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#election 2018 : शाजापुर-आगर विधानसभा : दोनों पार्टी के ये हैं दावेदार, सभी मान रहे टिकट पक्का

locationशाजापुरPublished: Sep 05, 2018 01:41:16 pm

Submitted by:

Lalit Saxena

दोनों ही विधानसभाओं में दोनों दलों से संभावित उम्मीदवारों ने शुरू कर दिया जनसंपर्क

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शाजापुर. विधानसभा चुनाव के लिए भले ही अभी समय हो लेकिन भाजपा-कांग्रेस से दावेदारों ने ताल ठोंकना शुरू कर दिया है। शाजापुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा-कांग्रेस से करीब 12 उम्मीदवार टिकट की दौड़ में है। इनमें से कुछ ने तो बाकायदा सघन जनसंपर्क शुरू कर दिया है। विधानसभा सीट से वर्तमान भाजपा विधायक खुद को प्रबल दावेदार बताते हुए खुद का टिकट पक्का मान रहे हैं। वहीं कांग्रेस में तो विधायक के दावेदारों की लंबी फेरहिस्त है। सभी कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के नजदीकी बताते हुए टिकट मिलना तय बता रहे हैं। हालांकि इस बार मैदान में आप और सपाक्स के उम्मदीवार दोनों पार्टी लिए चुनौती बनने वाले हैं। आप ने तो बकायदा उम्मीदवार घोषित कर दिया है और प्रचार भी शुरू दिया।

भाजपा : यहां से भाजपा के सबसे ज्यादा उम्मीदवार दौड़ में हंै। वर्तमान विधायक अरुण भीमावद जो कि जिलाध्यक्ष का एक कार्यकाल पूरा करने के बाद भाजपा से टिकट लेकर चुनाव में जीते थे, ये सबसे प्रबल दावेदर बने हुए हैं। पांच साल के विधायक के कार्यकाल में कोई विशेष उपलब्धि तो नहीं है, लेकिन विवाद जरूर इनके दामन में आए हुए हैं। पिछले चुनाव में भाजपा से टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर नामांकन भरने और फिर संगठन के प्रति निष्ठा जताकर नाम वापस लेने वाले जेपी मंडलोई भी चुनाव की तैयारी में जुटे हुए हैं। मंडलोई को 2008 में भाजपा ने टिकट दिया था, लेकिन वे चुनाव हार गए थे। लगातार लोगों के संपर्क रहने और ग्रामीण क्षेत्र में पकड़ के चलते मंडलोई भी इस विधानसभा में टिकट के लिए प्रमुखता से अपनी ताल ठोक रहे हैं। शाजापुर नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान सांसद प्रतिनिधि प्रदीप चंद्रवंशी के काका पूर्व विधायक पुरुषोत्तम चंद्रवंशी इंदिरा सरकार के समय में भाजपा से विजयी हुए थे। वे भी अपने काका का समर्थन और वर्तमान सांसद के करीबी होने के चलते टिकट पाने की दौड़ में लगे हुए है। भाजपा के जिला महामंत्री दिनेश शर्मा पार्टी में ब्राह्मण चेहरा होने के कारण टिकट के दावेदार माने जा रहे है। अभिभाषक कृष्णकांत कराड़ा किसान नेता के रूप में अपनी पहचान बनाए हुए है। विधानसभा ग्रामीण क्षेत्र बाहुल्य होने से वो भी टिकट की दौड़ में शामिल है। भारतीय जनशक्ति पार्टी जिलाध्यक्ष रहते हुए विधानसभा चुनाव लडऩे वाले और दोबारा भाजपा में शामिल हुए ब्रह्मानंद चौधरी भी यहां से टिकट पाने के लिए लाइन में है।

