शाजापुरPublished: Dec 15, 2017 10:13:17 am
Gopal Bajpai
प्याज भंडार गृह में अब दूसरी उपज भी रखी जा सकेगी। इसके लिए जिले में मल्टीपर्पस भंडार गृह बनाए जा रहे हैं।
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शाजापुर. प्याज भंडार गृह में अब दूसरी उपज भी रखी जा सकेगी। इसके लिए जिले में मल्टीपर्पस भंडार गृह बनाए जा रहे हैं। शासन की योजना के अनुसार भंडार गृह के निर्माण से किसानों को खासा लाभ मिलेगा, क्योंकि सीजन के समय उपज ज्यादा होने के कारण प्याज के दाम कम मिलते और नुकसान होता है। ऐसे में मल्टीपर्पस भंडार गृह में किसान प्याज को ज्यादा समय तक भंडारित करके सीजन के बाद अच्छे दाम मिलने पर विक्रय कर सकेंगे।
कुछ वर्षों में जिले में प्याज की उपज लगातार बढ़ती जा रही है। आलम यह है कि सीजन में किसानों को एक रुपए किलो भी दाम नहीं मिल पाता। बंपर पैदावार और भंडार गृह नहीं होने से अनेक किसान प्याज फेंक देते हैं तो कई के पास यह रखे-रखे ही सड़ जाता है। कई किसान मजबूरी में कम दाम पर फसल बेच देते हैं। 2-3 साल से ये समस्या ज्यादा बढ़ गई है। प्याज के दाम नहीं मिलने से किसानों को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है। मल्टीपर्पस भंडार गृह से किसानों की इस समस्या का निराकरण हो जाएगा। किसान के पास जो भंडार गृह रहेगा उसमें वो सीजन के समय प्याज का भंडारण करके उसे सुरक्षित रख सकता है और जब भाव अच्छे मिले तब उसका विक्रय किया जा सकता है। दूसरी ओर जब प्याज नहीं हो तो इस भंडार गृह में दूसरी उपज को भी संग्रहित किया जा सकता है।
12 हजार हे. में होता है प्याज का उत्पादन
जिले में 12 हजार हेक्टेयर भूमि पर प्याज का उत्पादन होता है, लेकिन भंडारण की व्यवस्था नहीं होने से हर साल काफी मात्रा में प्याज सडऩे पर फेंकना पड़ता है। हालांकि दो साल से प्रदेश सरकार ने समर्थन मूल्य पर प्याज की खरीदी करके किसानों को राहत पहुंचाने का कार्य किया है। इसमें किसानों से प्याज को खरीदकर दूसरे प्रदेशों में पहुंचाया। वहीं व्यापारियों को भी विक्रय किया। इससे बंपर उत्पादन के बाद भी क्षेत्र में प्याज का टोटा हो गया। स्थिति ये हो गई कि प्याज के दाम क्षेत्र में 30-40 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गए। ऐसे में यदि किसानों के पास पर्याप्त प्याज भंडारगृह होते तो उससे वे प्याज को ज्यादा समय तक सुरक्षित रख सकते और इस समय प्याज की इतनी किल्लत नहीं होती। जानकारी के अनुसार पिछले साल कुछ किसानों ने भंडार गृह बनवाकर प्याज को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए रुचि दिखाई थी। शासन की मदद से करीब 100 से ज्यादा गोदाम तैयार कर लिए गए। यह संख्या कम जरूर है लेकिन इसके पिछले साल तो 12 भंडार गृह ही बने थे।