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किसी विभूति के समान है ‘पाल सर

locationशाजापुरPublished: Jan 20, 2020 02:07:38 pm

Submitted by:

Piyush bhawsar

रिटायरमेंट के बाद भी बच्चों को दे रहे नि:शुल्क शिक्षा, स्वयं के खर्च से बनवाई जीम, बच्चों को सीखा रहे वेटलिफ्टिंग, अब बनवा रहे टेबल टेनिस का हाल

'Pal sir' is similar to any glory

किसी विभूति के समान है ‘पाल सर

शाजापुर.

बच्चे जिन्हें गिली मिट्टी की तरह माना जाता है उन्हें सही आकार देने के लिए पाल सर ने अपना पूरा जीवन ही समर्पित कर दिया है। लीलाधर पाल शासकीय सेवा से निवृत्त जरूर हुए पर ज्ञान को बढ़ाने और फैलाने का उनका काम आज भी सतत जारी है। वो आज भी अपने घर पर छत के एक कोने मेें टीनशेड की छत के नीचे ब्लेक बोर्ड पर बच्चों को प्रतिदिन गणित के सवाल हल करवाते है। बच्चें भी बड़े उत्साह से पाल सर से सवाल समझने आते है। वहीं दूसरी ओर पाल सर द्वारा लडक़े और लड़कियों को वेटलिफ्टिंग भी सीखा रहे हैं। इसीका परिणाम है कि आज पाल सर के सानिध्य में कई लडक़े और लड़कियों ने प्रदेश और देश में वेटलिफ्टिंग में नाम रोशन किया है।

जहां भी गए अपनी छाप छोड़ दी
सन 1973 से 2012 तक के शिक्षा जगत में अपने कार्यकाल के दौरान पाल सर का जिस भी स्कूल में ट्रांसफर हुआ वहां पर उन्होंने अपनी छाप छोड़ दी। 31 जुलाई 2012 को शासकीय बामावि हरायपुरा से सेवानिवृत्त हुए पाल सर ने सबसे पहले वर्ष 2007-08 में कन्या माध्यमिक विद्यालय शाजापुर में गणित विषय में टॉपर 10 छात्राओं को 10-10 ग्राम के चांदी के सिक्के स्वयं के खर्च से लाकर उपहार स्वरुप दिए। इसी प्रकार शासकीय मावि आला उमरोद में 2009-10 में एक बच्चे को साइकिल और 10 बच्चों को चांदी के सिक्के बांटे। शासकीय मावि भरड़ में तो पाल सर के कार्य की सराहना अभी-भी हर कोई करता है। इस स्कूल में पाल सर ने बच्चों को अच्छी शिक्षा देते हुए गणित में टॉपर 1 बच्चे को साइकिल और 10 बच्चों को चांदी के सिक्के बांटे। वहीं स्कूल में स्वयं के खर्च से छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग बाथरुम के लिए आर्थिक मदद की, साइकिल स्टैंड के लिए पुलिया का निर्माण आदि कार्य किए। सेवा निवृत्ति के बाद भी पाल सर ने इस स्कूल में ट्यूबवेल में मोटर लगवाई। जिससे बच्चों को पानी की परेशानी न हो।

लोन लेकर बच्चों के लिए बनवाई जीम
अपने सेवा काल के दौरान पाल सर ने एलआइसी से 2 लाख 50 हजार रुपए का लोन लेकर शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय क्रमांक-1 शाजापुर में बच्चों के वेटलिफ्टिंग के लिए एक जीम भी बनवाई। इस जीम की चाबी आज भी स्कूल के पास ही है। इसमें वेटलिफ्टिंग करके कई बच्चों ने राष्ट्रीय स्तर तक नाम रोशन किया है। इसी प्रकार सेवानिवृत्ति के बाद पाल सर ने कस्तुरबा मांटेसरी निजी विद्यालय में 6 लाख की लागत से एक टेबल टेनिस हॉल भी बनवाया और इसमें 40 हजार खर्च करके एक टेबल टेनिस के लिए टेबल भी रखवाई थी। हालांकि बाद में स्कूल प्रशासन ने बाहरी बच्चों को प्रैक्टिस के लिए रोक दिया था, इसके चलते पाल सर ने उक्त टेबल सेंट्रल स्कूल को सौंप दी। कस्तूरबा मांटेसरी स्कूल में भी पाल सर ने साइकिल और चांदी के सिक्के बांटे। वर्तमान में पाल सर उत्कृष्ट विद्यालय में बनवाई गई जीम में बच्चों को प्रशिक्षण देते है। वहीं इस जीम के उपर एक अतिरिक्त कक्ष का निर्माण करवा रहे हैं। इस कक्ष में वे टेबल-टेनिस का हॉल बनवाएंगे। जिससे बच्चें टेबल टेनिस का भी प्रशिक्षण प्राप्त कर सकें।

वैटलिफ्टिंग में प्रदेश का पहला स्वर्ण पदक जीता था पाल सर ने
वैटलिफ्टिंग के गुरु पाल सर ने अपने कॉलेज के जमाने में इंदौर कॉलेज की ओर से ऑल इंडिया लेवल की इंटर यूनिवर्सिटी वैटलिफ्टिंग प्रतियोगिता में देशभर के समस्त कॉलेज से आए प्रतिभागियों के सामने अपना दमखम दिखाया था। सन 1974 में जबलपुर में आयोजित हुई उक्त प्रतियोगिता में पाल सर ने 52 किलो वेट कैटेगिरी में सभी को पछाड़ते हुए प्रदेश का पहला स्वर्ण पदक और सर्टिफिकेट प्राप्त किया था।

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