कांग्रेस : वैसे तो विधानसभा में कांग्रेस का हर दूसरा नेता टिकट की दौड़ में है, लेकिन इन सबमें शाजापुर विधानसभा से चार बार लगातार चुनाव जीतने वाले दिग्विजय सरकार में ऊर्जा मंत्री रह चुके हुकुमसिंह कराड़ा फिर से टिकट मांग रहे हैं। पिछले चुनाव में कराड़ा को हार का सामना जरूर करना पड़ा था, लेकिन उनकी हार का अंतर काफी कम था। ऐसे में फिर से उन्होंने टिकट के लिए अपनी ताल ठोक दी है। कराड़ा के टिकट की राह में सबसे बड़ा रोड़ा जिला कांग्रेस अध्यक्ष रामवीरसिंह सिकरवार है। अपनी पत्नी को नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव जीता चुके सिकरवार दो बार से लगातार कांग्रेस जिलाध्यक्ष पद पर बने हुए हैं। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव व पूर्व सांसद सज्जनसिंह वर्मा के करीबी सिकरवार ने विधानसभा चुनाव में अपनी ताकत झोंककर दावेदारी प्रस्तुत कर दी है। मार्केटिंग सोसायटी शाजापुर के पूर्व अध्यक्ष, वर्तमान अध्यक्ष के पति, पूर्वसीएम दिग्विजयसिंह के करीबी व सहकारिता नेता वीरेंद्रसिंह गोहिल भी विधानसभा में प्रबल दावेदारी प्रस्तुत कर चुके है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी और वर्तमान नपाध्यक्ष के पति क्षितिज भट्ट अपने पिता डॉ. बसंतकुमार भट्ट (पूर्व नपाध्यक्ष) के सहारे टिकट के लिए प्रयासरत है। लंबे समय से कांग्रेस के सक्रिय कार्यकर्ता की भूमिका निभा रहे ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी सदस्य, प्रदेश युवक कांग्रेस प्रवक्ता एवं प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष जीतू पटवारी के बेहद करीबी नरेश कप्तान ने तो बकायदा विधानसभा क्षेत्र में परिवर्तन यात्रा के नाम से जनसंपर्क शुरू कर दिया है। क्षेत्र में कांग्रेस के प्रत्येक आंदोलन में सक्रिय भागीदारी निभाने वाले कप्तान भी टिकट के लिए जोर लगा रहे है। स्व. माधवराव सिंधिया और ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष मक्सी स्व. रामचंद्र पटेल के पुत्र और वर्तमान मक्सी नगर परिषद अध्यक्ष राजेंद्र पटेल का नाम भी दावेदारों की सूची में शामिल है।

अन्य : विधानसभा से इस बार आम आदमी पार्टीभी पूरी ताकत से मैदान में है। पार्टी की ओर से जियाउर्रहमान को प्रत्याशी घोषित किया जा चुका है। जियाउर्रहमान ने तो प्रत्याशी घोषित होने के बाद से विधानसभा में सघन जनसंपर्क शुरू कर दिया है। इसके अलावा सपाक्स व निर्दलीय के तीन से चार उम्मीदवार भी चुनाव लडऩे की तैयारी में है।

पिछली विधानसभा परिणाम
विजेता : अरुण भीमावद (भाजपा)

कुल प्राप्त वोट : 76, 911
निकटतम प्रतिद्वंद्वी : हुकुमसिंह कराड़ा (कांग्रेस)

कुल प्राप्त वोट : 74973
जीत का अंतर : 1928

आगर में बिछ गई राजनीतिक बिसात, महिला उम्मीदवारों की कमी
आगर-मालवा. विधानसभा चुनाव की राजनीतिक बिसात बिछ चुकी है। दोनों प्रमुख राजनीतिक दल में दावेदारों की भरमार दिखाई दे रही है। आगर विधानसभा अजा वर्ग के लिए सुरक्षित है। इस सीट पर कई बाहरी दावेदार भी सपने देख रहे हैं। यहां भाजपा-कांग्रेस दोनो ही पार्टी में करीब 15-15 दावेदार अपने टिकट पक्के बता रहे हैं। वहीं वर्तमान विधायक भी वापस भाजपा से टिकट लेने की दौड़ में लगे हुए हैं। यहां पर महिला दावेदारों की कमी नजर आ रही है फिर भी दोनों पार्टी में तीन-चार महिलाएं अपनी दावेदारी जता रही हैं।

भाजपा का गढ़ मानी जाती है आगर विधानसभा
आगर विधानसभा भाजपा का गढ़ मानी जाती है। 2003 से लेकर 2013 के चुनाव तक एवं 2014 में हुए उप चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशियों को करारी हार का सामना करना पड़ा है। 1998 में ही कांग्रेस प्रत्याशी ने जीत हासिल की थी उसके बाद निरंतर कांग्रेस को हार ही मिल रही है।

