हम बात कर रहे है शाजापुर जिला मुख्यालय से करीब 9 किमी दूर ग्राम पंचायत नैनावद और 15 किमी दूर ग्राम पंचायत कनारदी की। जनवरी माह के अंत में तराना तहसील के अंतर्गत सभी ग्राम पंचायतों की आरक्षण प्रक्रिया पूर्ण की गई। इसमें वर्ष 2011 की जनगणना को आधार मानकर पंचायतों का आरक्षण किया गया। लॉटरी सिस्टम से की गई आरक्षण प्रक्रिया में अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित की गई ग्राम पंचायतों में नैनावद और कनारदी ग्राम पंचायत का नाम भी लॉटरी से निकला। खास बात यह है कि उक्त दोनों ग्राम पंचायतें अजजा वर्ग के सरपंच पद के लिए आरक्षित हुई है। जबकि ग्राम पंचायत क्षेत्रों में तलाश करने के बाद पता लगा कि इनमें अजजा वर्ग का कोई मतदाता ही निवास नहीं करता है। ऐसे में यह सवाल उठने लगा कि आखिर यहां पर सरपंच पद का चुनाव कौन लड़ेगा। इस संबंध में दोनों ही ग्राम पंचायतों से पूर्व के जनप्रतिनिधियों ने निर्वाचन अधिकारी के समक्ष आवेदन प्रस्तुत करके परेशानी बताई है। अभी तक इस मामले में कोई निराकरण नहीं हुआ है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि वे इस मामले को वरिष्ठ स्तर पर भेजेंगे। वहां से निर्देशों के बाद आगामी कार्रवाई की जाएगी।
ये स्थिति है दोनों ग्राम पंचायतों की
ग्राम पंचायत कुल आबादी मतदाता की संख्या
नैनावद 4200 (लगभग) 1845
कनारदी 5 हजार (लगभग) 2700
उक्त दोनों पंचायतों में अजजा वर्ग का एक भी मतदाता नहीं है।
कहीं आगे न बढ़ जाएं चुनाव!
दोनों ग्राम के रहवासियों को जब पता लगा कि उनके गांव में सरपंच का पद जिस वर्ग के लिए आरक्षित हुआ है उसका कोई व्यक्ति यहां पर निवास नहीं करता है। इस स्थिति में सभी में चर्चा चलने लगी कि अब यहां पर सरपंच पद का चुनाव 6 माह आगे बढ़ सकता है। इस स्थिति में यहां पर प्रशासक ही सरपंच पद का दायित्व संभालेगा। वहीं जनचर्चा यह भी है किअब आगे प्रशासन की ओर से क्या कार्रवाई होगी और कब तक होगी।
इनका कहना है
वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर आरक्षण प्रक्रिया पूरी की गई है। नैनावद और कनारदी में वर्ष 2011 की जनगणना के दौरान अजजा वर्ग के कोई लोग रहतें होंगे। इसके चलते उनका नाम अजजा वर्ग के आरक्षण की सूची में शामिल हुआ था। यदि आपत्ति लगी है तो मामले की वास्तविकता की जांच कर वरिष्ठ स्तर पर पंचायतों के अपवर्जन की कार्रवाई के लिए भेजा जाएगा। यह प्रक्रिया चुनाव के पहले ही पूर्ण कर ली जाएगी। जिससे सभी पंचायतों के साथ ही यहां पर भी चुनाव हो सकें।
– गोविंद दुबे, एडीएम-तराना