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जिला अस्पताल में इसीजी करने में महिलाएं हो जाती शर्म से पानी-पानी

locationशाजापुरPublished: May 10, 2018 11:36:43 pm

Submitted by:

Lalit Saxena

संवेदनहीनता, संविदा टेक्नीशियन करता है महिलाओं और पुरुषों की इसीजी, महिलाओं को होती है परेशानी

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शाजापुर. जिला अस्पताल में जिम्मेदारों की संवेदनहीनता का मामला उजागर हुआ है। इस बार मामला महिला मरीजों से जुड़ा है। महिलाओं की इसीजी करने के लिए यहां पर कोई महिला स्टाफ नहीं है। लिहाजा उनका इसीजी ओपीडी के पास बने कक्ष में संविदा टेक्नीशियन (पुरूष) करता है। इसके कारण महिलाएं खुद को असहज महसूस करती हैं। क्योंकि ईसीजी की मशीनें लगाने के लिए कपड़ों को उतारना पड़ता है। इससे महिलाओं को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
हमेशा से स्टॉफ की कमी के कारण अस्पताल में व्यवस्थाएं प्रभावित होती रहती हैं, लेकिन महिलाओं के उपचार के लिए महिला चिकित्सक और स्टॉफ नर्स की यहां पर व्यवस्था की जाती है। यदि महिला चिकित्सक उपलब्ध नहीं है तो महिलाओं को यहां से रेफर कर दिया जाता है, लेकिन महिलाओं के इसीजी कराने के मामले में अस्पताल प्रशासन ने आंखों पर काली पट्टी बांध रखी है। यहां पर महिलाओं की इसीजी के लिए महिला स्टाफ नहीं है। फिर चाहे महिलाओं को कितना ही असहज क्यों न होना पड़े। अस्पताल प्रशासन इसीजी कराने के लिए महिला स्टॉफनर्स तक की व्यवस्था नहीं कर रहा है। अस्पताल के वार्डों में महिला नर्सिंग स्टाफ ड्यूटी पर तैनात रहती हैं। गुरुवार को एक महिला को इसीजी कराने के लिए डॉक्टर ने कहा। इस पर जब ओपीडी के पास कक्ष में बैठे संविदा टेक्नीशियन से पूछा कि क्या महिलाओं की इसीजी के लिए यहां कोई महिला स्टाफ नहीं है तो उसने कहा कि यहां पर तो सभी की इसीजी मैं ही करता हूं।
महिला वार्ड में सही नहीं होती इसीजी
जिला अस्पताल के प्रथम तल पर स्थित महिला मेडिकल वार्ड में भी इमरजेंसी के समय इसीजी की सुविधा दी हुई है। यहां पर वार्ड में पर्दे लगाकर किसी महिला की इसीजी की जाती है, लेकिन यहां की मशीन से इसीजी के रिजल्ट सही नहीं आते हैं। गुरुवार को ही एक महिला को इसीजी के लिए उक्त परेशानी का सामना करना पड़ा।
आइसीयू का विकल्प नहीं आता काम
अस्पताल में जिन महिलाओं को इसीजी कराना है या तो उन्हें मेल नर्स से या आइसीयू में इसीजी की जा सकती है। गुरुवार को इसीजी कराने पहुंची महिला को उसके परिजन ओपीडी की बजाय आइसीयू में इसीजी कराने के लिए पहुंचे, लेकिन यहां पर स्थित दो बेड पर ही मरीज भर्ती थे। ऐसे में यहां पर मरीज के भर्ती रहने से यहां इसीजी नहीं हो पाई। पूछने पर पता लगा कि यदि कोई मरीज नहीं है तो महिलाओं की यहां पर इसीजी की जा सकती है, लेकिन अधिकांशत: यहां पर मरीज भर्ती रहते हैं, जिससे महिलाओं को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
गुल हुई अस्पताल की बिजली
एक ओर तो अस्पताल में महिलाओं को इसीजी कराने में असवंदेनशीतला सामने आई, वहीं दूसरी ओर यहां पर सोनोग्राफी के लिए आई प्रसूताओं को घंटों तक सोनोग्राफी के लिए लाइन लगाना पड़ी। सुबह करीब 11 बजे जब महिलाएं यहां पर बैठी हुई थीं, तभी जिला अस्पताल की बिजली गुल हो गई। अचानक बिजली बंद होने से यहां पर लगे पंखे भी बंद हो गए। इससे गर्मी में महिलाओं को परेशानी का सामना करना पड़ा। काफी देर तक इंतजार के बाद भी यहां बिजली प्रदाय सुचारू नहीं हो पाया।
इसीजी करने वाला शायद वो संविदा टेक्नीशियन होगा, लेकिन कोई महिला स्टाफ नहीं है तो मैं इस मामले को दिखवाता हूं। वहां पर कुछ व्यवस्था की जाएगी। अस्पताल में बिजली के लिए सोलर पैनल लगे हुए हैं। लाइट जाने पर उनसे बिजली की आपूर्ति हो जाती है। अस्पताल में शायद सोलर पैनल का मेंटेनेंस नहीं कराया होगा। मैं इस मामले को दिखवाता हूं।
डॉ. जीएल, सोढ़ी, सीएमएचओ-शाजापुर

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