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जिले के इतिहास में कोर्ट ने पहली बार यह कैसा फैसला सुनाया

locationशाजापुरPublished: Jan 31, 2018 12:50:06 am

Submitted by:

Gopal Bajpai

शहर सहित पूरे जिले के बहुचर्चित स्टॉपडैम घोटाले में 29 साल बाद मंगलवार को फैसला आया। सूखा राहत कार्य में 1 करोड़ रुपए से ज्यादा का शासन को नुकसान

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शहर सहित पूरे जिले के बहुचर्चित स्टॉपडैम घोटाले में 29 साल बाद मंगलवार को फैसला आया। सूखा राहत कार्य में 1 करोड़ रुपए से ज्यादा का शासन को नुकसान

शाजापुर. शहर सहित पूरे जिले के बहुचर्चित स्टॉपडैम घोटाले में 29 साल बाद मंगलवार को फैसला आया। सूखा राहत कार्य में 1 करोड़ रुपए से ज्यादा का शासन को नुकसान पहुंचाने के मामले में विशेष न्यायालय (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) ने कुल 42 आरोपियों को सश्रम कारावास व जुर्माना लगाया।
विशेष लोक अभियोजक सचिन रायकवार व उपसंचालक अभियोजन प्रेमलता सोलंकी ने बताया अविभाजित शाजापुर जिले में 1986-87 तथा 1987-88 में सूखे की स्थिति को देखते हुए शासन ने किसानों व मजदूरों को राहत पहुंचाने के उद्देश्य से सिंचाई विभाग के माध्यम से 138 स्टॉपडैम बनवाए थे। इसमें तत्कालीन कार्यपालन यंत्री, एसडीओ, सहायक यंत्री, उपयंत्री व ठेकेदारों ने आपराधिक षड्यंत्र कर शासन को 1 करोड़ 42 लाख 3 हजार 411 रुपए 50 पैसे का नुकसान पहुंचाया था। शासन के निर्देशानुसार 138 डैम के निर्माण में शासन की ओर से दी गई राशि में से 75 प्रतिशत राशि श्रमिकों को देना थी तो शेष 25 प्रतिशत राशि से सामग्री खरीदना थी, लेकिन अधिकारियों ने इसके उल्ट 75 प्रतिशत से ज्यादा राशि का उपयोग सामग्री क्रय करने में किया और श्रमिकों को भुगतान 25 प्रतिशत से भी कम किया। मामले में विभागीय जांच के बाद 1989 में ईओडब्ल्यू इंदौर ने 63 आरोपियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया। जांच के बाद 1999 में मामला कोर्ट पहुंचा। सुनवाई के दौरान 18 आरोपियों की मौत हो गई, दो अभी-भी फरार हैं। शेष 43 आरोपियों में से एक को अटैक आने के कारण 42 को मंगलवार को अलग-अलग धाराओं में सश्रम कारवास सुनाया गया। साथ ही सभी से 89 लाख 26 हजार रुपए का जुर्माना वसूला गया। जिले सहित संभाग में संभवत: पहली बार कोर्ट से इतने सारे भ्रष्टाचारियों को एक साथ सजा सुनाकर जुर्माना वसूला है।
1986-87 एवं 1987-88 में अविभाजित शाजापुर जिले में भंयकर सूखा पड़ा था। इसे देखते हुए किसानों व मजदूरों को राहत पहुंचाने के उद्देश्य से तत्कालीन कलेक्टर ने जिले के विभिन्न स्थानों पर सूखे के दौरान सिंचाई संभाग शाजापुर में सूखा राहत अंतर्गत 138 स्टॉपडैम के निर्माण कार्य करवाया था।
तत्कालीन कार्यपालन यंत्री, अनुविभागीय अधिकारी, सहायक यंत्री, उपयंत्री व ठेकेदारों ने मिलकर षड्यंत्र रचा। इसमें डैमों के निर्माण कार्य में शासन के आदेश अनुसार राहत कार्यों की योजना अनुसार काम नहीं किया और 5 करोड़ 32 लाख में से 4 करोड़ 18 हजार की सामग्री खरीद ली। श्रमिकों को 1 करोड़ 32 लाख 34 की राशि का भुगतान कर शासन को 1 करोड़ 42 लाख का नुकसान पहुंचाया।
इसी मामले में ईओडब्ल्यू ने 1989 में 63 आरोपियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया। जांच के बाद 1999 में विशेष न्यायालय भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम जिला शाजापुर के समक्ष अभियोग पत्र प्रस्तुत किया। अभिलेख एवं विचारण के पश्चात विशेष लोक अभियोजक सचिन रायकवार व उपसंचालक अभियोजन प्रेमलता सोलंकी के तर्कों से सहमत होते हुए नीता गुप्ता की अदालत ने मंगलवार को 42 आरोपियों को धारा 120 बी में दो-दो वर्ष का सश्रम करावास एवं 500-500 जुर्माना सुनाया। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में सभी आरोपियों को दो-दो वर्ष का सश्रम कारावास व जुर्माना से दंडित किया।

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