बता दें कि जिला मुख्यालय से करीब 20 किमी दूर ग्राम पिपलिया इंदौर के नया समाज के ग्रामीणों ने एक माह पहले ही अपनी कहानी जिला अधिकारियों को सुनाई थी। लेकिन एक माह बाद ही उन्हें दोबारा यहां आकर अपना दुखड़ा अधिकारियों को बताना पड़ा। इस एक माह में अधिकारियों ने एक बार भी गांव में झांककर देखा तक नहीं कि यहां के लोग कैसे जीवन यापन कर रहे हैं। इसके चलते उन्हें दोबारा यहां आकर अपनी मांगें दोहराना पड़ी। अधिकारियों के रवैये से परेशान ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार की चेतावनी दी है।
सड़क के अभाव में तालाब से गुजरते हैं ग्रामीण
ग्राम के कमल मालवीय ने बताया कि हमारे गांव में पहुंचने के लिए सड़क नहीं है। आने-जाने के लिए लोगों को तालाब से होकर गुजरना पड़ता है। बच्चों को दूसरे गांव पढ़ाई करने जाने के लिए या तो परिजनों के कंधों पर बैठकर जाना पड़ता है या फिर स्कूल की छुट्टी करना पड़ती है। गांव में कोई बीमार हो जाए तो उसे अस्पताल तक ले जाने के लिए चारपाई पर डालकर ले जाना पड़ता है। गांव तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं होने के कारण कोई वाहन गांव तक नहीं पहुंच रहे है। उन्होंने बताया कि गांव में २५० लोगों आबादी है जो आज भी मूलभुत सुविधाओं के लिए मोहताज है। लेकिन आज तक यहां सड़क नहीं बनाई गई है।
विधानसभा चुनाव का किया बहिष्कार
ग्रामीणों ने बताया कि उनके गांव में शासन की किसी भी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। ग्रामीणों ने एकमत होकर कहा कि इस बार हम चुनाव का बहिष्कार करेंगे और किसी भी पार्टी को को अपना वोट नहीं देंगे। उन्होंने बताया कि हमारी मांगें हैं कि ग्राम निजामड़ी से उनके गांव नया समाज खेड़ा तक की 3 किमी की सड़क का निर्माण किया जाए। प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ पात्र हर परिवार को मिले, गांव तक पाइप लाइन डालकर पानी की व्यवस्था की जाए। जनसुनवाई पहुंचे ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार का बैनर भी लगाया।