scriptएक पलंग पर दो-दो मरीज का उपचार करने की मजबूरी जाने क्यों? | Why do you know the compulsion to treat two or two patients on a bed? | Patrika News

एक पलंग पर दो-दो मरीज का उपचार करने की मजबूरी जाने क्यों?

locationशाजापुरPublished: Apr 25, 2019 11:52:03 pm

Submitted by:

rishi jaiswal

जिला अस्पताल : गर्मी सेउल्टी-दस्त, घबराहट व लू के मरीजों की संख्या बढ़ी, मौसमी बीमारी से बचने को चिकित्सक दे रहे सलाह

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शाजापुर. गर्मी की तपन अब लोगों को बीमार कर रही है। जिला अस्पताल में प्रतिदिन उल्टी-दस्त, घबराहट व लू के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। मरीजों की संख्या अधिक होने से एक पलंग पर दो-दो मरीजों का उपचार किया जा रहा है। मौसम का बदलाव और शहरी क्षेत्र में हो रही दूषित पेयजल सप्लाई लोगों की सेहत पर असर डाल रही है। इससे जिला अस्पताल में उल्टी-दस्त, पेटदर्द, सर्दी-जुकाम बुखार आदि से पीडि़त मरीज बड़ी संख्या में भर्ती हो रहे हैं। स्थिति यह है कि यहां के वार्ड में क्षमता से दोगुने मरीज भर्ती किए गए हैं। यही स्थिति चिल्ड्रन वार्ड, मेल मेडिकल, महिला मेडिकल वार्ड में देखने को मिल रही है। लगभग हर पलंग पर एक साथ दो मरीजों को भर्ती किया गया है। इनमें से कुल अलग-अलग बीमारी से पीडि़त भी हैं। बावजूद साथ में भर्ती किए जाने से इन्हें संक्रमण का खतरा है।
गौरतलब है कि एक सप्ताह से लगातार तापमान में इजाफा हो रहा है। अधिकतम तापमान ४३.४ डिग्री पर पहुंच गया है। ऐसे में गर्मी की तपन से लोग परेशान है। इस भयावह गर्मी ने अनेकों लोगों को बीमार कर दिया है। प्रतिदिन अस्पताल में ६०० से अधिक मरीज पहुंच रहे हैं। इनमें करीब २०० से अधिक संख्या उल्टी-दस्त, घबराहट और लू के मरीजों की है। हालत यह है कि जनरल वार्ड में अब मरीजों को रखने की जगह भी नहीं है। यहां एक पलंग पर दो मरीजों को रखकर उपचार दिया जा रहा है।
मरीजों के लिए कूलर की व्यवस्था
गर्मी से बीमार हुए मरीजों को राहत देने के लिए जिला अस्पताल में कूलर लगाए गए हैं। वहीं अटेंडर मरीज के वाटर कूलर की भी व्वयस्था है। अस्पताल प्रशासन ने लगभग सभी वार्डों में कूलर लगाए हैं। जिससे मरीजों को राहत मिल सके। कूलर की ठंडी हवाओं बीच मरीजों उपचार किया जा रहा है। सिविल सर्जन डॉ. एसडी जायसवाल के मुताबिक गर्मी से बीमार होने वाले मरीजों के लिए अस्पताल प्रबंधन की व्यवस्था है। अचानक मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। अस्पताल में पलंग की कमी के चलते दो मरीजों को एक बेड दिया गया है। ज्यादा मरीजों की एक दिन में बॉटल लगवाकर छुट्टी हो जाती है।
25 दिन में10 हजार से अधिक बीमार,

जिले की ११ लाख के करीब आबादी के लिए शाजापुर जिला अस्पताल में महज १३ चिकित्सक ही मौजूद है। मानव संसाधन की कमी के चलते यहां मरीजों को भी परेशानी उठाना पड़ती है। जिला अस्पताल में अपै्रल के माह में २५ दिन में १० हजार ६४६ मरीज अपना उपचार कराने पहुंचे हैं। इनमें से २३२९ मरीजों को भर्ती किया गया है। जिला अस्पताल में हर दिन १०० के लगभग मरीज भर्ती हो रहे हैं। खास बात यह है कि जिला अस्पताल में १०० बेड मौजूद है। ऐसे में १०० के लगभग बेड तो गर्भवती और जच्चा बच्चा वार्ड में लग जाते हैं। बाकी वार्ड में १०० बेड रही मरीजों का उपचार हो रहा है। ऐसे में ज्यादातर मरीजों को एक दिन में ही छुट्टी भी दी जाती है।
स्वास्थ्य विभाग ने की अपील
ग्रीष्म ऋतु में उल्टी, दस्त, पेचिश, हैजा, पीलिया, टाइफाइड आदि बीमारियां होने की संभावना बढ़ जाती है। इसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने आमजन से अपील की है कि बीमारियों से बचने के लिए साफ-सफाई एवं खान-पीन पर विशेष ध्यान दें। खाने पीने में स्वच्छ पानी का उपयोग करें। शौच के बाद हाथ साबुन से धोएं। ताजे भोजन व खाद्य वस्तुओं का सेवन करें। सुरक्षित पेयजल स्रोतों का पानी उपयोग करें। पानी का उबालकर छाने एवं क्लोरीन की गोली डालकर ६-८ घंटे बाद छानकर उपयोग में ले। घर से बाहर निकले समय हाथ में दस्ताने व मुहं में रूमाल बांधे। आंखो पर फोटोक्रोमेटिक ग्लास के चश्में लगाएं। घर से निकलने से पहले दही अथवा नींबू पानी का सेवन करे। एसी या कूलर वाले कक्ष से एकदम बाहर धूप में न जाएं।
रात में भी गर्मी से नहीं मिल रहा चैन
सूर्य के तीखे तेवर कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं। तापमान सीजन के सर्वाधिक स्तर पर चल रहा है। दिन के साथ ही बुधवार-गुरुवार की रात भी सबसे अधिक गर्म रही। रात का तापमान २७.५ डिग्री और दिन का ४३.४ डिग्री दर्जकिया गया है। मौसम विभाग के मुताबिक आगामी दिनों गर्मी ऐसे ही जारी रहेगी। अधिकतम तापमान ४५ डिग्री पहुंचने की संभावना है।
हर दिन भर्ती हो रहे मरीज
तारीख भर्ती हो रहे मरीज

२५ अपै्रल १०९
२४ अपै्रल १०२

२३ अपै्रल ९९
२२ अपै्रल १०४

२१ अपै्रल १०३
२० अपै्रल ७९

१९ अपै्रल ८२
१८ अपै्रल ९४
१७ अपै्रल ७७
१६ अपै्रल ९९

अस्पताल २०० बेड का है, जहां हमने एक्स्ट्रा पलंग भी लगा रखे हैं। मौसमी बीमारी में मरीजों की संख्या अधिक होने पर एक बेड पर दो मरीजों का उपचार किया जा रहा है। ज्यादातर मरीजों की एक दिन में छुट्टी हो जाती है।
– एसडी जायसवाल, सिविल सर्जन

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