एक वर्षीय विन्यास पाठ्यक्रम में प्रवेश मिला
भारत सरकार के भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर) (बीएआरसी) प्रशिक्षण विद्यालय में धीरज को नाभिकीय विज्ञान एवं अभियांत्रिकी ओसीइएस-2018 में एक वर्षीय विन्यास पाठ्यक्रम में प्रवेश मिला है। एक साल का प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद धीरज को केंद्र में बतौर वैज्ञानिक काम करने का मौका मिलेगा।
जिले से पहला चयन
जिले से पहली बार इस पद पर किसी का चयन हुआ है। धीरज के चयन से परिजन खुश हैं। धीरज के पिता राजकुमार आडवाणी, माता भारती आडवाणी, भाई आशीष ने बताया कि शुरू से पढ़ाई में अव्वल रहने वाले धीरज की इस कामयाबी ने हमें गर्व महसूस करने का मौका दिया है। बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल रहने वाले धीरज को कई शील्ड और प्रमाण-पत्र भी मिले हैं। परिजनों की इच्छा है कि धीरज परमाणु अनुंसधान केंद्र में बेहतर प्रदर्शन करते हुए देश का नाम विश्व पटल पर रोशन करें।
दो सरकारी नौकरी के ऑफर छोड़ किया एमटेक
पत्रिका से चर्चा में धीरज ने बताया कि कक्षा 10वीं तक शहर में ही रहकर निजी स्कूलों में पढ़ाई की। 10वीं के बाद इंदौर में एक प्रायवेट स्कूल से 12वीं पास करने के साथ ही आईआईटी जेईई एडवांस की भी तैयारी की। इसमें धीरज का चयन आईआईटी रुढ़की में हो गया। यहां से धीरज ने सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक किया। इसके बाद धीरज को हिंदुस्तान पेट्रोलियम और फिर कोल इंडिया कंपनियों से जॉब ऑफर मिले, लेकिन धीरज का सपना देश के लिए कुछ बड़ा करने का था। इसके बाद धीरज ने दोनों जॉब ऑफर को छोड़कर एमटेक किया। इसके बाद ‘गेटÓ की परीक्षा दी। इस परीक्षा में धीरज की ऑल इंडिया लेवल पर 148वीं रैंक आई। इस परीक्षा में सिविल इंजीनियरिंग करने वाले करीब ढाई लाख विद्यार्थी शामिल हुए।
सबसे अधिक कठिन इंटरव्यू
धीरज ने बताया कि बीएआरसी में सबसे ज्यादा कठिन इंटरव्यू रहता है। गेट की परीक्षा पास करने के बाद मुंबई में इसके लिए इंटरव्यू हुए। यहां 6 सदस्यों की टीम ने करीब एक घंटे तक इंटरव्यू लिया। इस इंटरव्यू में धीरज की कौशलता को देखते हुए उसे ट्रेनी साइंटिस्ट के रूप में बीएआरसी में प्रवेश दिया गया। धीरज के अनुसार एक साल तक बीएआरसी में ट्रेनी साइंटिस्ट के रूप में काम करने के बाद यहां पर उसे साइंटिस्ट की पोस्ट मिल जाएगी।