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बच्चे करते रहे भोजन का इंतजार, जिम्मेदार नींद में

locationशाजापुरPublished: Dec 12, 2017 09:40:25 am

Submitted by:

Gopal Bajpai

सरकारी स्कूलों में नहीं पहुंचा मिड-डे-मील, स्वसहायता समूह के रसोइया मजदूर संघ ने काम बंद कर दिया धरना

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शाजापुर/मक्सी/पोलायकलां . जिले के अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों में सोमवार को सरकारी स्कूल के बच्चें प्रतिदिन मिलने वाले मध्याह्न भोजन का इंतजार करते रहे, लेकिन उन्हें मध्याह्न भोजन नहीं मिल पाया। ऐसे में बच्चों को भूखे ही स्कूल से लौटना पड़ा। दरअसल स्वसहायता समूह रसोईया संघ ने सोमवार को एक दिवसीय कामबंद कर धरना प्रदर्शन किया। जिला मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन करके समूह के सदस्यों ने अपनी मांगों के संबंध में एक ज्ञापन भी सौंपा।
जिले के सभी नगरीय निकायों में संबंधित निकाय की ओर से मध्याह्न भोजन (एमडीएम) का वितरण किया जाता है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में इसका वितरण स्वसहायता समूह करते हैं। सुबह और दोपहर की पाली में लगने वाले इन स्कूलों में अलग-अलग समय पर एमडीएम का वितरण बच्चों को किया जाता है। इसके लिए ग्रामीण क्षेत्र के शासकीय स्कूलों में एमडीएम निर्माण के लिए रसोई कक्ष बनाए हुए हैं। स्कूल में बच्चों को थाली में प्रतिदिन मीनू के अनुसार भोजन का वितरण किया जाता है। सोमवार को भी जिले के अनेक क्षेत्रों में स्थित शासकीय स्कूलों में बच्चें एमडीएम का इंतजार करते रहे, लेकिन उन्हें भोजन नहीं मिला। स्कूल के शिक्षक भी इसे लेकर परेशान रहे, जानकारी लेने पर पता लगा कि एमडीएम बनाने वाले रसोईया ही नहीं है। रसोईघर पर भी ताला लगा हुआ था। ऐसे में स्कूल से बच्चों को भूखे पेट ही घर आना पड़ा। हालांकि जिले के अंचलों में कईस्कूल ऐसे भी रहें जहां बच्चों को एमडीएम का वितरण हुआ।
पोलायकलां क्षेत्र में भूखे घर लौटे बच्चे


रसोईया संघ के एक दिवसीय काम बंद धरना प्रदर्शन के चलते पोलायकलां क्षेत्र के ग्राम मोरटा केवड़ी, पगरावदकलां सहित अन्य क्षेत्रों में बच्चों को मध्याह्न भोजन नहीं मिल पाया। शासकीय प्रावि मोरटा केवड़ी और मावि मोरटा केवड़ी में बच्चें मध्याह्न भोजन के लिए तय समय पर पंक्तिबद्ध होकर भी बैठे, लेकिन उन्हें भोजन ही नहीं मिला। पता चला कि एमडीएम के रसाई पर ताला लगा है। इसी कक्ष में बच्चों को भोजन वितरण के लिए दी जाने वाली थालियां भी रखी हुई थी। काफी देर तक भी इंतजार करने के बाद जब बच्चों को भोजन नहीं मिला तो बच्चें भूखे ही घर को लौट गए।

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