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दरअसल साल 2017-18 में तत्कालीन बीएसए चंद्रशेखर ने प्राथमिक शिक्षकों को कनिष्ठ से वरिष्ठ शिक्षक के पद पर प्रोन्नति दी थी। कई शिक्षकों ने इस मामले की शिकायत थी। तत्कालीन डीएम इंद्र विक्रम सिंह ने जांच कराई तो आरोप सही पाए गए। साथ ही वरिष्ठ कोषाधिकारी ज्ञानेंद्र पांडे ने लेखाधिकारी राजेंद्र कौशिक को भी दोषी पाया और पूरी रिपोर्ट डीएम को दे दी। इस रिपोर्ट में लेखाधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं की और इस पूरे प्रकरण को ठंडे बस्ते में डाल दिया। यह भी पढ़ें