शाजापुरPublished: Aug 12, 2018 12:57:17 am
Lalit Saxena
शासकीय नवीन कॉलेज में इस बार विद्यार्थियों की संख्या आवंटित सीटों से ज्यादा हो गई, लेकिन कॉलेज प्रशासन अपने रवैये पर अड़ा हुआ है।
शासकीय नवीन कॉलेज में इस बार विद्यार्थियों की संख्या आवंटित सीटों से ज्यादा हो गई, लेकिन कॉलेज प्रशासन अपने रवैये पर अड़ा हुआ है।
शाजापुर. शासकीय नवीन कॉलेज में इस बार विद्यार्थियों की संख्या आवंटित सीटों से ज्यादा हो गई, लेकिन कॉलेज प्रशासन अपने रवैये पर अड़ा हुआ है और विद्यार्थियों को एडमिशन नहीं मिल रहा है। इसे लेकर एबीवीपी और एनएसयूआई दोनों ने ही विद्यार्थियों के भविष्य को लेकर शनिवार को आवाज उठाई और कॉलेज प्राचार्य का घेराव कर दिया। लगभग ढाई घंटे चले हंगामे के बाद नतीजा ये हुआ कि कॉलेज प्रशासन ने 10 प्रतिशत सीटें बढ़ाने का आश्वासन दिया है। वहीं यदि विद्यार्थियों की संख्या ज्यादा हुई तो आवश्यकता पडऩे पर इसे 25 प्रतिशत तक भी किया जा सकता है।
जिला मुख्यालय स्थित शासकीय नवीन कॉलेज में वैसे तो प्रवेश संख्या कम रहती है। लेकिन इस बार कॉलेज में आवंटित सीटों की अपेक्षा अधिक संख्या में विद्यार्थियों के आवेदन आए हैं। इसके चलते कॉलेज में प्रवेश बंद कर दिए गए थे। इसे लेकर विद्यार्थियों ने नाराजगी जताई। शनिवार को एनएसयूआई कार्यकर्ता नारेबाजी करते हुए कॉलेज पहुंचे और प्राचार्य का घेराव करते हुए ज्ञापन सौंपा। इसमें मांग की गई कि विद्यार्थियों के अनुरूप सीटें बढ़ाई जाएं। इसके बाद इसी मांग को लेकर एबीवीपी कार्यकर्ता भी कॉलेज पहुंचे और नारेबाजी करते हुए प्राचार्य से सीटें बढ़ाने की मांग की।
प्राचार्य को सीटें बढ़ाने का ज्ञापन सौंपा
दोनों ही संगठनों के पदाधिकारियों का कहना था कि यदि विद्यार्थियों को यहां प्रवेश नहीं मिलेगा तो वे कहां जाएंगे। इसके लिए आप कुछ भी करें, लेकिन कोई भी विद्यार्थी प्रवेश से वंचित नहीं रहना चाहिए। इसे लेकर दोनों ही संगठनों ने शिक्षा मंत्री को संबोधित ज्ञापन भी प्राचार्य को सौंपा और सीटें बढ़ाने की मांग की। इसके बाद भी प्राचार्य वरिष्ठ अधिकारियों से बात करने का ही आश्वासन देते रहे। लेकिन जब तक कार्यकर्ता संतुष्ट नहीं हुए तब तक वे कॉलेज में ही डटे रहे। कुछ देर बाद जब प्राचार्य अपने कक्ष में चले गए तो कार्यकर्ता वहां भी पहुंच गए और धरना देकर बैठ गए। आखिरकार प्राचार्य ने कमिश्नर भोपाल से चर्चा की और स्थिति से अवगत कराया तब उन्होंने 10 प्रतिशत सीटें बढ़ाए जानेे का कार्यकर्ताओं को कहा। इसके बाद दोनों ही दलों के कार्यकर्ताओं ने वहां जश्न मनाया और रवाना हो गए।
पहले व दूसरे चरण में संख्या थी कम
इस मामले में कॉलेज प्राचार्य का कहना था कि पहले चरण में विद्यार्थियों की संख्या कम थी और हमने आवंटन संख्या के लिए यूनिवर्सिटी में आवेदनों के मान से मांग कर दी थी और उसी हिसाब से सीटों का यहां आवंटन किया गया था। लेकिन बाद में दूसरे और तीसरे चरण में आवेदन ज्यादा आ गए। इसके चलते सीटें कम पड़ गई। जानकारी के अनुसार बीए में 495 विद्यार्थियों की डिमांड भेजी गई थी उसके हिसाब से सीटें आवंटित की गई थी, लेकिन बीए के लिए करीब 700 की संख्या में आवेदन आ गए। इसी प्रकार की स्थिति बीएससी के लिए भी बनी और यहां भी सीटों के मान से आवेदन ज्यादा आ गए थे।
गत वर्ष खाली रह गई थी सीटें
गत वर्ष सीटें खाली रह गई थी। चूंकि विद्यार्थियों के प्रवेश के मान से यूनिवर्सिटी को महाविद्यालय द्वारा शुल्क जमा करना पड़ता है। गत वर्ष सीटें खाली रहने के कारण महाविद्यालय को हजारों रुपए की अतिरिक्त राशि यूनिवर्सिटी को जमा करना पड़ा था। इसी को देखते हुए इस बार महाविद्यालय प्रशासन ने कम सीटों के लिए अपनी डिमांड भेजी थी, लेकिन आवेदन ज्यादा आ गए। प्राचार्य के मुताबिक महाविद्यालय में स्टॉफ की भी कमी है और संसाधनों का भी अभाव है। यूनिवर्सिटी का कहना है कि यदि आपके पास संसाधन की उपलब्धता हो तो ही सीटें आवंटित की जाएंगी।
सीटें कम पडऩे की स्थिति में दोनों दल सीटें बढ़ाने की मांग को लेकर आए थे। खासकर बीए और बीएससी में प्रवेश के आवेदन ज्यादा आने से यह स्थिति बनी थी। हमने कमिश्नर भोपाल से चर्चा की तो उन्होंने 10 प्रतिशत सीेटें बढ़ाने की अनुमति दे दी है।
डॉ. एसके मेहता, प्राचार्य, बीएसएन कॉलेज