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Farmers Protest : तीन साल, वही दाम, यूपी के गन्ना किसान हलाकान

locationशामलीPublished: Aug 13, 2021 04:14:57 pm

Submitted by:

lokesh verma

बकाया भुगतान 14 दिन में करने का था दावा, 12 हजार करोड़ के भुगतान को लेकर किसान हैं आंदोलित।

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
शामली. देश में सबसे अधिक गन्ना पैदा करने वाले राज्य यूपी में इन दिनों किसान आंदोलनरत हैं। तीन साल से गन्ने की कीमतों में कोई वृद्धि नहीं हुई है। योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद 2017-18 के सीजन में गन्ने का मूल्य 10 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाया गया था। तब से यही कीमतें बनी हुई हैं। इसके पहले मायावती की सरकार में गन्ना कीमतों में 92 फीसदी और सपा सरकार में 27 फीसदी गन्ना के मूल्य बढ़ाए गए थे। हालांकि, सरकार का दावा है कि गन्ना किसान खुश हैं। सरकार कह रही है कि तमाम योजनाओं का लाभ किसानों तक पहुंच रहा है।
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किसानों की खुशहाली का दावा करते हुए योगी सरकार ने एक विज्ञापन भी छपवाया है। लेकिन, इस विज्ञापन की पोल गन्ना मंत्री सुरेश राणा के जिले के किसान ही खोल रहे हैं। खुद मंत्री के ही जिले शामली में किसानों का 600 करोड़ रुपए से ज्यादा का भुगतान बकाया है। जबकि 14 दिन में भुगतान का वादा किया गया था। यूपी के गन्ना किसानों का 12,000 करोड़ से ज्यादा चीनी मिलों पर बकाया है। ब्याज जोड़ने पर यह राशि 15,000 करोड़ रुपए से ज्यादा बैठती है। हालांकि, सरकार कह रही है 4 साल में एक लाख 40 हजार करोड़ का भुगतान हुआ है। किसान इसे कागजी बता रहे हैं। वे इलाहाबाद उच्च न्यायालय में भुगतान को लेकर लड़ाई लड़ रहे हैं।
देश के गन्ने के कुल रकबे का 51 फीसदी हिस्सा यूपी में ही है। 38 प्रतिशत चीनी उत्पादन भी यूपी ही में होता है। देश की कुल 520 चीनी मिलों से 119 यूपी में हैं। यूपी का चीनी उद्योग करीब 6.50 लाख लोगों को प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से रोजगार देता है। गन्ना किसान सूबे की सरकार बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखते हैं। यही वजह है कि कोई भी सरकार गन्ना किसानों को नाराज नहीं करना चाहती। इसलिए लंबे समय से आंदोलनरत किसानों की मांगों की अनसुनी आश्चर्यजनक है।
पश्चिमी यूपी में सबसे ज्यादा गन्ना होता है। गन्ना बेल्ट का इलाका बागपत से लेकर शाहजहांपुर, गोंडा और सीतापुर के इलाके तक फैला हुआ है। लेकिन, सिर्फ पश्चिमी यूपी की 126 विधानसभा सीटों में से 2017 के चुनाव में बीजेपी को 109 सीटें मिलीं थीं। सपा ने 20, कांग्रेस ने दो, बसपा ने 3 सीटें जीती थीं। एक सीट रालोद को मिली थी। इसके बाद भी योगी सरकार चुप्पी साधे है। आठ महीने से किसान नए कृषि कानूनों और एमएसपी को लेकर धरनारत हैं। विपक्ष भी गन्ना किसानों के भुगतान को लेकर हमलावर है। 2022 के चुनाव में भाजपा को इतिहास दोहराना है तो मांगों पर विचार करना होगा।
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