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पेयजल के लिए हो रही किल्लत, सात दिन बाद भी नहीं आए नल

locationशाजापुरPublished: Jul 03, 2019 01:56:11 pm

Submitted by:

Lalit Saxena

आधा आषाढ़ बीत गया और क्षेत्र के रहवासी अभी-भी गर्मी और उमस से परेशान है। तहसील क्षेत्र में जुलाई माह के प्रथम सप्ताह में भी रहवासी भीषण पानी के संकट से जुझ रहे है।

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शुजालपुर. आधा आषाढ़ बीत गया और क्षेत्र के रहवासी अभी-भी गर्मी और उमस से परेशान है। तहसील क्षेत्र में जुलाई माह के प्रथम सप्ताह में भी रहवासी भीषण पानी के संकट से जुझ रहे है। नदी नाले सुख चुके है, पानी के लिए दिनभर लोग परेशान हो रहे है।

खरीफ फसल की बुवाई नहीं हुई

उल्लेखनीय है कि गत वर्ष इस समय तक 8 इंच से अधिक बारिश हो गई थी और इस वर्ष शुजालपुर तहसील में बारिश का आंकडा 2 इंच तक भी नहीं पहुंचा है। करीब 70 प्रतिशत रकबे में खरीफ फसल की बुवाई नहीं हुई है। क्षेत्र में बादलों की उपस्थिति तो प्रतिदिन हो रही है, लेकिन मूसलाधार बारिश का इंतजार लोगों को अभी-भी है। मानसून की देरी से किसान के साथ अब आमजन भी चिंतित होने लगा है। शहर में इस वर्ष जो जल संकट निर्मित हुआ है इस तरह की स्थिति एक दशक पूर्व बामनघाट अस्तित्व में आने के पहले हुआ करती थी। शहर के कई हिस्सों में नलों से पानी आए सात दिन हो चुके है। भूजल स्तर काफी नीचे जा चुका है। शहर में दो दिनों से शाम को बारिश तो हो रही है, लेकिन काफी कम मात्रा में हुई है।

किसान बीजों का अंकुरण होने का कर रहे इंतजार
जिन हिस्सों में बुवाई का कार्य हो चुका है वहां पर भी किसान बीजों का अंकुरण होने का इंतजार कर रहे है। जिस तरह से जुलाई माह में तापमान 35 डिग्री से अधिक हो रहा है और उसम बनी हुई है उससे बुवाई भी खराब होने का अंदेशा है। क्षेत्र से गुजरने वाली जमधड़, नेवज नदी पूरी तरह सुखी हुई है और तालाब भी खाली है। नागरिकों के साथ-साथ पशु पक्षी भी पानी के लिए आधा आषाढ़ बीत जाने के बाद भी तरस रहे है। मौसम के जानकार 2 जुलाई से अच्छी बारिश की संभावना जता रहे थे, लेकिन मंगलवार की शाम तक तेज बारिश नहीं हुई। शाम को आसमान में काले बादल तो छाए। हालांकि पश्चिम से पूर्व की ओर चली हवा के कारण बादलों का रूख बदल गया और रिमझिम बारिश के बाद क्रम थम गया। भूमिगत जल स्रोतों में भी पानी समाप्त होने से टैंकरों के दाम भी बढ़ गए। सार्वजनिक जल स्रोतों पर पानी के लिए अभी-भी कतार लग रही है।

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