scriptदो माह में चंबल में बह गया 13 हजार एमसीएम पानी, आवदा जैसे भर जाते 325 बांध | 13 thousand MCM water washed away in Chambal in two months | Patrika News
श्योपुर

दो माह में चंबल में बह गया 13 हजार एमसीएम पानी, आवदा जैसे भर जाते 325 बांध

चंबल नदी पर में पहली बार चारों बांध की क्षमता से भी ज्यादा कोटा बैराज से डिस्चार्ज हुआ पानी, अब चंबल पानी को सहेजने और बाढ़ नियंत्रण के लिए तलाशे जा रहे विकल्प,

श्योपुरOct 18, 2019 / 11:51 am

jay singh gurjar

rain

पानी

श्योपुर,
अच्छे मानसून और भारी बारिश के बीच इस बार चंबल में भारी मात्रा में पानी न केवल व्यर्थ बह गया, बल्कि बाढ़ के रूप में तबाही भी मचाई है। इस बार मानसून के दो महीनों में कोटा बैराज से चंबल में इतना पानी छोड़ा गया, जिससे श्योपुर के आवदा बांध जैसे 325 बांध भर जाते। ऐसे में अब चंबल में व्यर्थ बहते पानी को सहेजने के साथ ही बाढ़ की स्थितियां पैदा न हो, इसकी आवश्यकता महसूस की जा रही है, जिसके लिए दोनों राज्यों के अफसर मंथन में जुटे हैं।
इस मानसून सीजन में गांधी सागर के गेट भी कई बार खोलने पड़े, जिसके चलते नीचे के बांधों से लगातार पानी डिस्चार्ज हुआ। बतााय गया है कि दो महीनों में (अगस्त-सितंबर) 10 अक्टूबर तक कोटा बैराज से 13 हजार एमसीएम (मिलियन क्यूबिक मीटर) पानी छोड़ा गया। विशेष बात यह है कि चंबल पर बने चारों बांधों (गांधीसागर, राणाप्रताप सागर, जवाहर सागर और कोटा बैराज) की कुल भराव क्षमता भी 10 हजार एमसीएम है, यानि इन इस बार कोटा बैराज से जो पानी चंबल नदी में छोड़ा गया, वो इन चारों बांधों की भराव क्षमता से भी ज्यादा है। वहीं श्योपुर के आवदा बांध (इसकी भराव क्षमता 40 एमसीएम है) जैसे तो 325 बांध इस पानी से भर जाते। विशेष बात यह है कि कोटा बैराज से एक मानसून सीजन में इतना पानी छोड़ा जाने की स्थिति पहली बार बनी है। यही वजह है कि मध्यप्रदेश और राजस्थान के जलसंसााधन विभाग के अफसर मंथन में जुटे हुए हैं, जिसमें बांधों के गेटों की निकासी क्षमता बढ़ाने के साथ ही अन्य विकल्प भी तलाशे जा रहे हैं। बताया गया है कि चंबल में इस बार बनी प्रतिकूल स्थितियों का जायजा लेने दिल्ली की भी एक टेक्निकल टीम जायजा लेगी।
…तो आधा दर्जन जिलों को मिल सकेगा पेयजल और सिंचाई का पानी
पहली बार जलसंसाधन विभाग और मौसम विभाग के अनुमानों से ज्यादा चंबल के कैचमेंट एरिया में हुई भारी बारिश से अब चंबल नदी पर एक नए बांध की आवश्यकता महससू की जा रही है। हालांकि ऊपरी इलाके में तो पहले से चार बांध बने हैं, लिहाजा श्योपुर से भिंड जिले के क्षेत्र में नए बांध की संभावनाएं बनाई जानी चाहिए। चूंकि इस क्षेत्र में मध्यप्रदेश के श्योपुर, मुरैना, ग्वालियर के साथ ही राजस्थान के सवाईमाधोपुर, करौली और धौलपुर जिलों में चंबल से पानी ले जाने के प्रोजेक्ट हैं, लिहाजा बांध बनने से जलराशि का भंडार रहेगा और इन आधा दर्जन जिलों में पेयजल और सिंचाई का पानी पर्याप्त मिल सकेगा। साथ ही घडिय़ाल व अन्य जलीय जीवों को भी पानी की कमी नहीं होगी, क्योंकि अभी ग्रीष्मकाल में श्योपुर-मुरैना क्षेत्र में कई जगह चंबल की धारा ही टूट जाती है।
966 किलोमीटर लंबी है चंबल
इंदौर के महू क्षेत्र से निकली चंबल नदी 966 किमी बहती हुई यूपी के इटावा में यमुना में मिलती है। इस नदी पर मध्यप्रदेश और राजस्थान की चंबल परियोजना के तहत चार बांध बने हैं। जिसमें गांधी सागर मध्यप्रदेश में है और राणाप्रताप सागर, जवाहर सागर और कोटा बैराज राजस्थान में स्थित है। 1953-54 में बनी चंबल घाटी परियोजना के तहत बने बांधों में पानी की आवक इतनी हुई कि गेटों की निकासी की क्षमता भी कम पड़ गई।
पहली बार डिस्चार्ज हुआ इतना पानी
कोटा बैराज से इस मानसून सीजन में 13 हजार मिलियन क्यूबिक मीटर पानी डिस्चार्ज हुआ है, जो एक सीजन में सबसे ज्यादा है। यही नहीं ये पानी चंबल के चारों बांधों की कुल भराव क्षमता 10 हजार एमसीएम से भी ज्यादा है।
अजीजुद्दीन अंसारी
अधीक्षण यंत्री, जलसंसाधन विभाग कोटा

संभावनाएं तलाशी जा रही हैं
निश्चित रूप से इस बार काफी मात्रा में पानी की आवक हुई है और बाढ़ की स्थिति बनी है। इसके लिए नए विकल्प की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। इसके लिए जल्द ही दिल्ली की टीम भी आएगी।
संदीप सोहल
कार्यपालन यंत्री, जलप्रबंधन प्रकोष्ठ कोटा (मप्र शासन)
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो