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नाग टेकरी पर मोर हुए बेहोश

locationशाजापुरPublished: Aug 06, 2018 11:22:42 pm

Submitted by:

Gopal Bajpai

पटवारी ने मौके पर पहुंचकर संभाला

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नाग टेकरी पर मोर हुए बेहोश

शाजापुर.

समीपस्थ ग्राम दिल्लौद के पास स्थित नागटेकरी पर राष्ट्रीय पक्षी मोर के बेसुध पड़े होने की सूचना सोमवार सुबह हल्का पटवारी को मिली। पटवारी ने मौके पर पहुंचकर ग्रामीणों की मदद से टेकरी पर ढूंढा तो दो मोरों को बेसुध अवस्था में पड़े दिखाई दिए। इस पर पटवारी ने ग्रामीणों की मदद से मोरों को सुरक्षित स्थान पर लाकर उन्हें दाना-पानी खिलाया। इसके बाद इसकी सूचना वन विभाग को दी गई। वन विभाग की टीम दोनों मोर को अपने साथ लेकर आई और उपचार के बाद निगरानी में उन्हें नेहरू स्मृति वन में रखा गया है।

पटवारी ललित कुंभकार ने बताया कि सुबह सूचना मिली कि दिल्लौद के पास नाग टेकरी करीब 2 मोर बेसुध अवस्था में पड़े है। मौके पर पहुंचकर देखा तो दो मोर बेसुध अवस्था में पड़े हुए हैं। ग्रामीणों का कहना था कि एक मोर की मौत हो गई है, लेकिन कहीं भी कोई मोर मृत अवस्था में नहीं मिला है। इस पर पटवारी कुंभकार ने इन दोनों मोर की देखभाल करना शुरू की और उन्हें पानी पिलाया और अपने साथ लेकर आए। उन्होंने इसकी सूचना वन विभाग को भी दी। मौके पर वन विभाग की टीम पहुंचने के बाद पटवारी ने दोनों मोर वन विभाग के हवाले कर दिए।

शिकार का था शक
ग्रामीणों ने पटवारी को सूचना दी थी कि यहां मोर का शिकार हुआ है और कई सारे मोर यहां मृत पड़े हुए हैं। मौके पर जब पटवारी पहुुंचे तो देखा कि 2 मोर मौके पर थे जो जिंदा थे। इस पर उन्होंने आसपास के लोगों से पूछा तो किसी ने बताया कि कोई जहरीला पदार्थ खाने से इनकी ये हालत हुई है। आसपास देखा तो खेतों से कीटनाशक दवाई की बदबू आ रही थी। इस पर कयास लगाया जा रहा है कि शायद कीटनाशक दवायुक्त किसी चीज का सेवन करने से या किसी जहरीले कीड़ा खा लेने से इनकी हालत बिगड़ी होगी। हालांकि वन विभाग के अधिकारी मामले की जांच कर रहे हैं। यही नहीं मौके पर अफवाहों का दौर भी चलता रहा कि कुछ मोरों की मौत भी हो गई है। जब वन विभाग की टीम ने आसपास का दौरा किया तो कहीं भी कोई मोर मृत अवस्था में नहीं मिला और जो दो मोर मिले थे उनका पशु चिकित्सक डॉ. एमके सिंघल से उपचार कराया गया। फिलहाल दोनों मोर की हालत स्थिर है और नेहरु स्मृति वन में उनकी देखभाल की जा रही है। वन विभाग का कहना है कि जब तक ये पूरी तरह स्वस्थ नहीं हो जाते इनकी देखभाल की जाएगी और जब ये पूरी तरह स्वस्थ हो जाएंगे इन्हें जंगल में छोड़ दिया जाएगा।

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