शाजापुरPublished: Feb 17, 2018 11:21:08 pm
Lalit Saxena
बच्चों को न हो खतरा इसलिए रात में करते हैं ब्लास्ट
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शाजापुर. भूकंप के कारण धरती हिलने की खबर से ही लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं, लेकिन जिला मुख्यालय स्थित नवनिर्मित एक स्कूल रोज ब्लास्ट से वायबे्रट हो रहा है। स्कूल संचालन के समय जब ब्लास्ट होता है तो ऐसा लगता है जैसे भूकंप के झटके आ गए हों।
कलेक्टोरेट के सामने भैरव डूंगरी के पास बनकर तैयार हुए केंद्रीय स्कूल के नवीन भवन के पास में फोरलेन निर्माण के दौरान हो पहाड़ी काटने के हो रहे ब्लास्टों से धूंजने लगा है। केंद्रीय विद्यालय के सामने फोरलेन बायपास का निर्माण किया जा रहा है। इसके लिए आसपास स्थित पहाडिय़ों में जगह बनाने के लिए कभी दिन में तो कभी रात में डायनामाइट से धमाके किए जा रहे हैं। ये धमाके इतनी तेज आवाज से होते हैं कि कक्षा में बैठे बच्चे कांप उठते हैं। धमाकों के कारण स्कूल की बिल्डिंग में धंूजने लगती है। हालांकि कुछ देर बाद यह सिलसिला थम जाता है। लेकिन कंपन के कारण कुछ देर के लिए बच्चों का ध्यान भटक जाता है तो कक्षा में पढ़ाने वाले शिक्षक भी कुछ देर के लिए इस धमाके के कारण विचलित हो जाते हैं।
स्कूल के शिक्षकों का कहना है कि पहाडिय़ों को काटने के लिए डायनामाइट से धमाके करने का काम अधिकतर रात में किया जाता है, कभी-कभी दिन में भी यहां डायनामाइट का उपयोग किया जाता है। स्कूल प्रबंधन का कहना है कि बायपास निर्माण करने वाली कंपनी के कर्मचारियों से बात हुई है, जिन्होंने सहयोग किया है, स्कूल लगने के समय अब ब्लास्ट नहीं होता है। हालांकि स्कूल स्टाफ का कहना है कि जब भी ब्लास्ट होता है तो स्कूल वायब्रेट करने लगता है।
स्कूल बंद होने के बाद करते हैं धमाके
इस मामले में जब स्कूल के प्रभारी प्राचार्य से बात की गई तो उनका कहना था कि पहले यह स्थिति जरूर बनी थी। लेकिन जब हमने निर्माण कंपनी से इस बारे में बात की तो उन्होंने भी सहयोग की भावना से दिन में डायनामाइट से रास्ता निकालने का काम रात में करना शुरू किया है। हालांकि भले ही स्कूली बच्चों को तेज धमाके और भूकंप के झटके जरूरत बर्दाश्त करना पड़ रहे हों, लेकिन यह भी सही है कि अब तक इस कारण किसी विद्यार्थी को या स्कूली स्टाफ में किसी को कोई परेशानी नहीं हुई है। इधर बायपास निर्माण से होने वाले फायदों को देखते हुए स्कूली प्रशासन ने भी इस संबंध में कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई है।
डर के साए में कर रहे शिक्षा ग्रहण
केंद्रीय विद्यालय के सालों किला परिसर स्थित जर्जर भवन में संचालित हो रहा था, लंबे इंतजार के बाद अगस्त २०१७ में भैरव डूंगरी के पास बिल्डिंग बनकर तैयार हुई, जहां विद्यालय संचालित हो रहा है। स्कूल संचालन के कुछ दिनों बाद ही बायपास निर्माण का काम शुरू किया गया। जब पहाडिय़ों को खोदकर रास्ता निकालने का काम शुरू हुआ तो उसके लिए डायनामाइट का उपयोग किया जाने लगा। इसके धमाके के कारण विद्यालय वायबे्रट होने लगा है। हालांकि बिल्डिंग अभी बनी है, जिससे बिल्डिंग को कोई नुकसान नहीं हुआ है।
बिल्डिंग हिल जाती है
बायपास और फोरलेन निर्माण कर रही कंपनी द्वारा हमें राहत दी जा रही है और रात में ही डायनामाइट से धमाके किए जा रहे हैं। यह सही है कि धमाके से स्कूल की बिल्डिंग हिल जाती है, बिल्डिंग वायब्रेट करती है।
विवेक श्रीवास्तव, प्रभारी प्राचार्य, केंद्रीय विद्यालय