2003 से लगातार हार झेल रही है कांग्रेस
1993 में भाजपा प्रत्याशी गोपाल परमार ने कांग्रेस के मधुकर मरमट को पराजित किया था। 1998 में कांग्रेस के रामलाल मालवीय ने भाजपा के गोपाल परमार को हराया। 2003 में कांग्रेस ने वापस रामलाल मालवीय को मैदान में उतारा तो भाजपा की रेखा रत्नाकर ने उनसे जीत छीन ली थी। 20085 में कांग्रेस ने रमेश सूर्यवंशी को मैदान में उतारा तो भाजपा के लालजीराम मालवीय ने करीब 16 हजार वोटों से जीत दर्ज की। इसी प्रकार 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के मनोहर ऊंटवाल ने कांग्रेस के मधु गेहलोत को 28 हजार 859 मतों से हराया था। मनोहर ऊंटवाल के सांसद बन जाने के कारण रिक्त हुईआगर सीट पर अगस्त 2014 में उपचुनाव हुए जिसमें भाजपा के गोपाल परमार ने कांग्रेस के राजकुमार गौरे को 27 हजार 702 मतों से शिकस्त दी।

आगर विधानसभा :-

गोपाल परमार- संघ की पृष्ठभूमि के साथ 1993 में पहली बार विधायक बने । उसके बाद 1998 में पार्टी ने दोबारा अपना प्रत्याशी बनाया लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी से हार गए। 2014 में हुए उप चुनाव में वापस विधायक बने।

रेखा रत्नाकर- पूर्व विधायक आगर भूरेलाल फिरोजिया की पुत्री एवं 2003 में भाजपा से चुनाव लड़ जीत दर्ज की। तेज तर्रार महिला के रूप मे पहचान।

लालजीराम मालवीय- केन्द्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोत के निकटस्थ होने पर 2008 में पार्टी ने प्रत्याशी बनाया और जीत दर्ज की। उसके बाद से निरंतर पार्टी के लिए सक्रिय रहे।

पर्वतलाल गुहाटिया- जिला पंचायत अध्यक्ष कलाबाई गुहाटिया के पति एवं भाजपा जिला महामंत्री के रूप में सक्रिय।

मनोहर चौहान- पेशे से शिक्षक लेकिन लंबे समय से भाजपा में सक्रिय और टिकट की दौड़ में।

रेखा मालवीय- विद्यार्थी परिषद एवं दुर्गावाहिनी के विभिन्न पदों पर रहना और मूलत: कानड़ निवासी होकर पार्टी में सक्रिय भूमिका।

मनोहर ऊंटवाल- आगर विधायक रहते हुए देवास-शाजापुर सांसद बने वर्तमान में भाजपा प्रदेश महामंत्री के रूप में सक्रिय।
(इसी प्रकार संघ की पृष्ठभूमि से आने वाले राजाराम बामनिया, केन्द्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोत के पोते मनीष गेहलोत, गोपाल वर्मा, कमलेश जटिया अपनी दावेदारी जता रहे है)

आगर विधानसभा अजा 166 कांग्रेस
रमेश सूर्यवंशी- वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में पराजय का सामना किया। वर्तमान में जिला कांग्रेस उपाध्यक्ष के रूप में सक्रिय।

राजकुमार गौरे- वर्ष 2014 में हुए उप चुनाव में पराजय का सामना किया वर्तमान में पीसीसी सदस्य के रूप में सक्रिय।

कमल जाटव- जिला कांग्रेस महामंत्री एवं पूर्व युवक कांग्रेस अध्यक्ष, पूर्व नपा पार्षद एवं वर्तमान में पत्नि पार्षद पार्टीके लिए सक्रीय।

लालूराम मालवीय- ग्रामीण क्षेत्र में कांग्रेस के लिए सक्रिय वर्तमान में पत्नी जिला पंचायत सदस्य और स्वयं कांग्रेस मंडलम अध्यक्ष के रूप में सक्रिय।

इंदुबाला बिलरवान- कांग्रेस में तेज तर्रार महिला के रूप में पहचान। पूर्व पार्षद तथा वर्तमान में कांग्रेस महिला मंडलम अध्यक्ष का दायित्व।

राकेश मालवीय- ग्राम पंचायत पांचारूण्डी सरपंच कांग्रेस में सक्रिय एवं जिलाध्यक्ष बलाई समाज।

गौरीशंकर सूर्यवंशी- कांग्रेस में सक्रिय एवं टिकट की दौड़ में। वर्तमान में जिलाध्यक्ष अजा प्रकोष्ठ के रूप में सक्रिय।

विपिन वानखेड़े- पिछले 2 वर्षो से निरंतर आगर विधानसभा में सक्रीय। वर्तमान में एनएसयूआई प्रदेशाध्यक्ष के रूप में पार्टी में सक्रिय।

(इसी प्रकार पूर्व विधायक रामलाल मालवीय, दयाराम मालवीय, हरिनारायण मालवीय, कैलाश परमार, देवीसिंह, बालूराम मालवीय, सत्यनारायण मालवीय, रमेशचंद सौराष्ट्रीय आदि भी दौड़ में है।)

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