उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में 28 नवंबर को यूपी टीईटी का पेपर लीक होने पर पेपर को रद्द कर दिया गया था। मेरठ एसटीएफ की टीम ने शामली कोतवाली क्षेत्र में दबिश देकर रवि पवार निवासी गांव नाला, मोनू निवासी झाल, धर्मेंद्र निवासी बुराड़ी को गिरफ्तार किया था। एसटीएफ ने इनके कब्जे से यूपीटीईटी के मूल प्रश्न पत्र समेत कई फोटो कॉपी और 17 हजार रुपए की नकदी के साथ ही कार बरामद करने का दावा किया था। जबकि उनका चौथा साथी अजय उर्फ बबलू निवासी गांव नाला फरार हो गया था, जो अभी तक पुलिस के हाथ नहीं आया है। इस मामले में मेरठ एसटीएफ इंस्पेक्टर की ओर से शहर कोतवाली में केस दर्ज कराया गया था। इसके साथ ही पुलिस फरार आरोपियों की तलाश में जुट गई थी, जिसके बाद मेरठ एसटीएफ की टीम ने एक अन्य आरोपी को अलीगढ़ से भी गिरफ्तार कर लिया था।
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जांच में खुलासा, तिकुनिया कांड हत्या एक सोची समझी साजिश, एसआईटी ने बढ़ाई आशीष मिश्रा के खिलाफ संगीन धाराएं कई बड़े नाम भी उजागर हुए एसटीएफ द्वारा टीईटी पेपर लीक करने के मामले में गिरफ्तार किए गए तीनों आरोपियों को 5 दिन के पुलिस कस्टडी रिमांड पर मेरठ एसटीएफ की टीम ने लिया था, जिसके बाद मेरठ एसटीएफ की टीम इन्हें दिल्ली, मेरठ, मथुरा, आगरा के साथ कई इलाकों में लेकर के अपने साथ गई थी। जहां पर पुलिस ने दबिश दी थी और इन तीनों आरोपियों ने कई बड़े नाम उजागर किए थे। जिनमें से निर्दोष चौधरी का नाम भी सामने आया था। निर्दोष इस पूरे प्रकरण का मुख्य आरोपी बताया जा रहा है, क्योंकि निर्दोष ने ही कांधला निवासी विकास को टीईटी का पेपर पांच लाख रुपये में बेचा था, जिसके बाद वह पेपर 50-50 हजार रुपये में अन्य अभ्यर्थियों को दिया जाना था।
23 दिसंबर को होगी मामले की सुनवाई यूपीटीईटी पेपर लीक मामले में मुख्य आरोपी ने मेरठ एसटीएफ के साथ ही शामली की स्थानीय पुलिस को चकमा देकर सोमवार को कैराना न्यायिक मजिस्ट्रेट अलका यादव की कोर्ट में सरेंडर करने पहुंच गया। जहां से उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। अब इस प्रकरण में 23 दिसंबर को अगली सुनवाई होगी। बताया गया कि निर्दोष अलीगढ़ के गोंडा का निवासी है। उसने अपने अधिवक्ता अनिल निर्वाल के माध्यम से कैराना स्थित मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कार्यालय में सरेंडर किया है। निर्दोष के सरेंडर से मेरठ एसटीएफ के साथ ही स्थानीय पुलिस पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं, क्योंकि जिस मुख्य आरोपी की तलाश में मेरठ एसटीएफ के साथ स्थानीय पुलिस की कई टीमें लगी हुई थी, वह इन सभी को चकमा देकर कोर्ट में पेश हो गया।