दरअसल, वर्षों से कैराना नगर का निकासी का गंदा पानी नालों के द्वारा मामोर झील में जाता रहा है। जिसके चलते मामोर झील ओवरफ्लो होने के कारण मामोर झील का रकबा भी बढ़ गया। जिससे आसपास के किसानों की फसलें मामोर झील के पानी के कारण बर्बाद होती जा रहीं है। वहीं मंगलवार को किसानों द्वारा मामोर झील के पानी को रोकने के लिए बनाई गई मेड रात्रि में टूट गई। जिस कारण करीब ढाई सौ बीघा किसानों की जीरी, ईख व गेहूं की फसल जलमग्न होने के कारण नष्ट हो गई है।
एक माह पूर्व नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत मामौर झील से किसानों को राहत देने की कवायद की बात की जा रही थी। उस समय नमामि प्रोजेक्ट के ज्वाइंट सेक्रेट्री ने जल निगम की टीम के साथ मामोर झील क्षेत्र का निरीक्षण कर निकासी के पानी की खपत के लिए विकल्प की देखभाल की गई थी। किसानों का कहना है कि अधिकारियों ने निरीक्षण कर किसानों से बातचीत की थी तथा कैराना की निकासी के गंदे पानी को सिंचाई योग्य बनाने के लिए कैराना बाईपास के निकट सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने का प्रस्ताव रखा गया था। लेकिन अभी तक भी किसानों के लिए नासूर बनी मामोर झील का कोई समाधान नहीं हो पाया हैं। आसपास के किसानों ने जल्द ही मामोर झील के समाधान कराने की मांग की हैं।