अनोखा अस्पताल: यहां कागज पर निकलता है एक्स-रे
शाजापुरPublished: Jul 14, 2018 12:00:39 am
जिला अस्पताल में ऊंट के मुंह में जीरा बराबर एक्स-रे फिल्म उपलब्ध कराई जाती, बजट के अभाव में सादे कागज पर निकाले जा रहे एक्स-रे, चिकित्सकों को भी इलाज करने में आ रही परेशानी
शाजापुर. एक्स-रे का नाम सामने आते ही काली पारदर्शी फिल्म पर शरीर के आंतरिक अंगों की स्थिति वाली तस्वीर सामने आती है। जब आप शाजापुर के जिला अस्पताल से मरीजों के निकाले जा रहे एक्स-रे पर नजर डालेंगे तो पता चलेगा कि यहां तो एक्स-रे के मायने ही बदल दिए गए है। यहां पर सादे कागज पर प्रिंटर से पिं्रट करके एक्स-रे निकाला जा रहा है। इस सादे कागज को देखकर डॉक्टर भी उपचार दे देते है। ऐसा नहीं है कि जिला अस्पताल के जिम्मेदारों ने इस संबंध में वरिष्ठ स्तर पर कोई जानकारी नहीं दी। लगातार 3 साल से जानकारी देने के बाद भी अस्पताल को हर बार बजट का अभाव बताते हुए ऊंट के मुंह में जीरा बराबर एक्स-रे फिल्म उपलब्ध कराई जाती है। जिसका उपयोग केवल एमएलसी में ही हो पाता है।
जिला मुख्यालय पर स्थित सबसे बड़े शासकीय अस्पताल डॉ. भीमराव आंबेडकर जिला चिकित्सालय में एक्स-रे की हालत दिनों दिन खराब होती जा रही है। दिनभर में यहां पहुंचने वाले 50-6 0 मरीजों को एक्स-रे की जरूरत पड़ती है। एक्स-रे करने के लिए बकायदा रेडियोलॉजिस्ट भी पदस्थ है। जो सभी मरीजों के एक्स-रे भी करते है, लेकिन जब एक्स-रे फिल्म की बात आती है तो सभी को सादे कागज पर प्रिंट किए हुए एक्स-रे थमाए जाते है। फिल्म की जगह सादे कागज पर निकलने वाले एक्स-रे से कई बार डॉक्टर भी धोखा जाते हैं और मरीजों को बेहतर उपचार नहीं दे पाते।
जिला अस्पताल के डॉक्टर भी यह बात मानते है कि एक्स-रे फिल्म पर ही बेहतर होते हैं, सादे कागज पर एक्स-रे प्रिंट निकालने से माइनर फ्रैक्चर नजर नहीं आता है। बता दें कि करीब तीन साल पहले जिला अस्पताल में एक्स-रे फिल्म खत्म हुई थी, तब कुछ दिनों के लिए प्रिंटर से कागज पर एक्स-रे निकालना शुरू किए थे, महज व्यवस्था अस्थाई तौर पर की गई थी, लेकिन इसके बाद से ही बजट का अभाव लगातार बना रहा।
मांग 15 हजार की, मिल रही 1500
जिला अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट सत्येंद्रकुमार धनोतिया के मुताबिक जिला अस्पताल में हर साल 15 हजार फिल्म की मांग रहती है, लेकिन शासन की ओर से मात्र1500 फिल्म उपलब्ध कराई जाती है। जो नाम मात्र है। हर बार शासन की ओर से बजट का अभाव बताया जाता है। पिछले तीन सालों से पर्याप्त फिल्म उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। जिससे अस्पताल में आने वाले मरीजों को उपचार के लिए प्रिंटर से कागजों पर एक्स-रे निकाले जाते हैं।
सीधे कम्प्यूटर स्क्रीन पर ही देखते हैं डॉक्टर
जिला अस्पताल में वैसे तो कागज पर एक्स-रे निकालने का दौर चल रहा है। इसके हिसाब से ही डॉक्टर भी उपचार करते है, लेकिन जब कोई केस ज्यादा ही जटिल होता है और सादे कागज पर प्रिंट कराए गए एक्स-रे में स्थिति स्पष्ट नहीं होती है तो डॉक्टरों को एक्स-रे रूम में पहुंचकर कम्प्यूटर पर ही एक्स-रे देखना पड़ता है।
डॉक्टरों ने भी बताई परेशानी
&कागजों पर एक्स-रे निकालना अस्थाई व्यवस्था है, लेकिन लगातार इसी पर एक्स-रे निकालने से उपचार देने में परेशानी होती है। बड़े फ्रेक्चर तो नजर आ जाते हैं, लेकिन बारिक फ्रैक्चर का पता नहीं चलता है। जिससे मरीज को सही उपचार नहीं मिल पाता।
डॉ. एनके गुप्ता, हड्डी रोग विशेषज्ञ, जिला अस्पताल-शाजापुर
हड्डी के प्रैक्चर देखने के लिए फिल्म पर ही एक्स-रे होते हैं। कागज पर प्रिंट निकालकर बड़े फ्रेक्चर देखे जा सकते है। सादे कागज पर एक्स-रे प्रिंट से कई बार परेशानी आती है। माइनर फ्रैक्चर नजर नहीं आते, जिससे हड्डी का सही पता नहीं लगता, जिससे मरीज को ट्रीटमेंट देने में परेशानी आती है।
संजय खंडेलवाल, हड्डी रोग विशेषज्ञ, जिला अस्पताल-शाजापुर
बजट के अभाव में एक्स-रे फिल्म नहीं आ रही थी। जिससे सादे कागज पर प्रिंट निकालकर मरीजों को दी जाती है। एमएलसी केस के लिए ही फिल्म का उपचार किया जाता है। इसमें जरूरी केस में ही फिल्म का उपयोग होता है। जिला अस्पताल में फ्यूरी की जापानी एक्स-रे मशीन है, लेकिन फिल्म की कमी से उसका उपयोग नहीं हो पाता। जल्द ही इसकी उपलब्धता हो जाएगी।
सत्येंद्रकुमार धनोतिया, रेडियोलॉजिस्ट, जिला अस्पताल