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बीमार को खाट पर लिटाकर गले तक पानी में तैरते हुए ले जाते हैं अस्पताल

locationश्योपुरPublished: Jul 13, 2018 10:47:32 pm

Submitted by:

Gaurav Sen

आज भी सिरसौद की राह रोक लेती है रातड़ी
बड़ौदा क्षेत्र के सिरसौद गांव की रातड़ी नदी पर पुल नहीं होने से 250 परिवार परेशान

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बीमार को खाट पर लिटाकर गले तक पानी में तैरते हुए ले जाते हैं अस्पताल

श्योपुर. बीमार व्यक्ति को खाट पर लिटाना, फिर चार लोगों द्वारा खाट को उठाना और नदी में गले-गले तक पानी के बीच निकलकर दूसरी पार जाना। ये कोई प्रतियोगिता नहीं बल्कि आजादी के 70 साल बाद भी सिरसौद गांव के उन 250 परिवारों की स्थिति है, जो गांव के निकट बह रही एक छोटी नदी से पूरे वर्षाकाल के चार महीने जद्दोजहद करते नजर आते हैं। नदी पर पुल के अभाव में जान जोखिम में डालकर नदी पार करना इन ग्रामीणों की नियति बन चुका है, लेकिन किसी ने आज तक ध्यान नहीं दिया।
भले ही सरकारें विकास के तमाम दावे करें, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों के कई इलाकों में आज भी आजादी के पूर्व के दिन ही नजर आते हैं और श्योपुर विकासखंड के बड़़ौदा बत्तीसा क्षेत्र का ये गांव बखूबी उदाहरण है। बड़ौदा तहसील मुख्यालय से महज आठ किलोमीटर दूर स्थित सिरसौद गांव से कुछ दूरी पर स्थित रातड़ी नदी(बड़ौदा क्षेत्र की अहेली नदी की सहायक नदी) बहती है। हालांकि ग्रीष्मकाल में तो नदी सूख जाती है, जिससे गांव का आवागमन सुगम होता है, लेकिन पहली बारिश के बाद ही नदी लबालब हो जाती है, जिससे गांव का रास्ता पूरी तरह बंद हो जाता है। यही वजह है कि ग्रामीण 4 से 5 महीने गांव में ही कैद होकर रह जाते हैं। ऐसे में यदि कोई बीमार हो जाता है तो उसे चार लोग खाट पर रखकर नदी पार कराते हैं। वहीं दूसरी ओर गांव में पांचवी तक स्कूल है, लेकिन नदी के चलते शिक्षक भी यदा कदा ही पहुंचते हैं। वहीं पांचवी के बाद बच्चे पढऩे बड़ौदा आते हैं, जिन्हें भी नदी पार कराने के लिए ग्रामीण दिन भर मशक्कत करते रहते हैं। इसके साथ ही गांव में किसी प्रसूता को प्रसव के 15 दिन पूर्व ही बड़ौदा में शिफ्ट करना पड़ता है। तो यहां के वाशिंदों को खाद्यान्न भी बड़ौदा लेने आना पड़ता है,जिसे सिर पर रखकर ग्रामीण नदी पार करते हैं।
250 परिवारों की बस्ती, कई कर गए पलायन

बताया गया है कि सिरसौद गांव में 250 परिवार निवास करते हैं, जिसमें बंजारा, आदिवासी और दलित समाज के लोग शामिल हैं। लेकिन नदी पर पुल नहीं होने और आवागमन की सुविधा नहीं होने से कई परिवार तो पलायन कर गए। जबकि कुछ परिवार इस ओर आकर बस गए, लेकिन अभी भी खेती बाड़ी उस ओर ही है, लिहाजा खेती करने जाने में भी काफी दिक्कतें आती हैं। हालांकि ग्रामीणों की समस्या के लिए गत वर्ष तत्कालीन कलेक्टर पीएल सोलंकी, विधायक दुर्गालाल विजय आदि भी पहुंचे और इन्होंने जल्द ही पुल बनवाने का आश्वासन भी दिया, लेकिन अभी तक पुल नहीं बना।
12 साल पहले बह गए थे एक परिवार के तीन लोग

सिरसौद की इसी रातड़ी नदी में लगभग 12 साल पहले गुलाब बंजारा अपने माता पिता के साथ बैलगाड़ी से नदी पार कर रहे थे, तभी नदी में अचानक पानी का बहाव बढ़ा और तीनों लोग बैलगाड़ी सहित बह गए, जिससे उनकी मौत हो गई। अभी दो साल पूर्व एक युवक भी बह गया, जिसकी भी मृत्यु हो गई। बावजूद इसके अभी भी ग्रामीण जान जोखिम में डालने को मजबूर हैं।
पुल की समस्या को लेकर मैंने कई बार प्रशासनिक अफसरों और अन्य जनप्रतिनिधियों को अवगत कराया और कई पत्र भी लिखे। लेकिन अभी तक पुल के संबंध में कोई कार्यवाही नहीं हुई।


सुमित्रा दारा सिंह बंजारा, उपाध्यक्ष जनपद पंचायत श्योपुर
सिरसौद के रास्ते की नदी पर पुलिया को लेकर हम गंभीर है और निर्माण के लिए प्रक्रिया चल रही है। हमने जिला प्रशासन और संबंधित विभाग को भी इस संबंध में बताया है।


दुर्गालाल विजय, विधायक, श्योपुर
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