-शाजापुर
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