गर्ल्स कॉलेज में यूजी की कक्षाओं के साथ ही वाणिज्य विषय की पीजी की कक्षाएं भी शुरू की गई थी। करीब 4 साल पहले एमकॉम की कक्षाओं का संचालन यहां पर स्ववित्त से करना शुरू किया गया। इस स्ववित्त में यहां प्रवेश लेने वाली छात्राओं से फीस लेकर उसी फीस से शिक्षक की व्यवस्था, किताबों की व्यवस्था और विश्व विद्यालय को संबद्धता शुल्क जमा किया जाना तय किया गया। एमकॉम का कोर्स शुरू करने के पहले उम्मीद थी कि यहां पर बड़ी संख्या में छात्राएं प्रवेश लेंगी, लेकिन इसके विपरित यहां पर छात्राओं की संख्या एमकॉम में बहुत ही कम रह गई। इसके चलते कॉलेज प्रबंधन को विवि को 27 हजार 500 रुपए संबद्धता शुल्क, फैकल्टी को मानदेय और किताबों की व्यवस्था करने के कारण आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा। 4 साल से यही क्रम चलने के कारण कॉलेज प्रबंधन को प्रतिवर्ष 90 हजार रुपए के अनुमानित नुकसान से अब तक करीब 3 लाख 60 हजार रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसके चलते अब कॉलेज में एमकॉम की कक्षाओं को बंद करने का निर्णय लिया गया है।
30 विद्यार्थियों का था लक्ष्य
कॉलेज प्रबंधन के अनुसार कॉलेज में एमकॉम की कक्षाओं में 30 विद्यार्थियों का लक्ष्य तय किया गया था। इन विद्यार्थियों से प्राप्त फीस से उक्त कक्षाओं का संचालन बगैर नुकसान के आसानी से हो जाता, लेकिन पिछले चार साल में एक बार भी यहां पर 30 छात्राओं ने प्रवेश नहीं लिया। वर्तमान में कॉलेज में एमकॉम प्रथम वर्ष में महज 14 और फायनल में महज 7 छात्राएं ही अध्ययनरत है। कॉलेज प्रबंधन के अनुसार एमकॉम में नवीन प्रवेश बंद कर दिए है। जो छात्राएं अभी इन कक्षाओं में अध्ययनरत है उन्हें पढ़ाया जाएगा।
जनभागीदारी समिति ने लिया निर्णय
एमकॉम की कक्षओं के संचालन के लिए होने वाले आर्थिक नुकसान की पूर्ति जनभागीदारी समिति के फंड से की जा रही थी। लगातार चार वर्ष से घाटा जाने के बाद जब नवीन जनभागीदारी समिति के समक्ष जब ये मामला सामने आया तो उन्होंने इस तरह से नुकसान उठना बंद करने की बात कहते हुए एमकॉम की कक्षाएं बंद करने का निर्णय लिया है।
नवीन कॉलेज नि:शुल्क हो रहा एमकॉम
गर्ल्स कॉलेज में एमकॉम में छात्राओं के कम प्रवेश लेने के पीछे एक कारण यह भी है कि जिला मुख्यालय स्थित लीड नवीन कॉलेज में एमकॉम के लिए कोई फीस नहीं लगती है। जबकि गर्ल्स कॉलेज में फीस भरकर अध्ययन करना होता है। इसके चलते अधिकांश छात्राएं नवीन कॉलेज में ही प्रवेश ले लेती है। इससे गल्र्स कॉलेज में एमकॉम में छात्राओं की संख्या बहुत कम रही।
इनका कहना है
पिछले 4 साल से एमकॉम की कक्षाओं का संचालन घाटा उठाकर भी किया जा रहा है। कक्षा में प्रवेश् के लिए भी हर संभव प्रयास किए गए, लेकिन छात्राओं के प्रवेश बहुत कम होने के कारण इसके संचालन में लगातार नुकसान हो रहा है। मामला जनभागीदारी समिति के सामने रखा गया। लगातार हो रहे नुकसान के चलते समिति ने स्ववित्त से संचालित हो रही एमकॉम की कक्षाओं को बंद करने का निर्णय लिया है।
– डॉ. शेरू बेग, प्राचार्य, गर्ल्स डिग्री कॉलेज-शाजापुर