शहर के हरायपुरा के समीप गवली मोहल्ला में रहने वाली साधारण परिवार की बालिका खुशी पिता सुरेश यादव ने करीब साढ़े तीन साल पहले वेटलिफ्टिंग की शुरुआत की। खुशी के जुनून को आगे बढ़ाया उसके गुरु सेवानिवृत्त शिक्षक लीलाधर पाल ने। पाल सर से ट्रेनिंग लेकर खुशी ने स्थानीय से लेकर जिला, संभाग, राज्य और राष्ट्रीय स्तर तक अपना दम दिखाते हुए पदक हासिल किए। नौवीं अध्ययन के दौरान खुशी ने पहली बार जिलास्तर की वेटलिफ्टिंग की स्पर्धा में भाग लिया था। वर्ष 2015-16 में संभाग स्तर की प्रतियोगिता में खुशी ने टॉप किया और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। इसके बाद 2015-16 में ही सीहोर में आयोजित राज्यस्तरीय स्पर्धा में खुशी ने माइनस 69 वेट कैटेगिरी में स्वर्ण पदक हासिल करके सबको चौंका दिया। अब खुशी का अगला लक्ष्य अपने गुरु पाल सर के जिते हुए खिताब की बराबरी करने का है।
प्रदेश का पहला स्वर्ण जीता था पाल सर ने
वेटलिफ्टिंग के गुरु पाल सर ने कॉलेज के जमाने में इंदौर कॉलेज की ओर से ऑल इंडिया लेवल की इंटर यूनिवर्सिटी वेटलिफ्टिंग स्पर्धा में देशभर के समस्त कॉलेज से आए प्रतिभागियों के सामने दमखम दिखाया था। 1974 में जबलपुर में आयोजित हुईं। पाल सर ने 52 किलो वेट कैटेगिरी में सभी को पछाड़ते हुए प्रदेश का पहला स्वर्ण पदक और सर्टिफिकेट प्राप्त किया था।