पहली बार जलसंसाधन विभाग और मौसम विभाग के अनुमानों से ज्यादा चंबल के कैचमेंट एरिया में हुई भारी बारिश से अब चंबल नदी पर एक नए बांध की आवश्यकता महससू की जा रही है। हालांकि ऊपरी इलाके में तो पहले से चार बांध बने हैं, लिहाजा श्योपुर से भिंड जिले के क्षेत्र में नए बांध की संभावनाएं बनाई जानी चाहिए। चूंकि इस क्षेत्र में मध्यप्रदेश के श्योपुर, मुरैना, ग्वालियर के साथ ही राजस्थान के सवाईमाधोपुर, करौली और धौलपुर जिलों में चंबल से पानी ले जाने के प्रोजेक्ट हैं, लिहाजा बांध बनने से जलराशि का भंडार रहेगा और इन आधा दर्जन जिलों में पेयजल और सिंचाई का पानी पर्याप्त मिल सकेगा। साथ ही घडिय़ाल व अन्य जलीय जीवों को भी पानी की कमी नहीं होगी, क्योंकि अभी ग्रीष्मकाल में श्योपुर-मुरैना क्षेत्र में कई जगह चंबल की धारा ही टूट जाती है।
इंदौर के महू क्षेत्र से निकली चंबल नदी 966 किमी बहती हुई यूपी के इटावा में यमुना में मिलती है। इस नदी पर मध्यप्रदेश और राजस्थान की चंबल परियोजना के तहत चार बांध बने हैं। जिसमें गांधी सागर मध्यप्रदेश में है और राणाप्रताप सागर, जवाहर सागर और कोटा बैराज राजस्थान में स्थित है। 1953-54 में बनी चंबल घाटी परियोजना के तहत बने बांधों में पानी की आवक इतनी हुई कि गेटों की निकासी की क्षमता भी कम पड़ गई।
कोटा बैराज से इस मानसून सीजन में 13 हजार मिलियन क्यूबिक मीटर पानी डिस्चार्ज हुआ है, जो एक सीजन में सबसे ज्यादा है। यही नहीं ये पानी चंबल के चारों बांधों की कुल भराव क्षमता 10 हजार एमसीएम से भी ज्यादा है।
अजीजुद्दीन अंसारी
अधीक्षण यंत्री, जलसंसाधन विभाग कोटा
संभावनाएं तलाशी जा रही हैं
निश्चित रूप से इस बार काफी मात्रा में पानी की आवक हुई है और बाढ़ की स्थिति बनी है। इसके लिए नए विकल्प की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। इसके लिए जल्द ही दिल्ली की टीम भी आएगी।
संदीप सोहल
कार्यपालन यंत्री, जलप्रबंधन प्रकोष्ठ कोटा (मप्र शासन)