वार्डों में भी अटेंडरों का जमावड़ा
परिसर के अलावा विभिन्न वार्डों में भी पलंग के पास ही अटेंडर अपने बिस्तर लगाकर सो जाते हैं। ऐसे में किसी मरीज टोलेट जाना हो या कोई परेशानी हो तो उसे निकलने में भी परेशानी आती है। यहां इतनी जगह भी नहीं मिलती कि कोई व्यक्ति एक छौर से दूसरे तक निकल जाए।
ओटी के बाहर लगता है बिस्तर
इधर ओटी के बाहर परिसर में रात १० बजे से ही बिस्तर लगना शुरू हो जाते हैं। जिससे इमरजेंसी में आने वाले मरीज को निकालने में भी परेशानी होती है। अनेक बार इमरजेंसी होने पर इन लोगों को यहां से उठाया जाता है, इसके बाद स्ट्रेचर निकल पाता है। लेकिन जिम्मेदार अटेंडरों की ठहरने की व्यवस्था को लेकर गंभीर नहीं है।
गांधी धर्मशाला का नहीं मिल रहा लाभ
ऐसा नहीं है कि अटेंडरों के ठहरने के लिए अस्पताल ने प्रबंधन नहीं किया था। अस्पताल प्रबंधन ने परिसर में ही गांधी धर्मशाला का निर्माण कराया गया था, जहां न्यूनतम दाम में अटैंडर रात बिता सकते थे। लंबे समय तक इस धर्मशाला का उपयोग अटेंडरों के ठहरने के लिए किया गया, लेकिन बाद में इसे अस्पताल प्रबंधन ने अन्य कार्य में उपयोग करना शुरू कर दिया और अटेंडरों के लिए कोई जगह नहीं बची। इसलिए अटेंडरों जहां जगह मिलती है वहां बिस्तर बिछाकर रात गुजारते हैं।
असामाजिक तत्व भी उठाते हैं फायदा
अस्पताल में आने वाले अटेंडरों की रात में परेशानी को देखते हुए कोई इन्हें रोक-टोक भी नहीं करता। लेकिन इसी का फायदा उठाकर कई बार यहां असामाजिक तत्व भी यहां रात गुजार लेते हैं। गत दिनों आधी रात को यहां से सिक्युरिटी गार्ड ने एक मोबाइल चोर को पकड़ा था। जिसे पुलिस के हवाले किया था।
धर्मशाला में हो रहा दवाई का स्टॉक
अटेंडरों के लिए बनाई गई गांधी धर्मशाला का उपयोग अन्य कार्यों में किया जा रहा है। यहां बने कमरों में जिला विकलांग पुनर्वास केंद्र का संचालन किया जा रहा है। शेष जगह में दवाई का स्टोर रूम बना रखा है, जहां दवाईयां रखी जाती है। ऐसे में अटेंडरों को मूलभूत सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
इनका कहना
यहां बने विकलांग पूनर्वास केंद्र को खाली कराए जाने के निर्देश मिले हैं, जिसे खाली कराया जा रहा है। गांधी धर्मशाला को अटेंडरों के लिए खोला गया है। अस्पताल से अटेंडरों को यहां ठहरने को कहा जाएगा।
– डॉ. शुभम गुप्ता, सिविल सर्जन