प्रथम चरण में इन जिलों में होगा मतदान प्रथम चरण में 11 अप्रैल को पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर में चुनाव होंगे। समाजवादी पार्टी (सपा) ने शुक्रवार को गाजियाबाद और कैराना से उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। कैराना से वर्तमान सांसद तबस्सुम हसन को टिकट दिया गया है। मई 2018 में हुए उपचुनाव में तबस्सुम हसन ने राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के टिकट पर चुनाव लड़ा था। उसमें उन्होंने भाजपा प्रत्याशी मृगांका सिंह को शिकस्त दी थी।
हसन परिवार से रखती हैं ताल्लुक तबस्सुम हसन राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उनके ससुर चौधरी अख्तर हसन सांसद थे। उनके पति मुनव्वर हसन कैराना से दो बार विधायक और दो बार सांसद रह चुके हैं। तबस्सुम के बेटे नाहिद कैराना से विधायक हैं जबकि उनके देवर हाजी अनवर हसन कैराना के चेयरमैन हैं। अब बात तबस्सुम हसन के देवर कंवर हसन की करें तो वह इस समय रालोद में हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में जब भाजपा के बाबू हुकुम सिंह मैदान में थे तो नाहिद हसन को सपा से टिकट मिला था। उस चुनाव में हसन परिवार में फूट पड़ गई थी। कंवर हसन बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे। उस दौरान हुकुम सिंह ने जीत दर्ज की थी जबकि नाहिद दूसरे और कंवर तीसरे नंबर पर रहे थे।
जयंत चौधरी ने मिलाया था दोनों को बाबू सिंह के निधन के बाद कैराना में मई 2018 में उपचुनाव हुए। इसमें भाजपा की मृगांका सिंह और रालोद की तबस्सुम हसन आमने-सामने थी। उपचुनाव में रालोद उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने हसन परिवार में पड़ी दरार को खत्म कराने का काम किया। जयंत चौधरी ने वोटिंग से पहले कंवर हसन और नाहिद हसन की मुलाकात कराई, जिसके बाद कंवर ने अपनी भाभी तबस्सुम हसन के समर्थन का ऐलान किया था। उपचुनाव में देवर-भाभी की जोड़ी ने भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी कर दी थी। अब फिर से तबस्सुम मैदान में हैं। कंवर भी उनके साथ में हैं।
बुआ-भतीजे टिकट की रेस में वहीं, बात अगर भाजपा की करें तो यहां मृगांका सिंह को प्रमुख दावेदार माना जा रहा है। उनके अलावा कैराना से महेंद्र सिंह महंगी, अनिल चौहान और डॉ. धनपाल के नाम रेस में बताए जा रहे हैं। महेंद्र सिंह महंगी संघी हैं जबकि डॉ. धनपाल चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर हैं। इनमें से अनिल चौहान मृंगाका सिंह के भतीजे हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में अनिल चौहान को जब टिकट नहीं मिला था तो वह रालोद के उम्मीदवार बने थे। मृगांका के चचेरे भाई अनिल ने उनके ही खिलाफ ताल ठोकी थी। चुनाव में दोनों की ही हार हुई थी। इस बार चुनाव में भी अनिल चौहान टिकट मांग रहे हैं।