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सिर्फ विवाह हुआ, समारोह नहीं
डिस्टेंसिंग के महत्व को समझते हुए विवाह संपन्न किया। विवाह ने तो कई बैंड बाजा था और न ही कोई मेहमान। शादी में सिर्फ दूल्हा के परिवार के चार-पांच लोग ही शामिल हुए थे।
सबकुछ हो चुका था तय
शाजापुर के काछीवाड़ा क्षेत्र में रहने वाली भावना का विवाह शहर के ही चंदन से संपन्न हुआ। दूल्हा और दुल्हन दोनो के ही परिवारों ने सभी रीति रिवाजों के साथ धूमधाम से शादी करने की तैयारी कर रखी थी। लेकिन, कोरोना वायरस ने दूल्हा-दुल्हन समेत दोनो परिवारों के अरमानों पर पानी फेर दिया। हालांकि, शादी की सभी जरूरी तैयारियां और महुरत होने के चलते विवाह इसी अवधि में होना जरूरी था। आखिरकार परिवार के सदस्यों ने फैसला लिया कि, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए विवाह संपन्न होना चाहिए। लाॅकडाउन की घोषणा के पहले ही लग्न महूर्त निकाला जा चुका था। दूल्हा-दुल्हन को हल्दी लगना शुरू हो चुकी थी। ऐसे में पंरपरा और मान्यताओं के चलते दोनों परिवार इस समारोह को रोकना शुभ नही होता। ऐसे में तय हुआ कि, शादी तो होगी पर सिर्फ घर वालों के ही बीच और धार्मिक नियमों से ज्यादा सरकारी नियमों का पालन करते हुए।
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बिना पंडित के ही लिए गए सात फेरे
दूल्हे चंदन की बारात पांच लोगों के साथ निकली, वो भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए। इस बारात में न बैंड बाजा था, न ही नाचता-गाता हुआ कोई बाराती। जब बारात दुल्हन घर के पहुंची तो यहां भी मेहमानों के नाम पर सिर्फ दुल्हन का परिवार ही मौजूद था। यहां तक कि, पड़ोसी भी अपने-अपने घरों से ही विवाह देखकर खुद को आयोजन में शामिल महसूस करते रहे। इन सब के बीच पता चला कि शादी के लिए कोई पंडित भी तैयार नही है, वजह थी लॉकडाउन। ऐसे में घर के बड़ों ने तय किया कि, बेहद कम रीति-रिवाजों के साथ दूल्हा-दुल्हन ने एक दूसरे को जयमाला पहनाई और मन से एक दूसरे को अपना साथ मानते हुए हाथ थाम लिया। दुल्हन और दूल्हे को इस बात का जरूर मलाल था कि, कोराना के चलते इस खास मौके पर न उनके दोस्त थे, न रिश्तेदार। बावजूद, इसके उन्होंने लोगों से लाॅकडाउन के पालन की अपील की।