विचलित कर देने वाली तस्वीर आप देख रहे हैं कि किस तरह से हाईटेक युग में शवों को रेहडे पर ढोया जा रहा है। करीब 3 किलोमीटर तक शहर के सम्भ्रान्त लोग शव को लेकर सिटी के फव्वारा चोंक पर पहुंचे। जो लोग शव को लेकर जा रहे हैं, इनकी माली स्थिति भी ठीक नहीं है। इस लिए यह अपने पैसों से किसी प्राइवेट वाहन की व्यस्था भी नही कर सके। मात्र 60 रुपए में रहड़े किराया पर तय कर शव को निर्धारित स्थल पर ले गए। ऐसे में सिस्टम पर सवाल खड़ा होता है कि आखिर कौन जिम्मेदार है इसके पीछे? आखिर क्या वजह है कि स्वास्थय सेवाओ में सुधार नहीं हो रहा है ?
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यह था मामला
शामली में दो दिन पूर्व गांव सिंभालका के पास एक अज्ञात युवक का शव जंगल में पड़ा हुआ था। ग्रामीणों की सूचना पर पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम को भेज दिया था। जिसके बाद पुलिस इस घटना की गुत्थी सुलझाने में जुट गई है कि हत्या करने के बाद शव को फेंका गया है या फिर किसी हादसे में मौत हुई है? पोस्टमार्टम के बाद शहर के कुछ लोग अंतिम संस्कार के लिए शव लेने पहुंचे तो शव तो उन्हें मिल गया, लेकिन शव को लेकर जाने के लिए किसी सरकारी वाहन नहीं मिला। लोगों ने एक के बाद एक कई फ़ोन कॉल एम्बुलेन्स और शव वाहन बुलाने के लिए की, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। इसके बाद उन सभी लोगों ने एक रहड़ा किराये पर किया और शव को उसमें रखकर ले गए।