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मजदूरों को सुविधाएं सिर्फ कागजों पर, हकीकत में हालात दयनीय

locationशाजापुरPublished: May 01, 2019 12:04:58 am

Submitted by:

rishi jaiswal

मजदूर दिवस पर विशेष: जिले में आज भी मजदूरों को स्थायी रोजगार की दरकार, कोई ठेला गाड़ी चलाकर तो कोई गुमटी लगाकर चला रहे आजीविका

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पीयूष भावसार. शाजापुर. गरीबी के हालात से जूझते हुए दो वक्त की रोटी के लिए हर सुबह कामगारों का समूह शहर के अलग-अलग चौक चौराहों पर खड़ा हो जाता है। सभी की लालसा इतनी ही कि आज दिनभर के लिए कोई उन्हें काम पर रख ले जिससे वो शाम को अपने परिवार का पेट पालने के लिए इंतजाम कर सके। हर दिन ये नजारा शहर में आम दिखाई देता है। जबकि शहर में अनेक बार आए जनप्रतिनिधियों ने यहां पर मजदूरों की आजीविका के लिए स्थाई साधन के लिए दावे और वादे किए, लेकिन हर वादा और दावा कोरा साबित हुआ। शहर में कोई उद्योग भी ऐसा नहीं है जहां पर मजदूरों को स्थाई रोजगार मिल पाए। ऐसे में मजबूरी में कई लोग ठेला गाड़ी धकाकर तो कोई गुमटी लगाकर परिवार का भरण -पोषण कर रहे है।
शहर में उद्योगों के विकास के लिए किसी भी जनप्रतिनिधि ने कोई प्रयास नहीं किए। हालत यह है कि यहां पर जो एक मात्र फैक्ट्री संचालित हो रही थी उसकी भी स्थिति आज खराब हो रही है। वहां पर भी चंद लोग ही काम कर रहे है। इसके अतिरिक्त शहर में बेरोजगारों और मजदूरों के लिए उनका जीवन यापन करने के लिए कोई स्थाई आजीविका का साधन नहीं है। सीजन के दौरान सांपखेड़ा के समीप सोयाबीन प्लांट पर लोगों को काम मिल जाता है, लेकिन ये भी साल में कुछ माह चलकर बंद हो जाता है। ऐसे में बड़ी संख्या में मजदूर प्रतिदिन काम की तलाश में शहर के अलग-अलग स्थानों पर पहुंचते है। एक समय का भोजन अपने साथ लेकर आने वाले ये मजदूर दूसरे समय के लिए भोजन के लिए दिनभर मेहनत करते है।
ऐसे में यदि किसी दिन इन्हें मजदूरी नहीं मिली तो खाने के भी लाले पड़ जाते हैं। हर दिन की इसी मशक्कत से परेशान होकर कई लोगों ने तो यहां-वहां गुमटियां रखकर अपना छोटा-मोटा कामकाज शुरू किया है, लेकिन कई लोग तो ऐसे भी जिनके पास गुमटी तक संचालित करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में उन्हें मजदूरी मिलने का ही इंतजार रहता है।
हर उम्र के कामगार, हर काम के लिए तैयार
शहर में मजदूरी की तलाश में प्रतिदिन युवा वर्ग ही पहुंचता है। शहर के आजाद चौक, महुपुरा सहित अन्य क्षेत्रों में हर उम्र और हर वर्ग के कामगार मिल जाते हैं। दिहाड़ी मजदूरी के लिए युवाओं से लेकर वृद्ध तक भी यहां पर तैनात रहते हैं। मजदूरों को दिनभर की मजदूरी के बाद कहीं पर 300, कहीं 200 तो कहीं से महज 150 रुपए ही मिल पाते हैं। मजदूरों ने बताया कि सुबह काफी देर इंतजार के बाद भी कोई नहीं मिलता है तो फिर कम रेट में भी मजदूरी करना पड़ती है।
उद्योगों के विकास की दरकार
मजदूरों ने बताया कि उन्हें हर दिन काम की तलाश रहती है। ऐसे में यदि कोई भी सरकार या अधिकारी उन्हें स्थाई रोजगार का साधन दिलवा दे तो सबसे अच्छा रहेगा। उन्हें मजदूरी करने में कोई परेशानी नहीं है, लेकिन इसके एवज में उन्हें जो प्रतिदिन रुपए तो मिल जाए। मजदूरों की प्रतिदिन की होने वाली इस समस्या का हल तभी हो सकता है जबकि शहर में उद्योगों का विकास किया जाए। उद्योगों का विकास होने से ही यहां के बेरोजगारों को काम मिल पाएगा व मजदूरों को प्रतिदिन की मजदूरी।
एक नजर
जिले में भवन संनिर्माण पंजीकृत श्रमिक 9 हजार (लगभग)
जिले में असंगठित पंजीकृत श्रमिक 2 लाख 69 हजार (लगभग)
मजदूरों के लिए ये हैं मुख्य योजनाएं
भवन संनिर्माण श्रमिकों के लिए योजना विवाह सहायता योजना
प्रसूति सहायता योजना
सामान्य मृत्यु पर 2 लाख की सहायता
दुर्घटना में मृत्यु पर 4 लाख की सहायता
असंगठित श्रमिकों के लिए योजना
सरल बिजली योजना
संबल योजना
सामान्य मृत्यु पर 2 लाख की सहायता
दुर्घटना में मृत्यु पर 4 लाख की सहायता
(स्रोत : श्रम विभाग-शाजापुर)
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